साध्वी निशा ऋतंभरा /साध्वी ऋतम्भरा आध्यात्मिक हिन्दू नेत्री हैं जो बहुत से मानवतावादी सामाजिक प्रकल्पों की प्रेरणा स्रोत हैं। वात्सल्य ग्राम की संकल्पना साध्वी जी की अनुपम देन है। वे अयोध्या के राममन्दिर आन्दोलन से जुड़ी रहीं हैं।[1][2][3][4][5][6] [7][8][9][10][11]

साध्वी ऋतम्भरा

रक्षा बंधन के अवसर पर साध्वी ऋतंभरा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जन्म साध्वी निशा ऋतंभरा
2 जनवरी 1964
दोराहा, लुधियाना ,पंजाब,भारत
धर्म हिन्दू
के लिए जाना जाता है कथावाचक
राष्ट्रीयता भारतीय

परिचय संपादित करें

अभी कुछ दिनों पूर्व श्रीकृष्ण की लीला स्थली वृन्दावन जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। श्रीकृष्ण की महक से सुवासित इस धार्मिक नगरी में अब भी एक अपना ही आकर्षण है। यहाँ मन्दिरों की बहुतायत और तंग गलियों के मध्य अब भी लोगों के ह्रदय में श्रीकृष्ण विद्यमान हैं। परन्तु इस नगरी में ही एक नये तीर्थ का उदय हुआ है और यदि वृन्दावन जाकर उसका दर्शन न किया तो समझना चाहिये कि यात्रा अधूरी ही रही. यह आधुनिक तीर्थ दीदी माँ के नाम से विख्यात साध्वी ऋतम्भरा ने बसाया है। वृन्दावन शहर से कुछ बाहर वात्सल्य ग्राम के नाम से प्रसिद्ध यह स्थान अपने आप में अनेक पटकथाओं का केन्द्र बन सकता है किसी भी संवेदनशील साहित्यिक अभिरूचि के व्यक्ति के लिये. इस प्रकल्प के मुख्यद्वार के निकट यशोदा और बालकृष्ण की एक प्रतिमा वात्सल्य रस को साकार रूप प्रदान करती है। वास्तव में इस अनूठे प्रकल्प के पीछे की सोच अनाथालय की व्यावसायिकता और भावहीनता के स्थान पर समाज के समक्ष एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करने की अभिलाषा है जो भारत की परिवार की परम्परा को सहेज कर संस्कारित बालक-बालिकाओं का निर्माण करे न कि उनमें हीन भावना का भाव व्याप्त कर उन्हें अपनी परम्परा और संस्कृति छोड़ने पर विवश करे.

समाज में दीदी माँ के नाम से ख्यात साध्वी ऋतम्भरा ने इस परिसर में ही भरे-पूरे परिवारों की कल्पना साकार की है। एक अधेड़ या बुजुर्ग महिला नानी कहलाती हैं, एक युवती उसी परिवार का अंग होती है जिसे मौसी कहा जाता है और उसमें दो शिशु होते हैं। यह परिवार इकाई परिसर में रहकर भी पूरी तरह स्वायत्त होती है। मौसी और नानी अपना घर छोड़कर पूरा समय इस प्रकल्प को देती हैं और वात्सल्य ग्राम का यह परिवार ही उनका परिवार होता है। इसके अतिरिक्त वात्सल्य ग्राम ने देश के प्रमुख शहरों में हेल्पलाइन सुविधा में दे रखी है जिससे ऐसे किसी भी नवजात शिशु को जिसे किसी कारणवश जन्म के बाद बेसहारा छोड़ दिया गया हो उसे वात्सल्य ग्राम के स्वयंसेवक अपने संरक्षण में लेकर वृन्दावन पहुँचा देते हैं। दीदी माँ ने एक बालिका को भी दिखाया जिसे नवजात स्थिति में दिल्ली में कूड़ेदान में फेंक दिया गया था और उसक मस्तिष्क का कुछ हिस्सा कुत्ते खा गये थे। आज वह बालिका स्वस्थ है और चार वर्ष की हो गई है। ऐसे कितने ही शिशुओं को आश्रय दीदी माँ ने दिया है परन्तु उनका लालन-पालन आत्महीनता के वातावरण में नहीं वरन् संस्कारक्षम पारिवारिक वातावरण में हो रहा है। यही मौलिकता वात्सल्य ग्राम को अनाथालयों की कल्पना से अलग करती है।

दीदी माँ यह प्रकल्प देखकर जो पहला विचार मेरे मन में आया वह हिन्दुत्व की व्यापकता और उसके बहुआयामी स्वरूप को लेकर आया। ये वही साध्वी ऋतम्भरा हैं जिनकी सिंह गर्जना ने 1989-90 के श्रीराम मन्दिर आन्दोलन को ऊर्जा प्रदान की थी, परन्तु उसी आक्रामक सिंहनी के भीतर वात्सल्य से परिपूर्ण स्त्री का ह्रदय भी है जो सामाजिक संवेदना के लिये द्रवित होता है। यही ह्रदय की विशालता हिन्दुत्व का आधार है कि अन्याय का डटकर विरोध करना और संवेदनाओं को सहेज कर रखना. सम्भवत: हिन्दुत्व को रात दिन कोसने वाले या हिन्दुत्व की विशालता के नाम पर हिन्दुओं को नपुंसक बना देने की आकांक्षा रखने वाले हिन्दुत्व की इस गहराई को न समझ सकें।.

संदर्भ संपादित करें

  1. Basu, Amrita (1998). "Appropriating Gender". प्रकाशित Jeffery, Patricia; Basu, Amrita (संपा॰). Appropriating Gender : Women's Activism and Politicized Religion in South Asia. New York: Routledge. पपृ॰ 15–26. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780203379585. डीओआइ:10.4324/9780203379585-5.
  2. Sarkar, Tanika (2001). "Aspects of Contemporary Hindutva Theology: The Voice of Sadhvi Rithambhara". Hindu wife, Hindu nation: community, religion, and cultural nationalism. Indiana University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780253340467.
  3. Sangari, Kumkum (1993). "Consent, Agency and Rhetorics of Incitement". Economic and Political Weekly. 28 (18): 877. JSTOR 4399675. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0012-9976.
  4. Sugirtharajah, Sharada (2002). "Hinduism and Feminism: Some Concerns". Journal of Feminist Studies in Religion. 18 (2): 104. JSTOR 25002442. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 8755-4178.
  5. JAFFRELOT, CHRISTOPHE (2010). "Abhinav Bharat, the Malegaon Blast and Hindu Nationalism: Resisting and Emulating Islamist Terrorism". Economic and Political Weekly. 45 (36): 51–58. JSTOR 25742046. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0012-9976.
  6. Gangoli, Geetanjali (2007). "Conclusions". Indian Feminisms : Law, Patriarchies and Violence in India. Routledge. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781315588292. डीओआइ:10.4324/9781315588292.
  7. Kapur, Ratna (1996). "Who Draws the Line? Feminist Reflections on Speech and Censorship". Economic and Political Weekly. 31 (16/17): WS19. JSTOR 4404055. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0012-9976.
  8. Cossman, Brenda; Kapur, Ratna (1996). "Secularism: Bench-Marked by Hindu Right". Economic and Political Weekly. 31 (38): 2627. JSTOR 4404599. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0012-9976.
  9. Navlakha, Gautam (1995). "Politics of Silhouetted Anger". Economic and Political Weekly. 30 (7/8): 367. JSTOR 4402404. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0012-9976.
  10. "Babri mosque was a 450-year-old stigma: Giriraj Kishore". Rediff.com. 19 October 2001. अभिगमन तिथि 14 August 2009.
  11. "Unite under RSS". The Hindu. 8 January 2007. मूल से 21 January 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 August 2009.