सत्य साईं बाबा

भारतीय आध्यात्मिक गुरु

सत्य साईं बाबा (तेलुगु: సత్య సాయిబాబా) (जन्म: 23 नवम्बर 1926 ; मृत्यु: 24 अप्रैल 2011), पिछले लगभग 60 वर्षों से भारत के कुछ अत्याधिक प्रभावशाली अध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। सत्य साईं बाबा का बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। सत्य साईं का जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवम्बर 1926 को हुआ था। सिर्फ भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में उनके असंख्य अनुयायी हैं। 24 अप्रैल 2011 को एक लंबी बीमारी के बाद बाबा ने चिरसमाधि ले ली। बाबा को प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु शिरडी के साईं बाबा का अवतार माना जाता है।

सत्य साईं बाबा
जन्म सत्यनारायण राजू
23 नवम्बर 1926
पुट्टपर्थी, आन्ध्र प्रदेश, भारत
मृत्यु 24 अप्रैल 2011(2011-04-24) (उम्र 84)
पुट्टपर्थी, आन्ध्र प्रदेश, भारत
कथन सबसे प्यार करो, सबकी सेवा करो
हमेशा मदद करो, कभी दुःख न दो[1][2][3]
धर्म हिन्दू

सत्य साईं जीवन और प्रसिद्धि संपादित करें

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में पुट्टपर्थी गांव में एक सामान्य परिवार में 23 नवम्बर 1926 को जन्मे सत्यनारायण राजू ने 20 अक्टूबर 1940 को 14 साल की उम्र में खुद को शिरडी वाले साईं बाबा का अवतार कहा। जब भी वह शिरडी साईं बाबा की बात करते थे तो उन्हें ‘अपना पूर्व शरीर’ कहते थे।

सत्यनारायण राजू ने शिरडी के साईं बाबा के पुनर्जन्म की धारणा के साथ ही सत्य साईं बाबा के रूप में पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित की। सत्य साईं बाबा अपने चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध रहे और वे हवा में से अनेक चीजें प्रकट कर देते थे और इसके चलते उनके आलोचक उनके खिलाफ प्रचार करते रहे।

प्रारंभिक जीवन में सत्यनारायण राजू को ‘असामान्य प्रतिभा’ वाले परोपकारी बालक की संज्ञा दी गयी। गायक के रूप में उनकी पहचान बनी और उनके भजनों की अनेक सीडी आईं। सत्य साईं बाबा के अनुयायियों ने 1944 में पुट्टपर्थी में एक छोटा मंदिर बनवाया और 1950 में एक विशाल आश्रम बनाया गया जो ‘प्रशांति निलयम’ के तौर पर उनका स्थाई केंद्र बन गया।

आंध्र प्रदेश में 20 वी सदी के वक्त बहोत बुरा अकाल पड़ा था तब भगवान श्री सत्यसाई बाबाजी ने लगभग 750 गांवो के लिए पानी की व्यवस्था की थी।

आम आदमी से लेकर राष्ट्रपति तक उनके भक्तों में शामिल रहे हैं, लेकिन पुट्टपर्थी के सत्य साईं बाबा के आध्यात्मिक प्रभाव के साथ ही उनसे विवाद भी जुड़े रहे हैं। भारत में अनेक आध्यात्मिक संत हुए और हैं, लेकिन माना जाता है कि सत्य साईं बाबा के नाम और प्रसिद्धि की बराबरी शायद ही कोई कर सके।

सत्य साईं बाबा का असर पूरी दुनिया में फैला हुआ है और भारत के अलावा विदेशों में भी उनके लाखों भक्त हैं। बाबा के नामचीन भक्तों में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत आला दर्जे के नेता, फिल्मी सितारे, उद्योगपति और खिलाड़ी शामिल रहे हैं। आंध्र प्रदेश का छोटा-सा गाँव पुट्टपर्थी अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर छा गया और इसकी वजह है कि बाबा के आध्यात्मिक स्थल प्रशांति निलयम में दिन-रात विदेशी भक्त आते जाते रहे हैं। इस कस्बे में एक विशेष हवाई अड्डे पर दुनिया के अनेक हिस्सों से बाबा के भक्तों के चार्टर्ड विमान उतरते रहे हैं।

