सादड़ी (Sadri) भारत के राजस्थान राज्य के पाली ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

सादड़ी
Sadri
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सादड़ी जैन मन्दिर में पार्श्वनाथ की आकृति
सादड़ी जैन मन्दिर में पार्श्वनाथ की आकृति
सादड़ी is located in राजस्थान
सादड़ी
सादड़ी
राजस्थान में स्थिति
निर्देशांक: 25°11′N 73°26′E / 25.18°N 73.43°E / 25.18; 73.43निर्देशांक: 25°11′N 73°26′E / 25.18°N 73.43°E / 25.18; 73.43
देश भारत
प्रान्तराजस्थान
ज़िलापाली ज़िला
तहसीलदेसूरी
जनसंख्या (2011)
 • कुल27,390
भाषा
 • प्रचलितराजस्थानी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड306702
दूरभाष कोड02934
वाहन पंजीकरणRJ-22
लिंगानुपात990 /

विवरण संपादित करें

सादडी अरावली की पहाड़ियों की गोद मे बसा हुआ है। इसे मेवाड़ के मारवाड़ का प्रवेशद्वार माना जाता है। यह भामाशाह की जन्मस्थली है। जैन धर्म के लोगों के लिए सादड़ी एक मुख्य पूजास्थल है। यहाँ के रणंकपुर मंदिर तथा परशुराम महादेव मंदिर प्रसिद्ध मंदिर हैं। भादरास गाँव यहाँ से ३ किमी की दूरी पर मघई नदी के किनारे है।

प्रशासन संपादित करें

सादड़ी एक नगरपालिका है। पाली जिले का सबसे बड़ा नगर पालिका क्षेत्र भी है इसके अन्तरगर्त भादरास गाँव भी सम्मिलित है। वर्तमान मे यहाँ नगरपालिका अध्यक्ष दिनेश कुमार मीणा है जो कि पार्षदों द्वारा निर्वाचित किए गए हैं वर्तमान में सादड़ी नगरपालिका में 35 वार्ड कर दिए गए हैं।

इतिहास संपादित करें

वह धन्य देश की माटी है, जिसमें भामा सा लाल पला।
उस दानवीर की यश गाथा को, मेट सका क्या काल भला॥

सादड़ी इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण नगर रहा है यहां पर राजस्थान के अमरनाथ कहलाने वाले *परशुराम महादेवजी* का मंदिर है यहां पर श्रावण शुक्ला षष्ठी को प्रतिवर्ष मेला लगता है जिसमें राजस्थान के तमाम भजन गायक अपनी हाजिरी प्रस्तुत करते हैं। सादड़ी वर्तमान पाली जिले जोधपुर संभाग में स्थित है लेकिन रियासत काल में यह मेवाड़ रियासत के अंदर था

महाराणा प्रताप को धन भेंट करने वाले दानवीर भामाशाह की यह जन्म भूमि भी है। भामाशाह के पिता जी भारमल और उनके बड़े भाई ताराचंद जी कावेडिया थे ताराचंद जी की और भामाशाह की यहां पर बावड़ी बनी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को इन्होंने इनकी पूरी निजी संपत्ति दे दी थी इसलिए सादडी को साहूकारों की सादड़ी भी कहते हैं।

विश्व प्रसिद्ध राणकपुर जैन मंदिर भी इसी नगर के अंतर्गत है जिसका निर्माण सेठ धरनक शाह अर्थात धन्ना सेठ ने कराया था। यह महाराणा कुंभा के समय में बनाया गया। यहां पर रणकपुर प्रस्तुति की भी रचना की गई। इस मंदिर का वास्तुकार दीपक था और इसका निर्माण 1439 ईसवी में किया गया। इस मंदिर के अंदर 1444 खंभे है। इस मंदिर की विशेषता है कि किसी भी जगह से खड़े होकर भगवान की मूर्ति देखो तो कोई भी खंबा बीच में नहीं आता। यह मंदिर मगाई नदी के किनारे रणकपुर बांध के अंतिम छोर पर स्थित है। इस मंदिर को इतिहास में "वनों का स्तम्भ" भी कहा जाता है।

यहां पर रणकपुर बांध भी है जो पाली जिले का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। यह बाँध जोधपुर दरबार के अधीन है, इसका कुल गेज 62 फीट 4 पत्ती है।

यहां पर बड़े-बड़े उद्योगपतियों का भी जन्म हुआ। सेलो समूह (cello ग्रुप) के मालिक घीसू लाल बदामिया की भी यह जन्मभूमि है जिनका हाल ही में निधन हो चुका है। फ्लेयर ग्रुप के मालिक भी यहीं के निवासी हैं और सोने के शर्ट बनाने वाला रांका ज्वेलर्स के मालिक की भी जन्मभूमि है। किलर जींस ग्रुप के मालिक भी यहीं के निवासी है।

यहां पर रणकपुर जैन मंदिर के कारण प्रतिदिन विदेशी पर्यटक बहुत आते हैं। यहां पर अस्थि एवं जोड़ों का अस्पताल है जो आसपास के क्षेत्रों को अपनी सेवाएँ प्रदान करता है। यहां पर दो सरकारी हॉस्पिटल भी हैं और एक पशुओं का अस्पताल भी है।

सादड़ी के अंदर आने के लिए तीन रोड जुड़े हुए हैं। एक सादड़ी से उदयपुर को जोड़ता है (राणकपुर घाट से होकर) ; दूसरा सादड़ी से फालना जोधपुर और तीसरा सादड़ी से देसूरी घाट की तरफ जाता है। यहां पर एक बड़ा बस स्टैंड भी है जहां पर प्रत्येक बस 10 मिनट कम से कम रूकती है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990