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2 सितंबर 2020

  • 10:2410:24, 2 सितंबर 2020 अन्तर इतिहास −792 म्लेच्छशुक्रनीतिसार में शुक्राचार्य का कथन है- : ''त्यक्तस्वधर्माचरणा निर्घृणा: परपीडका: ।'' : ''चण्डाश्चहिंसका नित्यं म्लेच्छास्ते ह्यविवेकिन: ॥ ४४ ॥'' : ('''अर्थ :''' ''जो अपने धर्म का आचरण करना छोड़ दिया हो, निर्घृण हैं, दूसरों को कष्त पहुँचाते हैं, क्रोध करते हैं, नित्य हिंसा करते हैं, अविवेकी हैं - वे म्लेच्छ हैं।'') टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन