हलधर नाग

इतना ही नहीं 5 शोधार्थी अब उनके साहित्य पर PHd कर रहे हैं जबकि स्वयं हलधर तीसरी कक्षा तक पढे है ।

हलधर नाग (जन्म : 1950 ) ओड़ीसा के संबंलपुरी-कौशली भाषा के कवि और लेखक हैं। वे 'लोककवि रत्न' के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनके बारे में विशेष बात यह है कि उन्हें अपनी लिखी सारी कविताएँ और 20 महाकाव्य कण्ठस्थ हैं। भारत सरकार द्वारा उन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

हलधर नाग
जन्म31 मार्च 1950 (1950-03-31) (आयु 74)
घेन्स, बरगढ़, ओड़ीसा, भारत
पेशाकवि, सामाजिक कार्यकर्ता
भाषासंबंलपुरी
राष्ट्रीयताभारतीय
शिक्षातीसरी कक्षा उतीर्ण
खिताबपद्मश्री[1]
जीवनसाथीमालती नाग
बच्चे1 पुत्री

हस्ताक्षर
हलधर नाग, भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी से पद्मश्री प्राप्त करते हुए।

हलधर ने कभी किसी भी तरह के जूते या चप्पल नहीं पहनी हैं। वे बस एक धोती और बनियान पहनते हैं। वे कहते हैं कि इन कपड़ों में वो अच्छा और खुला महसूस करते हैं।

हलधर का जन्म 1950 में ओडिशा के बरगढ़ में एक गरीब परिवार में हुआ था। जब वे 10 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु के साथ हलधर का संघर्ष शुरू हो गया। तब उन्हें मजबूरी में तीसरी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। घर की अत्यन्त विपन्न स्थिति के कारण मिठाई की दुकान में बर्तन धोने पड़े। दो साल बाद गाँव के सरपंच ने हलधर को पास ही के एक स्कूल में खाना पकाने के लिए नियुक्त कर दिया जहाँ उन्होंने 16 वर्ष तक काम किया। जब उन्हें लगा कि उनके गाँव में बहुत सारे विद्यालय खुल रहे हैं तो उन्होंने एक बैंक से सम्पर्क किया और स्कूली बच्चों के लिए स्टेशनरी और खाने-पीने की एक छोटी सी दुकान शुरू करने के लिए 1000 रुपये का ऋण लिया।

1990 में हलधर ने पहली कविता "धोधो बारगाजी" (अर्थ : 'पुराना बरगद') नाम से लिखी जिसे एक स्थानीय पत्रिका ने छापा और उसके बाद हलधर की सभी कविताओं को पत्रिका में जगह मिलती रही और वे आस-पास के गाँवों से भी कविता सुनाने के लिए बुलाए जाने लगे। लोगों को हलधर की कविताएँ इतनी पसन्द आईं कि वे उन्हें "लोक कविरत्न" के नाम से बुलाने लगे।

सन 2016 में हलधर नाग को भारत के राष्ट्रपति के द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

सन 2020 में पांडिचेरी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जयशंकर बाबू अपने कुलपति प्रोफेसर गुरमीत सिंह जी के मार्गनिर्देशन में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था, जिसमें हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक दिनेश कुमार माली संबलपुरी से हिन्दी में अनूदित उनकी कविताओं की पुस्तक "हलधर नाग का काव्य-संसार" का विमोचन हुआ और देश-विदेश के प्रतिभागियों द्वारा उनकी कविताओं पर गहन विमर्श हुआ। प्रोफेसर जयशंकर बाबू तथा अनुवादक दिनेश कुमार माली के संयुक्त सम्पादन में सन 2021 में उस विमर्श पर आधारित पुस्तक " हलधर नाग के लोक-साहित्य पर विमर्श" एवं दिनेश कुमार माली द्वारा अनूदित पुस्तक " रामायण प्रसंगों पर आधारित हलधर नाग के काव्य एवं युगीन विमर्श" पांडुलिपि प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई। इन पुस्तकों की लोकप्रियता को देखकर हिन्दी के गढ़ रायबरेली के फिरोज गांधी महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में 12 नवंबर 2022 को गौरव अवस्थी के नेतृत्व में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान की रजत जयंती पर हलधर नाग को डॉ राम मनोहर त्रिपाठी लोक सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने पद्म श्री पुरस्कार से पुरस्कृत प्रसिद्ध संबलपुरी कवि हलधर नाग की साहित्यिक कृतियों की समीक्षा को शामिल किया है। सूत्रों के अनुसार, लोकगीत और संस्कृति अध्ययन में मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) करने वाले छात्र अपने दूसरे वर्ष में 'फोकलोर: कैनन, मल्टीमेडियलिटी, इंटरडिसिप्लिनारिटी, और सोशल एपिस्टेमोलॉजी' नामक एक पाठ्यक्रम में हलधर नाग के लोक साहित्य का अध्ययन करेंगे। इस पुस्तक में नाग को वर्तमान समय में मौखिकता का सच्चा प्रतिनिधि बताया गया है। उनकी कृतियों की समीक्षा 'पूर्वी भारत से मौखिकता पर केस स्टडी' श्रेणी में की गई है। लोक साहित्य के शोधकर्ताओं के लिए लोक सामग्री के संग्रह, प्रलेखन और प्रसार के संबंध में कई चुनौतियों को विशेष रूप से ध्यान में रखते हुए इग्नू की अंग्रेजी प्रोफेसर नंदिनी साहू ने इग्नू के एमए (लोकगीत और संस्कृति अध्ययन) पाठ्यक्रम को तैयार किया है। प्रसिद्ध लेखक दिनेश कुमार माली ने हलधर नाग की कविता पर एमए कार्यक्रम के लिए एक अध्याय " ऑरलिटी : केस स्टडीज फ्रॉम नार्थ,साउथ,वेस्ट एंड ईस्ट" लिखा हैं।

प्रमुख कृतियाँ संपादित करें

हलधर नाग को अपनी सारी कविताएं और अब तक लिखे गए 20 महाकाव्य कण्ठस्थ हैं। हलधर समाज, धर्म, मान्यताओं और परिवर्तन जैसे विषयों पर लिखते हैं। उनका कहना है कि कविता समाज के लोगों तक सन्देश पहुँचाने का सबसे अच्छा तरीका है। सम्बलपुर विश्वविद्यालय में उनकी रचनाओं के संग्रह 'हलधर ग्रंथावली-2' को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है।

  • लोकगीत[2]
  • सम्पर्द[2]
  • कृष्णगुरु[2]
  • महासती उर्मिला[2]
  • तारा मन्दोदरी[2]
  • अछिया[2]
  • बछर[2]
  • शिरी समलाइ[2]
  • बीर सुरेन्द्र साइ[2]
  • करमसानी[2]
  • रसिया कवि (biography of Tulasidas)[2]
  • प्रेम पाइछन[2]
  • राति
  • चएत् र सकाल् आएला
  • शबरी
  • माँ
  • सतिआबिहा
  • लक्ष्मीपुराण
  • सन्त कबि भीमभोइ
  • ऋषि कबि गंगाधर
  • भाव
  • सुरुत
  • हलधर ग्रन्थावली -१ (फ्रेण्डस पब्लिसरस, कटक)
  • हलधर ग्रन्थावली -२ (सम्बलपुर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित, पाठ्यक्रमर में सम्मिलित)

हिन्दी में हलधर संपादित करें

हिन्दी के प्रख्यात लेखक दिनेश कुमार माली द्वारा उनकी निम्न कृतियों का हिन्दी में अनुवाद हुआ है

शबरी,रसिया कवि तुलसी दास, तारा मंदोदरी,महासती उर्मिला आदि का हिन्दी अनुवाद उनकी रामायण प्रसंगों पर हलधर के काव्य और युगीन विमर्श में शामिल है।

माँ समलेई और उनकी कुछ कविताओं का हिन्दी अनुवाद उनकी पुस्तक हलधर का काव्य-संसार में है।

महाभारत प्रसंगों पर हलधर नाग का काव्य प्रेम पहचान प्रकाशनाधीन है।

पांडिचेरी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संगोष्ठी के प्रतिभागियों के हलधर की कविताओं पर आलेख उनकी पुस्तक हलधर के लोक-साहित्य पर विमर्श में दिया गया है।

हलधर नाग की मौखिक स्मृति को लेकर दिनेश कुमार माली द्वारा उन पर लिखे गए आलेख ऑरलिटी- केस स्टडीज ऑफ नार्थ,साउथ,वेस्ट एंड ईस्ट में हलधर नाग के काव्यों पर आधारित विमर्श को इग्नू की प्रोफेसर नंदिनी साहू ने लोकगीत एवं संस्कृति के स्नातकोत्तर विषय में शामिल किया है।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. PrameyaNews7. "Odisha's Nila Madhab Panda and Kosli poet Haldhar Nag chosen for Padma Shri Award". Prameya News7. मूल से 30 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 January 2016.
  2. Sudeep Kumar Guru (25 September 2010). "Poetry makes him known as new Gangadhar Meher". The Telegraph (India). Ananda Publishers. मूल से 24 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 November 2010.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें