सूक्तिमुक्तावली (1257 CE) जल्हण द्वारा रचित सूक्तियों का संग्रह है। इसमें धन, दया, भाग्य दुःख, प्रीति और राजकीय सेवा आदि विषयों पर क्रमबद्ध रूप में प्रकाश डाला गया है। इसका वह अंश विशेष महत्वपूर्ण है जिससे विभिन्न कवियों एवं विद्वानों की रचनाओं और समय के संबंध में निश्चित ज्ञान प्राप्त होता है। यह यादव वंश के राज्यकाल में रचित ग्रन्थ है।