स्मरदीपिका एक कामशास्त्रीय संस्कृत ग्रन्थ है (स्मर= काम ; दीपिका = दीपक)। इसकी रचना १४वीं या १५वीं शताब्दी में मीननाथ (या कद्र, रूद्र या गर्ग) ने की थी।

यह कई तरह से रतिरहस्य से अत्यन्त समानता रखती है। किन्तु इन दो ग्रन्थों में यौन आसनों के नाम और उनका वर्णन भिन्न है। नायिकाओं का वर्गीकरण और उनका वर्णन भी अलग-अलग हैं। गर्भ के समय शिशु का लिंग नियंत्रित करने की विधि भी अलग-अलग बतायी गयीं हैं। इस ग्रंथ में विशेष रूप से विभिन्न यौन आसनों के बारे में बताया गया है।

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