सत्य साईं बाबा के आश्रम में कथित स्कैंडलों की भी खबरें सामने आईं। उनके खिलाफ यौन व्यवहार संबंधी सवाल भी खड़े होते रहे, लेकिन उन्होंने व उनके भक्तों ने इसे उनके विरोधियों की साजिश कहकर खारिज किया।

बाबा ने आध्यात्मिक उपदेशों के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी अनेक सेवा कार्य किये। जिनकी शुरुआत पुट्टपर्थी में एक छोटे से अस्पताल के निर्माण के साथ हुई, जो अब 220 बिस्तर वाले सुपर स्पेशलिटी सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंसेस का रूप ले चुका है।

इसके अलावा बंगलूरु के बाहरी इलाके में 333 बिस्तर वाला एक और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एस.एस.आई.एच.एम.एस. खोला गया। यहाँ बाबा का ग्रीष्मकालीन केंद्र वृंदावन है। सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट इन सभी सामाजिक सेवा गतिविधियों को देखता है और पुट्टपर्थी में सत्य साई विश्वविद्यालय भी संचालित करता है। इसके अलावा यह ट्रस्ट अलग अलग प्रदेशों में अनेक स्कूलों और डिस्पेंसरियों का भी संचालन करता है। सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में बड़ी जल आपूर्ति परियोजनाओं पर भी काम किया है। सत्य साईं सेवा संगठन के स्वयंसेवक आंध्र प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं के वक्त राहत व पुनर्वास कार्यों में भी आगे से आगे सेवाकार्य करते देखे जा सकते हैं।

 
पुट्टिपर्ती में स्थापित अति विशेषज्ञता चिकित्सालय (सुपर स्पेसिआलिटी अस्पताल)

सत्य साईं बाबा ने भारत में तीन मंदिर भी स्थापित किये, जिनमें मुंबई में धर्मक्षेत्र, हैदराबाद में शिवम और चेन्नई में सुंदरम है। इनके अलावा दुनियाभर के 114 देशों में सत्य साई केंद्र स्थित हैं।

सत्य साईं बाबा ने 1957 में उत्तर भारत के मंदिरों का भ्रमण किया और अपनी एक मात्र विदेश यात्रा पर 1968 में युगांडा गये। सत्य साईं बाबा ने 1963 में चार बार गंभीर हृदयाघात का सामना किया था। वर्ष 2005 से ही बाबा व्हीलचेयर पर थे और खराब स्वास्थ्य के कारण बहुत कम ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में आते थे। वर्ष 2006 में बाबा को कूल्हे में फ्रेक्चर हो गया जब लोहे के स्टूल पर खड़े एक विद्यार्थी के फिसलने से वह और स्टूल दोनों ही बाबा पर गिर गये। वह अपने भक्तों को कार से या पोर्ट चेयर से दर्शन देते थे।

निधन संपादित करें

सत्‍य साईं बाबा का निधन रविवार सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर हुआ। पिछले एक माह से अस्‍पताल में भर्ती थे। सुबह के वक्‍त ही उनके परिजन उनके दर्शन के लिए अस्‍पताल पहुँचे। पहले स्‍थानीय टीवी चैनलों ने खबर दी कि सत्‍य साईं का निधन हो चुका है। इसके थोड़ी देर बाद उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Charlene Leslie-Chaden (2004). A compendium of the teachings of Sri Sathya Sai Baba. Sai Towers Publishing. पृ॰ 526. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788178990422. मूल से 14 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2011.[self-published source?]
  2. Architectural digest. Conde Nast Publications. 1 मई 1994. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2011.
  3. Vasan Ayyar, on December 31, 2009 at 12:40 pm said: (2009-12-31). "Love All Serve All « Sathya Sai Baba – Life, Love & Spirituality". Sathyasaibaba.wordpress.com. अभिगमन तिथि 2011-04-24.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link) सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें