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30 जुलाई 2022

29 जुलाई 2022

  • 17:4817:48, 29 जुलाई 2022 अन्तर इतिहास +256 मंगलाप्रसाद पारितोषिकहरिऔध का वर्ष १९३७ किया, डॉ सम्पूर्णानंद का वर्ष १९४९ तथा उनकी कृति ‘चिद्विलास’ , यशपाल को ‘झूठा सच’ पर पुरस्कार मिला था, नरेश मेहता को ‘यह पथ बंधु था’। डॉ वासुदेव शरण को दो बार पुरस्कार मिला - ‘ हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन ‘(१९५४) तथा ‘वेद विद्या’ (१९६४),। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन