माध्यमिक मत के प्रख्यापक आचार्यों में स्थविर बुद्धपालित एक प्रगल्भ पण्डित हैं । ये महायान सम्प्रदाय के प्रमाणभूत आचार्यों में एक हैं । ये ईसा की पञ्चम शताब्दी के पूर्वार्द्धवर्त्ती हैं । नागार्जुन विरचित माध्यमिक कारिका पर ‘अकुतोभया’ नामक व्याख्या इनकी एक अमर कीर्त्ति है । स्थविर बुद्धपालित प्रासंगिक मत के उद्भावक माने जाते हैं । इस मत का तात्पर्य है कि अपने मत की सम्पुष्टि के लिए विपक्षियों के सामने ऐसे तर्क उपस्थित किया जाए कि प्रतिपक्ष का उत्तर स्वतः परस्पर विरोधी होकर उपहासास्पद बनकर पराजय का कारण बन जाए।