हस्तमैथुन (अंग्रेजी: masturbation) शारीरिक मनोविज्ञान से सम्बन्धित एक सामान्य प्रक्रिया का नाम है जिसे यौन सन्तुष्टि हेतु पुरुष हो या स्त्री, कभी न कभी सभी करते है।[1] इसे केवल युवा ही नहीं बल्कि बुड्ढे-बुड्ढे लोग भी लिंगोत्थान हेतु करते हैं इससे उन्हें यह अहसास होता है कि वे अभी भी यौन-क्रिया करने में सक्षम हैं।

मानव पुरुष लेटा हुआ, हस्तमैथुन के कार्य में

हस्तमैथुन से , अथवा अनैसर्गिक सम्बन्ध से , होने वाली बीमारियों की सूची पूरी - पूरी तय्यार ही नहीं की जा सकती । कामुकता के भाव की प्रचण्डता से मनुष्य की स्नायु - शक्ति का ह्रास होता है , यह स्नायु शक्ति वीर्य में रहती है , और वीर्य का एक औंस शरीर के किसी हिस्से के भी ४० औंस रुधिर के बराबर है । स्नायु - शक्ति के ह्रास से मनुष्य का शरीर हरेक प्रकार की बीमारी को निमन्त्रण देने के लिये हर समय तय्यार रहता है । इस प्रकार जो बीमारियाँ शरीर में प्रवेश करती हैं उन का भी कारण मनुष्य का अस्वाभाविक जीवन ही है । कामुकता से वीर्य तथा स्नायु - शक्ति दोनों का ह्रास होता है आत्मव्यभिचार से वीर्य तथा स्नायु- सम्बन्धी अनेक उपद्रवों का उठ खड़े होना स्वाभाविक है ।[2] आखिर , शरीर के रुधिर ही से तो वीर्य बनता है । जो वीर्यनाश करता है वह इस रुधिर ही के कोश को खाली करता है और ज्यों - ज्यों यह आदत जड़ पकड़ती जाती है त्यों - त्यों रुधिर में कमी आ जाती है । इसीलिये हस्तमैथुन के शिकार को उन सब बीमारियों का शिकार भी बनना पड़ता है जो रुधिर की कमी से होती हैं । सिर के बाल उड़ जाते हैं , सफेद हो जाते हैं , आँखों में ज्योति नहीं रहती , वे अन्दर धँस जाती हैं और उन के इर्द - गिर्द काला - काला घेरा बन जाता है । दाँत ख़राब होने लगते हैं , चेहरे पर रौनक नहीं रहती । छाती सिकुड़ जाती है , कन्धे झुक जाते हैं , हाज़मा बिगड़ जाता है । जब कुछ पचता नहीं तब या तो कब्ज हो जाती है या दस्त लग जाते हैं । शरीर भूखा - सा रहता है । क्षीण रुधिर पुष्टि चाहता है ; यह पुष्टि दवा - दारु से नहीं मिल सकती , वाजीकरण औषधियों से नहीं मिल सकती , यह मिलती है खुले द्वार को बन्द कर देने से , वीर्य की रक्षा करने से। हृदय में भी पर्याप्त रुधिर नहीं पहुँच पाता , वह धड़कने लगता है और खून के न मिल सकने से फेफड़े भी क्षीण होने लगते हैं । अंतड़ियों में भी खून की कमी हो जाती है।[3] अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करना युवा लड़कों तथा लड़कियों के लिये उस समय आवश्यक हो जाता है जब उनकी किसी कारण वश शादी नहीं हो पाती या वे असामान्य रूप से सेक्सुअली स्ट्रांग होते हैं। अब तो विज्ञान द्वारा भी यह सिद्ध किया जा चुका है कि इससे कोई हानि नहीं होती। पुरुषों की तरह महिलाएँ भी अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित करने के तरीके खोज लेती हैं जो उन्हें बेहद संवेदनशील अनुभव और प्रबल उत्तेजना प्रदान करते हैं। फिर चाहें वे अकेली हों या अपनी महिला पार्टनर के साथ। महिलाएँ यदि अपने यौनांगों को स्वयं उत्तेजित न करें तो इस बात की भी सम्भावना बनी रहती है कि विवाह के बाद सेक्स क्रिया के दौरान उन्हें पर्याप्त उत्तेजना से वंचित रहना पड़े। औसत तौर पर पुरुष 12-13 वर्ष की उम्र में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं जबकि महिलाएँ तरुणाई (13 से 19 वर्ष) के अन्तिम दौर में हस्तमैथुन का आनन्द लेना शुरू करती हैं, लेकिन उनमें यह मामला इतना ढँका और छिपा हुआ रहता है कि कभी किसी चर्चा में भी सामने नहीं आ पाता। पूर्ण तरुण होने पर हस्तमैथुन का मामला खुले रहस्य की ओर झुकाव तो लेने लगता है पर ज्यादातर लोग इस मामले पर पर्दा ही पड़े रहना देना बेहतर समझते हैं। लेकिन अब जमाना बिल्कुल बदल गया है। अब कुछ ऐसे युवा तैयार हो रहे हैं जो इन वर्जनाओं को तोड़ कर हस्तमैथुन के तरीकों पर चर्चा में खुलकर हिस्सा ले रहे हैं।

दुआवृत्ति, आयु और लिंग

पुरुष हस्तमैथुन में वीर्य स्खलन का वीडियो

हस्तमैथुन की आवृत्ति कई कारकों से निर्धारित होती है, उदाहरण के लिए, यौन तनाव का प्रतिरोध, यौन उत्तेजना को प्रभावित करने वाले हार्मोन का स्तर, यौन आदतें, सहकर्मी प्रभाव, स्वास्थ्य और संस्कृति द्वारा गठित हस्तमैथुन के प्रति व्यक्ति का रवैया; ई. हेबी और जे. बेकर ने बाद की जांच की।[4] चिकित्सा कारणों को भी हस्तमैथुन से जोड़ा गया है।[5][6][7]

विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि हस्तमैथुन अक्सर मनुष्यों में होता है। अमेरिका की आबादी पर अल्फ्रेड किन्से के 1950 के अध्ययनों से पता चला है कि 92% पुरुषों और 62% महिलाओं ने अपने जीवनकाल में हस्तमैथुन किया है। [29] इसी तरह के परिणाम 2007 के ब्रिटिश राष्ट्रीय संभाव्यता सर्वेक्षण में पाए गए हैं। यह पाया गया कि, १६ से ४४ वर्ष की आयु के व्यक्तियों के बीच, ९५% पुरुषों और ७१% महिलाओं ने अपने जीवन में कभी न कभी हस्तमैथुन किया। ७३% पुरुषों और ३७% महिलाओं ने अपने साक्षात्कार से चार सप्ताह पहले हस्तमैथुन करने की सूचना दी, जबकि ५३% पुरुषों और १८% महिलाओं ने पिछले सात दिनों में हस्तमैथुन करने की सूचना दी।[8]

मर्क मैनुअल कहता है कि ९७% पुरुषों और ८०% महिलाओं ने हस्तमैथुन किया है और आम तौर पर, पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक हस्तमैथुन करते हैं।[9]

तकनीक

पुरुष कैसे करते हैं

पुरुष अपने शिश्न या लिंग को अपनी मुट्ठी में दबाकर या अपनी अँगुलियाँ से पकड़ कर इसे तेजी से रगड़ना या शिश्न के ऊपर की त्वचा को आगे-पीछे हिलाना शुरु करते हैं। यह प्रक्रिया कभी-कभी वे लिंगमुण्ड पर चिकनाई लगाकर भी करते हैं। इस कार्य में उन्हें अपार आनन्द की अनुभूति होती हैं। ये कार्य वे तब तक जारी रखते हैं जब तक उनका वीर्यपात या वीर्य स्खलन नहीं हो जाता।

इसके अतिरिक्त कभी कभार पुरुष तकिये के बीच में अपना लिंग दबा कर धीरे-धीरे आगे पीछे धक्का देते हुए इस तरह हिलाते हैं मानो वे किसी स्त्री की योनि में अपना पुरुषांग प्रविष्ठ कर रहे हों। अब तो कई प्रकार के नकली महिला जननांग भी बाजार में उपलब्ध हैं जो सॉफ्ट फाइवर के बने होते हैं और महिला जननांग जैसा ही अनुभव देते हैं। कुछ पुरुषों द्वारा इस प्रकार के उपाय भी स्वयं की यौन-सन्तुष्टि हेतु किये जाते हैं।

इसके अलावा पुरुष और भी नई तकनीकों से हस्तमैथुन का आनंद लेते है जैसे पानी की बोतल से, चारपाई में फसा कर।

स्त्रियाँ कैसे करती हैं

स्त्रियाँ अपनी योनि को हिलाना या रगड़ना शुरू करती हैं। खासतौर पर वे अपने भगोष्ट को अपनी तर्जनी या मध्यमा अँगुली से हिलाती हैं। कभी-कभी योनि के अन्दर एक या दो से ज्यादा अँगुलियाँ डालकर उस हिस्से को हिलाना शुरू करती हैं जिस स्थान पर जी स्पाट होता है इसके लिए वे वाइब्रेटर अथवा डिल्डो का सहारा भी लेती हैं। बहुत सी महिलाएँ इसके साथ साथ अपने वक्षों को भी रगड़ती हैं। कुछ महिलाएँ उँगली डालकर गुदा को भी उत्तेजित करती हैं। कुछ इसके लिये कृत्रिम चिकनाई का प्रयोग भी करती है लेकिन बहुत सी महिलाएँ प्राकृतिक चिकनाई को ही काफी समझती हैं। कुछ स्त्रियाँ 2-3 मिनट में संतुष्‍ट हो जाती हैं और कुछ स्त्रियाँ संतुष्‍ट होने के लिए इसके लिए 15-20 मिनट का समय लेती हैं।

कुछ महिलाएँ केवल विचार और सोच मात्र से ही मदनोत्कर्ष (स्वत:स्खलन सीमा) तक पहुँच जाती हैं। कुछ महिलाएँ अपनी टाँगें कसकर बन्द कर लेती हैं और इतना दबाव डालती हैं जिससे उन्हें स्वत: यौन-सुख अनुभव हो जाता है। ये काम वे सार्वजनिक स्थानों पर भी बिना किसी की नजर में आये कर लेती हैं। इस क्रिया को महिलाएँ बिस्तर पर सीधी या उल्टी लेटकर, कुर्सी पर बैठकर या उकडूँ बैठकर भी करती हैं। लेकिन ऐसी कोई भी क्रिया जिसे बिना शारीरिक सम्पर्क के पूरा किया जाता है इस श्रेणी में नहीं आती।

भारतवर्ष में महिलाओं द्वारा हस्‍तमैथुन के लिये सब्जियाँ यथा लम्बे वाले बैंगन, खीरा, गाजर, मूली, ककडी आदि अपने जननांग में प्रविष्‍ठ कराकर भी सन्तुष्टि प्राप्‍त की जाती है। कुछ स्कूल में पढने वाली किशोर बालिकायें अपनी योनि में मोटा वाला कलम (पेन), मोमबत्ती या मोटी पेन्सिल डालकर हिलाती हैं। इस क्रिया से भी उन्हें चरमोत्कर्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह भी देखा गया है कि कुछ महिलायें पलंग के किनारे अथवा किसी मेज के किनारे से अपने यौनांग रगड़ कर ही यौन-सुख प्राप्‍त कर लेती हैं।

परस्पर हस्तमैथुन

 
एक स्त्री व एक पुरुष परस्पर हस्तमैथुन करते हुए

जब स्त्री-पुरुष दोनों एक दूसरे को यौन सुख देने के लिये एक दूसरे का हस्तमैथुन करते है तो उसे अंग्रेजी में नाम दिया गया है-"ओननिज़्म"।

हस्तमैथुन एक व्यक्ति के जननांगों की यौन उत्तेजना को भी प्रभावित करता है। आमतौर पर संभोग से पूर्व स्त्री-पुरुषों में यह उत्तेजना मैन्युअली प्राप्त की जाती है। शारीरिक सम्पर्क (संभोग से कम) किये बिना अन्य प्रकार की वस्तुओं या उपकरणों के उपयोग द्वारा भी परस्पर हस्तमैथुन एक आम बात है जो एक पुरुष साथी अपनी दूसरी महिला साथी को अधिक समय तक यौन सन्तुष्टि प्राप्त करने के लिये करते हैं। अंग्रेजी में इसे "फोरप्ले" कहा जाता है।

पुरुषों और महिलाओं में और भी तकनीकों से हस्तमैथुन के लक्षण पाये जाते हैं, लेकिन इन तरीकों से हस्तमैथुन के अध्ययन में यह पाया गया है कि हस्तमैथुन स्त्री या पुरुष दोनों ही लिंगों और सभी उम्र के इंसानों में अक्सर होता है। यद्यपि वहाँ भिन्नता हो सकती है पर अपवाद नहीं। विभिन्न चिकित्सा पद्धति से मनोवैज्ञानिक लाभ पहुँचा कर यौन क्रिया को सामान्य करने के लिये भी हस्तमैथुन को स्वस्थ प्रक्रिया ठहराया गया है।

सदियों से चली आयी यह धारणा आज गलत सिद्ध हो चुकी है कि हस्तमैथुन से शारीरिक अक्षमता आती है बल्कि आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में "प्रतिदिन एक ओगाज़्म (यौनतुष्टि) हमेशा-हमेशा के लिये डॉक्टर को दूर रखता है।" जैसा क्रान्तिकारी नारा भी मैराथन (लम्बे) स्वास्थ्य के लिये दे दिया गया है।

प्रोस्टेट ग्रंथि एक अंग है जो वीर्य के लिये तरल पदार्थ का योगदान करता है, जैसा कि प्रोस्टेट को गुदा के अन्दर उँगली डालकर महसूस किया जा सकता है। ऐसा करने से भी कभी-कभी आनन्द मिलता है; अत: यह भी हस्तमैथुन का एक तरीका है।

म्युचुअल हस्तमैथुन सभी यौन झुकाव के लोगों द्वारा किया जाने वाला एक अभ्यास है जो पुरुष-लिंग को स्त्री-योनि में प्रवेश किये बिना एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। किशोरियों में उनके कौमार्य को संरक्षित करने के लिये या गर्भावस्था को रोकने के लिये भी यह सहायक हो सकता है। कुछ लोग इसे आकस्मिक सेक्स करने के लिये भी एक विकल्प के रूप में चुनते हैं, क्योंकि यह वास्तविक सेक्स के बिना ही यौन-सन्तुष्टि देता है। कुछ युवा लोगों के लिये, अपने दोस्तों के साथ परस्पर एक दूसरे का लिंग आपस में रगडकर यौन सन्तुष्टि में मदद करता है। कुछ लोगों को यह मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया उनके अपने ओगाज़्म को विकसित करने अथवा अपने सुख में वृद्धि करने के लिये अधिक समय तक हस्तमैथुन करने के लिये प्रेरित भी करती है।

परस्पर हस्तमैथुन जोड़े या समूहों में पुरुषों या महिलाओं द्वारा किया जा सकता है या फिर किसी अन्य व्यक्ति को छूकर या बिना सम्पर्क द्वारा भी सम्पन्न हो सकता है।

विकासवादी उपयोगिता

महिला हस्तमैथुन

महिला हस्तमैथुन योनि, गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय में स्थितियों को इस तरह से बदल देता है, जो हस्तमैथुन के समय के आधार पर संभोग से गर्भधारण की संभावना को बदल सकता है। गर्भाधान के एक मिनट पहले और 45 मिनट के बीच एक महिला का संभोग उस शुक्राणु के उसके अंडे तक पहुंचने की संभावना का पक्षधर है। यदि, उदाहरण के लिए, उसने एक से अधिक पुरुषों के साथ संभोग किया है, तो ऐसा संभोग उनमें से किसी एक द्वारा गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकता है।[10][11] महिला हस्तमैथुन गर्भाशय ग्रीवा के बलगम की अम्लता को बढ़ाकर और गर्भाशय ग्रीवा से मलबे को बाहर निकालकर गर्भाशय ग्रीवा के संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान कर सकता है।[11]

पुरुषों में, हस्तमैथुन पुरुष के जननांग पथ से कम गतिशीलता वाले पुराने शुक्राणु को बाहर निकाल देता है। अगले स्खलन में अधिक ताजे शुक्राणु होते हैं, जिनके संभोग के दौरान गर्भाधान की संभावना अधिक होती है। यदि एक से अधिक पुरुष किसी महिला के साथ संभोग करते हैं, तो उच्चतम गतिशीलता वाले शुक्राणु अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करेंगे।[12][13][14]

हस्तमैथुन पर शोध

 
मध्यप्रदेश में खजुराहो में एक मंदिर राहत, भारत में एक जोड़े और एक औरत के साथ हस्तमैथुन करने वाली महिला के साथ यौन संबंध में एक जोड़ा है

हस्तमैथुन की आवृत्ति कई कारकों, जैसे यौन तनाव, हार्मोनल यौन आदतों, सहकर्मी को प्रभावित करने की मनोवृत्ति, उत्तम स्वास्थ्य और पारस्परिक यौन-क्रिया संस्कृति के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। मसलन कोई एक दिन में एक बार, कोई दो बार करता है। यह ठीक उसी तरह जैसे कि भोजन कोई एक बार करता है तो कोई दो बार। इसका सम्बन्ध व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। विभिन्न अध्ययनों में यह निष्कर्ष पाया गया है कि हस्तमैथुन मानवीय प्राणियों में अक्सर होता ही है। अमेरिका की आबादी पर अल्फ्रेड किन्से द्वारा 1950 अध्ययनों से पता चला है कि पुरुषों की 92% और महिलाओं की 62% संख्या में उनके जीवन काल के दौरान हस्तमैथुन की घटनाएँ पायी गयीं। इसी तरह के परिणाम 2007 में किये गये ब्रिटिश राष्ट्रीय सम्भाव्यता सर्वेक्षण में भी पाये गये। उसके अनुसार 16 से 44 वर्ष की आयु वर्ग के व्यक्तियों में पुरुषों की संख्या में 95% और महिलाओं की संख्या में 71% के बीच हुए सर्वेक्षण में पुरुषों की 73% और महिलाओं की 37% संख्या ने अपने साक्षात्कार के दौरान पहले चार हफ्तों में एक बार हस्तमैथुन किये जाने की सूचना दी, जबकि एक अन्य सर्वेक्षण में पुरुषों की 53% और महिलाओं की 18% संख्या ने पिछले सात दिनों में एक बार हस्तमैथुन करने की सूचना दी।

2009 में, ब्रिटेन सरकार द्वारा किशोरावस्था में कम से कम दैनिक हस्तमैथुन करने के लिए प्रोत्साहित करने की रेस में नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय देश भी शामिल हो गये। प्रतिदिन एक ओगाज़्म उनकी स्वास्थ्य निर्देश पुस्तिका में एक अधिकार के रूप में परिभाषित किया गया था। यह अन्य यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से डाटा और अनुभव के जवाब में किया गया था। ऐसा करने से किशोरों में अवांछित गर्भावस्था को रोकने, यौन रोगों (एस०टी०डी०) को कम करने और स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने में सहायक बताया गया।

हस्तमैथुन के नुकसान

शारीरिक

हस्तमैथुन या सहवास के द्वारा वीर्य नाश में वेदना तन्तुओं का जो तनाव होता और उस से शरीर को जो धक्का पहुँचता है वह इतना भयंकर होता है कि उस से सम्भोग के बाद अनुभव होने वाले दुष्परिणामों का होना सर्वथा स्वाभाविक है । पशुओं में यही देखने में आया है । प्रथम सम्भोग के बाद बड़े - बड़े तय्यार बैल और घोड़े बेहोश होकर गिर पड़ते हैं, सूअर संज्ञाहीन हो जाते हैं , घोड़ियाँ गिर कर मर जाती हैं । मनुष्यों में मौत तो देखी ही गई है परन्तु उस के साथ ही सम्भोग के बाद की थकान से अनेक उपद्रव भी उत्पन्न हो जाते हैं । कभी-कभी कई दुर्घटनाएँ होती देखी गई हैं । नवयुवकों मे प्रथम संभोग से बेहोशी, उल्टी, पेशाब आना, दस्त जैसी समस्याएं देखी गई हैं। मिर्गी का मामला बहुत कम दर्ज किया गया है। विभिन्न अंगों पर घाव, यहां तक ​​कि प्लीहा का टूटना भी कभी-कभी हुआ है। परिपक्व उम्र के पुरुषों में धमनियां कभी-कभी उच्च रक्तचाप का विरोध करने में असमर्थ हो जाती हैं, और पक्षाघात के साथ मस्तिष्क रक्तस्राव हो जाता है। वृद्ध पुरुषों के वेश्याओं के साथ अनुचित संबन्ध का परिणाम अनेक बार मृत्यु देखा गया है । अनेक पुरुष नव-विवाहिता वधुओं के आलिंगन के आवेग को नहीं सह सके और उसी अवस्था में प्राण-विहीन हो गये ।[15][16]

  • तंत्रिका तंत्र सबसे अधिक प्रभावित होता है।
  • हृदय के अलावा, पाचन तंत्र, मूत्र प्रणाली के साथ-साथ अन्य प्रणालियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और परिणामस्वरूप पूरा शरीर गंभीर कमजोरी के साथ रोगों का संग्रहालय बन जाता है।
  • आँखें धँस जाती हैं, गालों की हड्डियाँ उभर आती हैं और आँखों के चारों ओर काला किनारा हो जाता है।
  • लगातार सिरदर्द और पीठ दर्द, चक्कर आना और याददाश्त का कम होना।
  • हल्के से परिश्रम से हृदय का धड़कना । घबराहट होना। कोई भी भारी शारीरिक या मानसिक कार्य करने में असमर्थ होना।
  • व्यक्ति किसी भी सामाजिक गतिविधियों को नापसंद करता है और एकांत में बैठना पसंद करता है और कमजोरी से ग्रस्त रहता है। सारी इन्द्रियाँ क्षीण हो जाती हैं।
  • दृष्टि धुंधली हो जाती है, जीभ लड़खड़ाने लगती है और कान बहरे हो जाते हैं आदि।
  • अंत में टी.बी. क्षयरोग या पागलपन या कोई अन्य गंभीर बीमारी पीड़ित को जकड़ लेती है और उसका जीवन समाप्त कर देती है।
  • नपुंसकता [17][18][19]

मानसिक

इस बुरी आदत का शरिर के अतिरिक्त मन एवं मष्तिष्क पर बहुत गहरा एवं विस्तृत प्रभाव पड़ता है। सेक्सुअल साइंस पुस्तक के उद्धरणों के अनुसार -

  • मैथुन करते करते कई चूहों की मृत्यु होती देखी गई है और मृत्यु का कारण छोटे - मस्तिष्क का निश्चेष्ट हो कर मूर्च्छा में आ जाना होता है ।
  • रानहर्न्स का कथन है कि ४० वर्ष के एक व्यक्ति को विवाह की पहली रात्री में ही मूर्छा आ गई । इलाज करने पर वह अच्छा तो हो गया परन्तु अपनी इच्छाओं पर काबू न रख सकने के कारण जब उस ने अपने को खुला छोड़ा तो फिर मूर्छा का दौर हुआ और उस की मृत्यु हो गई ।
  • सेर्स एक ३२ वर्ष के आदमी का जिक्र करता है जिसे मैथुन की अवस्था में ही मूर्छा आ गई।
  • वह उस से पहले दबादब शराब के प्याले-पर-प्याले चढ़ा रहा था । मृत्यु के समय तक उसे उत्तेजना बनी रही । जब उस का शवच्छेदन किया गया तब उस के छोटे-मस्तिष्क के मध्य खण्ड़ में सूजन के चिन्ह दिखाई दिये , मस्तिष्क तत्व कई जगहों से फटा हुआ मिला और दिमाग़ के अन्दर की कई थैलियों में रुधिर भरा हुआ पाया गया ।
  • एन्ड्रल ने एक ५० वर्ष के आदमी का ज़िक्र किया है जिसे किसी वेश्या के घर से बाहर निकलते ही मूर्छा आ गई । उसे अस्पताल लाया गया । वहाँ जाकर वह मर गया । मस्तिष्क चीर कर देखने से ज्ञात हुआ कि उस का छोटा-मस्तिष्क सारा खराब हो गया था और उस का कुछ - कुछ प्रभाव बड़े दिमाग पर भी होने लगा था ।
  • सेरीज़ ने भी एक विषयी आदमी का उल्लेख किया है । वह एक दिन किसी वेश्या के घर में गया और उस के बाद दो दिन में मर गया । उस के दिमाग़ को चीरन से छोटे - मस्तिष्क में रक्त संचय पाया गया ।
  • डॉ ० गियोट ने एक ५२ वर्ष के विषयी वृद्ध का वर्णन करते हुए लिखा है कि उसे मस्तिष्क में रक्त - संचय के आक्रमण बारबार हुए , उस का शरीर हृष्ट - पुष्ट था इसलिये कुछ दिनों तक तो वह सब बर्दाश्त करता रहा परन्तु अन्त में पागल हो गया । उसे की बीमारी जल्दी - जल्दी बढ़ने लगी , नीचे के हिस्से में अर्धांग हो गया और १२ घण्टों में ही वह बेचारा चल बसा |
  • डेलैन्डीज़ एक लड़की का उल्लेख करता है । वब बचपन में ही कुसंगति में पड गई थी और अन्त में वेश्या बन गई । उस के गुह्यांगों में इतनी जलन होती थी कि सूजन उत्पन्न हो गई । उस का कुछ इलाज भी न हो सका । अन्त में मृत्यु ने उस का इस दुःख से निस्तार किया । दिमाग़ चीरने से देखा गया कि उसका छोटा - मस्तिष्क रुधिर शून्य होने के कारण स्पर्श में कठोर हो गया था ।
  • इसी लेखक ने एक २० वर्ष के युवक का उल्लेख किया है । वह छुटपन से ही हस्त मैथुन का शिकार हो गया था । सब उपाय कर लिये गये थे परन्तु उस की यह आदत छूटती ही न थी । उसे कभी - कभी मृगी का दौर होता था । वह एक अस्पताल में भर्ती हो गया । इस समय उस का वीर्यनाश होना बन्द न हुआ । अन्त में तीन महीने के बाद वह बिल्कुल सूख कर मर गया । चीरने पर उस के छोटे - दिमाग में एक गाँठ पायी गई ।
  • एक दस वर्ष की लड़की जिसे हस्त मैथुन की लत पड़ गई थी एकान्त प्रिय तथा दुःखित सी रहा करती थी । चार महीने तक उस के सिर दर्द होता रहा जो कि अन्त में इतना बढ़ा कि वह तीन हफ्ते तक लगातार दिन - रात रोती रही और अन्त में मर गई । मरने से पहले उसे अस्पताल पहुँचाया गया । डाक्टर लोग पूछ - ताछ करने पर केवल इतना जान सके कि वह १२ दिन तक बिस्तर में ही पड़ी रही थी , बार - बार उसे पित्त की कय आती थी , हर समय ऊँघती रहती थी , चारों तरफ के लोगों का उसे कुछ ख्याल तक न रहंता था ! उस का सिर हर समय नीचे लटका रहता था , और हाथ सिर पर पड़े रहते थे । मरने से चार दिन पहले वह प्रगाढ़ निद्रा में सो रही थी , प्रकाश का उसे कुछ ज्ञान न था , कभी - कभी आँखें थोड़ी - सी खोल देती थी । उस का छोटा - मस्तिष्क चीर कर देखा गया तो ऊपर वाला हिस्सा तो सारे - का - सारा सड़ाँद से भरा हुआ था और बाकी हिस्सा भी कुछ - कुछ गल - सा गया था ।
  • कोम्बेट ने एक ११ वर्ष की लड़की का उल्लेख किया है । उसे भी यही लत थी और इसी के कारण उस का छोटा - मस्तिष्क बिलकुल सड़ - गल गया था । जो हिस्सा पूरा नहीं गला था वहाँ लिसलिसी भिल्ली अभी शेष थी । [20]

इन्हें भी देखें

  • वाइब्रेटर (सेक्स खिलौना)
  • वीर्य
  • मिशनरी पोजीशन
  • नो-फैप (NoFap) - हस्तमैथुन से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति सजग करने वाली वेबसाइट एवं सम्प्रदाय।
  • ऑर्गेज्म/ चरमोत्कर्ष/ चरमोत्कर्ष/ क्‍लाइमेक्‍स

सन्दर्भ

  1. "हस्तमैथुन के ये हैं पांच फ़ायदे". मूल से 29 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2018.
  2. सिद्धान्तालंकार, प्रोफेसर सत्यव्रत. "7". ब्रह्मचर्य्य - संदेश (Hindi में). लोहार चौल , बम्बई २: दी शर्मा ट्रेडिंग कम्पनी. पृ॰ 128. एक प्रख्यात डॉक्टर का कथन है कि हस्तमैथुन से , अथवा अनैसर्गिक सम्बन्ध से , होने वाली बीमारियों की सूची पूरी - पूरी तय्यार ही नहीं की जा सकती । कामुकता के भाव की प्रचण्डता से मनुष्य की स्नायु - शक्ति का ह्रास होता है , यह स्नायु शक्ति वीर्य में रहती है , और वीर्य का एक औंस शरीर के किसी हिस्से के भी ४० औंस रुधिर के बराबर है । स्नायु - शक्ति के ह्रास से मनुष्य का शरीर हरेक प्रकार की बीमारी को निमन्त्रण देने के लिये हर समय तय्यार रहता है । इस प्रकार जो बीमारियाँ शरीर में प्रवेश करती हैं उन का भी कारण मनुष्य का अस्वाभाविक जीवन ही है । कामुकता से वीर्य तथा स्नायु - शक्ति दोनों का ह्रास होता है आत्मव्यभिचार से वीर्य तथा स्नायु- सम्बन्धी अनेक उपद्रवों का उठ खड़े होना स्वाभाविक है ।सीएस1 रखरखाव: स्थान (link) सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  3. सिद्धान्तालंकार, प्रोफेसर सत्यव्रत. "7". ब्रह्मचर्य्य संदेश (Hindi में). लोहार चौल , बम्बई २: दी शर्मा ट्रेडिंग कम्पनी. पृ॰ 126.सीएस1 रखरखाव: स्थान (link) सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  4. Heiby, Elaine; Becker, James D. (April 1980). "Effect of filmed modeling on the self-reported frequency of masturbation". Arch. Sex. Behav. 9 (2): 115–21. PMID 7396686. S2CID 25846450. डीओआइ:10.1007/BF01542263.
  5. De Alwis, AC; Senaratne, AM; De Silva, SM; Rodrigo, VS (September 2006). "Bladder calculus presenting as excessive masturbation". Ceylon Med. J. 51 (3): 121–2. PMID 17315592. डीओआइ:10.4038/cmj.v51i3.1258.
  6. Ozmen, Mine; Erdogan, Ayten; Duvenci, Sirin; Ozyurt, Emin; Ozkara, Cigdem (2004). "Excessive masturbation after epilepsy surgery". Epilepsy & Behavior. 5 (1): 133–136. PMID 14751219. S2CID 39640813. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1525-5050. डीओआइ:10.1016/j.yebeh.2003.10.009.
  7. Lopez-Meza, Elmer; Corona-Vasquez, Teresa; Ruano-Calderon, Luis A.; Ramirez-Bermudez, Jesus (2005). "Severe impulsiveness as the primary manifestation of multiple sclerosis in a young female". Psychiatry and Clinical Neurosciences. 59 (6): 739–742. PMID 16401253. S2CID 20468990. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1323-1316. डीओआइ:10.1111/j.1440-1819.2005.01446.x.
  8. Gerressu, Makeda; Mercer, Catherine H.; Graham, Cynthia A.; Wellings, Kaye; Johnson, Anne M. (2007-02-27). "Prevalence of Masturbation and Associated Factors in a British National Probability Survey". Archives of Sexual Behavior. 37 (2): 266–278. PMID 17333329. S2CID 7372754. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0004-0002. डीओआइ:10.1007/s10508-006-9123-6.
  9. Brown, MD, George R. "Overview of Sexuality". Merck Manuals Consumer Version. मूल से 20 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 July 2015.
  10. Baker, Robin (June 1996). Sperm Wars: The Science of Sex. Diane Books Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7881-6004-2.
  11. Baker, Robin R.; Bellis, Mark A. (November 1993). "Human sperm competition: Ejaculate manipulation by females and a function for the female orgasm". Animal Behaviour. 46 (5): 87, 23p. S2CID 53165064. डीओआइ:10.1006/anbe.1993.1272.
  12. Thomsen, Ruth (October 2000). Sperm Competition and the Function of Masturbation in Japanese Macaques (Text.PhDThesis). Ludwig-Maximilians-Universität München. http://edoc.ub.uni-muenchen.de/105/. 
  13. Baker, Robin R.; Bellis, Mark A. (November 1993). "Human sperm competition: Ejaculate adjustment by males and the function of masturbation". Animal Behaviour. 46 (5): 861, 25p. S2CID 53201940. डीओआइ:10.1006/anbe.1993.1271.
  14. Shackelford, Todd K.; Goetz, Aaron T. (February 2007). "Adaptation to Sperm Competition in Humans" (PDF). Current Directions in Psychological Science. 16 (1): 47–50. S2CID 6179167. डीओआइ:10.1111/j.1467-8721.2007.00473.x.
  15. Ellis, Havelock (1906). Erotic symbolism; The mechanism of detumescence; The psychic state in pregnancy (Eng में). Philadelphia, F.A.Davis Co. पपृ॰ 168–169. अभिगमन तिथि 2009-10-05. When we have realized how profound is the organic convulsion involved by the process of detumescence , and how great the general motor excitement involved , we can understand how it is that very serious effects may follow coitus . Even in ani mals this is sometimes the case . Young bulls and stallions have fallen in a faint after the first congress ; boars may be seriously affected in a similar way ; mares have been known even to fall dead . In the human species , and especially in men - probably , as Bryan Robinson remarks , because women are protected by the greater slowness with which detumescence occurs in them not only death itself , but innumerable disorders and accidents have been known to follow immediately after coitus , these results being mainly due to the vascular and muscular excitement in volved by the processes of detumescence . Fainting , vomiting ,urination , defæcation have been noted as occurring in young men after a first coitus . Epilepsy has been not infrequently recorded . Lesions of various organs , even rupture of the spleen , have sometimes taken place . In men of mature age the arteries have at times been unable to resist the high blood - pressure , and cerebral hæmorrhage with paralysis has occurred . In elderly men the excitement of intercourse with strange women has sometimes caused death , and various cases are known of emi nent persons who have thus died in the arms of young wives or of prostitutes.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  16. सिद्धान्तालंकार, प्रोफेसर सत्यव्रत (1928). "12". ब्रह्मचर्य्य संदेश (Hindi में). लोहार चौल, बम्बई - २: दी शर्मा ट्रेडिंग कम्पनी. पृ॰ 221. अभिगमन तिथि 2017-01-17.सीएस1 रखरखाव: स्थान (link) सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  17. Sayeed, Ahmad (2002). Homoeopathic Management of Male Sexual Disorders (English में). B. Jain Publishers Pvt. Limited. पृ॰ 9. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788170218364. Some of the after effects of masturbation are : The nervous system is affected the most . Besides the heart , the digestive system , the urinary system as well as the other systems are adversely affected and consequently the whole body becomes the museum of diseases with profound weakness . The eyes become sunken , the cheek bones protrude and there is a black rim round the eyes . Continuous headache and backache . Dizziness and loss of memory . Palpitation of heart on lightest exertion . Nervousness . Unable to perform any heavy physical or mental work . The person dislikes any company and activities and rather likes to sit in seclu sion and suffers from weakness . All the senses are impaired . Vision becomes dim , the tongue begins to stammer and ears tend to become deaf etc. Lastly T.B. or insanity or some other serious disease catch hold of the victim to lead his life to a close . Impotency .सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  18. "The Pacific Coast Journal of Homeopathy". The Pacific Coast Journal of Homeopathy. Boer I ke & Runyon. 5: 455. 1897 – वाया Google. Masturbation does cause insanity in a small percentage of cases , and it is specially injurious as a habit in the very young , or in those of weak nervous organization . In such it may cause physical and mental arrest of development . " Kel logg further shows that the more disastrous effects of the practice are along the lines of the moralities , and that it is , physically , less exhausting on the brain centers than sexual ex cess of the normal sort . Unnatural or solitary indulgence favors spinal disease , while excessive natural sexual gratification leads directly to cortical degeneration of the brain .
  19. बनर्जी, डॉ. प्रणव कुमार. Homoeopathy: Vishistha Aushadhiyan (Hindi में). 21 ए, दरियागंज, नयी दिल्ली 110002: वाणी प्रकाशन. पृ॰ 35. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-8143-069-7. एक 32 वर्षीय युवक जो किशोरावस्था में लगातार हस्तमैथुन करता रहा स्मरण शक्ति की भारी कमजोरी से पीड़ित था ।सीएस1 रखरखाव: स्थान (link) सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  20. Siddhantalankar, Pro. Satyavrat (1928). "7". Brahmcharya - Sandesh (Hindi में). लाहौर चौल, बम्बई २: दी शर्मा ट्रेडिंग कम्पनी. पपृ॰ 132–134. अभिगमन तिथि 2017-01-17.सीएस1 रखरखाव: स्थान (link) सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)

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