स्वायत्तता किसी विशेष स्थान पर एक प्रकार की संप्रभुता होती हैं जिससे निर्णय लेने में बेहतरी आती हैं। यह किसी राज्य की विकासात्मक अंग भी होती हैं,जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।। विकास अथवा सदाचार, राजनैतिक और जैवनीति दर्शनशास्त्र में स्वायत्तता (autonomy)[1] उस शक्ति को कहते हैं जिसमें किसी को अपना स्वयं पर फैसला लेने का अधिकार मिलता है। स्वायत्त संगठन अथवा संस्थायें स्वतंत्र और स्वयंशासी होती हैं।

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  1. प्राचीन यूनानी भाष: αὐτονομία autonomia from αὐτόνομος autonomos from αὐτο- auto- "self" and νόμος nomos, "law", hence when combined understood to mean "one who gives oneself one's own law"