1967 नाथू ला और चो ला संघर्ष

१९६७ की नाथू ला और चो ला संघर्ष , भारत और चीन के बीच चोला और नाथूला पास में ४ दिन की युद्ध सैन्य झड़पों की एक शृंखला थी, जिस में चीन को करारी हार मिली थी।[6][7] चीन के ३४० से अधिक सैनिक मारे गए थे जबकि भारत के ८८ सैनिक शहीद हुएं [8]

१९६७ नाथू ला और चो ला संघर्ष
China India Locator (1959).svg
World map from 1967 with China and India highlighted
तिथि ११–१४ सितंबर १९६७ (नाथूला)
१ अक्टूबर १९६७ (चो ला)
स्थान नाथूला दर्रा और चो ला, भारत और चीन की सीमा पर
परिणाम  India जीता
  • नाथूला और चो ला से चीनी सेना पीछे हटी [1][2][3]
योद्धा
 India  China
सेनानायक
ज़ाकिर हुसैन
(भारत के राष्ट्रपति)
इन्दिरा गांधी
(प्रधानमन्त्री)
स्वर्ण सिंह
(भारत के रक्षा मंत्री)
जनरल परमशिव प्रभाकर कुमारमंगलम
(थल सेनाध्यक्ष)
जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा[4]
मेजर जनरल सगत सिंह[4]
माओ से-तुंग
(साम्यवादी (कम्युनिस्ट) दल के नेता])
वांग चेंगहान[5]
(तिब्बत सैन्य जिले के उप कमांडर
मृत्यु एवं हानि
भारतीय दावा
  • ८८ मारे गए
  • १६३ घायल

चीन का दावा

  • १०१ मारे गए (नाथूला में ६५, चो ला में ३६)
चीन का दावा
  • नाथूला में ३२, चो ला में अज्ञात

भारतीय दावा

  • ३४० मारे गए
  • ४५० घायल

स्वतंत्र स्रोतों के अनुसार, भारत ने "निर्णायक सामरिक लाभ" हासिल किया और चीनी बलों के खिलाफ अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रहा।[1] नाथू ला में कई पीएलए किलेबंदी को नष्ट कर दिया गया था,[5] जहां भारतीय सैनिकों ने हमलावर चीनी बलों को वापस खदेड़ दिया।[1]

लोकप्रिय संस्कृति में संपादित करें

भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच नाथू ला संघर्ष 2018 की भारतीय हिंदी फिल्म पलटन में दर्शाया गया है, जिसमें जैकी श्रॉफ ने मेजर जनरल सगत सिंह के रूप में अभिनय किया है, अर्जुन रामपाल ने लेफ्टिनेंट कर्नल राय सिंह यादव के रूप में, हर्षवर्धन राणे ने मेजर हरभजन सिंह के रूप में, गुरमीत चौधरी ने कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर के रूप में और अभिलाष चौधरी ने हवलदार लखमी चंद के रूप में अभिनय किया है।[उद्धरण चाहिए]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Brahma Chellaney (2006). Asian Juggernaut: The Rise of China, India, and Japan (अंग्रेज़ी में). HarperCollins. पृ॰ 195. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788172236502. Indeed, Beijing's acknowledgement of Indian control over Sikkim seems limited to the purpose of facilitating trade through the vertiginous Nathu-la Pass, the scene of bloody artillery duels in September 1967 when Indian troops beat back attacking Chinese forces.
  2. Van Praagh, David (2003). Greater Game: India's Race with Destiny and China (अंग्रेज़ी में). McGill-Queen's Press - MQUP. पृ॰ 301. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780773525887. मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 नवंबर 2018. (Indian) jawans trained and equipped for high-altitude combat used US provided artillery, deployed on higher ground than that of their adversaries, to decisive tactical advantage at Nathu La and Cho La near the Sikkim-Tibet border.
  3. Hoontrakul, Pongsak (2014). The Global Rise of Asian Transformation: Trends and Developments in Economic Growth Dynamics (illustrated संस्करण). Palgrave Macmillan. पृ॰ 37. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781137412355. मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 नवंबर 2018. Cho La incident (1967) - Victorious: India / Defeated : China
  4. Sheru Thapliyal (Retired Major General of the Indian Army, who commanded the Nathu La Brigade.). "The Nathu La skirmish: when Chinese were given a bloody nose". www.claws.in. Force Magazine (2009). मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-05-29. Italic or bold markup not allowed in: |publisher= (मदद)
  5. Fravel, M. Taylor (2008). Strong Borders, Secure Nation: Cooperation and Conflict in China's Territorial Disputes (अंग्रेज़ी में). Princeton University Press. पपृ॰ 197–199. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1400828872. मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 नवंबर 2018.
  6. "49 साल पहले भारतीय जवानों ने चीन को जंग-ए-मैदान में ऐसे किया था पस्त!". मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 अगस्त 2018.
  7. "The last Sikkim stand-off: When India gave China a bloody nose in 1967". मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 अगस्त 2018.
  8. "वो लड़ाई जब चीन पर भारत पड़ा भारी!". मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 अगस्त 2018.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

  • Nathu La; 1967 - The Real Story; Veekay (Indian Army Corps), using the diary of Second Lieutenant N.C Gupta; cited by Willem van Eekelen in his book, Indian Foreign Policy and the Border Dispute with China: A New Look at Asian Relationships (p 238). [1]