श्री पाद केशव भारती गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक श्री चैतन्य महाप्रभु के गुरु थे। इन्होंने गौरांग को २४ वर्ष की आयु में १५१० में दीक्षा दी। उनका नाम बदल कर कृष्ण चैतन्य कर दिया।

केशवदास जी के कुछ पद निम्नलिखित हैं:-

हम तो हर दम ही श्यामा श्यामै लखैं।
केशव भारती बचन यह साँचे भखैं।
हरि के नाम कि धुनि पै सूरति रखैं।
क्या अनुपम अभी रस मन भर चखैं।
नहिं परदा नेकहू दुइ का रखैं। ५।

जे सतगुरु से मारग ये नाहीं सिखैं।
ते कर्मन को अपने नाहक झखैं।
ज्ञान पढ़ि सुनि कहैं औ तन मन मखैं। ८।

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साँचा:चैतन्य