सामाजिक उद्यमिता

सामाजिक, सांस्कृतिक, या पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के विकास, निधि और कार्यान्वयन के लिए दृष्टि

सामाजिक उद्यमिता का कार्य करने वाले सामाजिक उद्यमी कहलाते हैं। सामाजिक उद्यमी अपनी-अपनी नज़र से समाज में व्याप्त किसी समस्या की पहचान करता है। उसके बाद सामाजिक उद्यमिता के सिद्धान्तों का सहारा लेते हुए वह सामाजिक परिवर्तन करके उस समस्या का समाधान निकाला जाता है।

जहां व्यापारिक उद्यमी अपना कार्य लाभ और हानि के रूप में मापते हैं, सामाजिक उद्यमी अपनी सफलता का मूल्यांकन समाज पर अपने कार्य द्वारा पडे प्रभाव के रूप में मापते हैं। अधिकांश सामाजिक उद्यमी बिना लाभ के काम करने वाली संस्थाओं अथवा नागरिक समूहों के रूप में कार्य करते हैं।

जिस प्रकार व्यापारिक उद्यमिता में नवाचारी उत्पादों या नवाचारी सेवाओं का बहुत महत्व है, उसी तरह सामाजिक उद्यमी के कार्य में सामाजिक नवाचार का बहुत महत्व है।

यद्यपि इस शब्द का प्रयोग १९८०/१९९० के दशक से शुरू हुआ, इतिहास में हर काल और हर देश में सामाजिक उद्यमी भरे पडे हैं। महात्मा गांधी, विनोबा भावे, फ्लोरेंस नाइटइंगेल, राबर्ट ओवेन डॉक्टर भीमराव अम्बेडकरआदि कुछ प्रमुख सामाजिक उद्यमी हैं।

आज के समय मे यदि अधिक से अधिक लोग सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र मे आगे आते है तो कै ऐसे काम हो सकते है जिसके लिये सरकारी तन्त्र के आगे हाथ फैलना पडता है।

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