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8 जून 2022

  • 12:1712:17, 8 जून 2022 अन्तर इतिहास +1,369 अगस्त्यदेवताओं के अनुरोध पर दंडकारण्य में राक्षसों का उत्पात शांत करने के लिए इन्होंने काशी छोड़कर दक्षिण की यात्रा की और बाद में वहीं बस गये थे। अगस्त ऋषि का दक्षिणारण्य में भारी प्रताप था, इन्होने वहाँ अनेक राक्षसों को मारा था। राक्षसों से हमेशा इनका झगड़ा होते रहता था, ये बड़े प्रतापी ऋषि थे। इन्होंने अरब सागर के जल दस्युओं को मार कर जल व्यापार निष्कंटक किया था। अगस्त ऋषि का आश्रम एक अच्छा खासा सैनिक छावनी था, जिसमें बहुत से देव, गन्धर्व, मुनि, ऋषिगण रहते थे। दण्डकारण्य में राम के आने से उन्हें अ... टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 11:5911:59, 8 जून 2022 अन्तर इतिहास +132 अगस्त्यदंडकारण्य में राक्षसों का उत्पात शांत करने के लिए टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 11:4511:45, 8 जून 2022 अन्तर इतिहास +3,984 वशिष्ठवशिष्ठ ऋषि का दुसरा नाम मैत्रावरुण भी प्रसिद्ध था। इनका जन्म देवभूमि इलावर्त में हुआ था। वशिष्ठ ने अग्नि-होत्र की स्थापना और यज्ञ की प्रतिष्ठा स्थापित किये। नारद और इन्द्र देव से नाराज होकर उन्होंने इलावर्त(देवलोक) त्याग दिया और कुछ समय के लिए शाक द्वीप चले आए। उन दिनों अरब का नाम शाक द्वीप था। वशिष्ठ के वंशज मग, मुनि, मौनी प्रसिद्ध हुए। कुश द्वीप अफ्रीका में भी मुनिवंशी लोग जाकर बस गए। शाक द्वीप अरब में ऋषि वशिष्ठ ने बडे बड़े यज्ञ किये थे। उनके यज्ञों के धुंए और सुगंध से दिशाएं व्याप्त रहती... टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 11:4011:40, 8 जून 2022 अन्तर इतिहास +625 वशिष्ठआजकल जिस नगर को अदन कहते हैं यही नगर उन दिनों विशिष्ठों का प्रमुख नगर था, तथा उसका नाम आदित्य नगर था। संस्कृत में आदित्य सूर्य को कहते हैं और अरबी भाषा में आद सूर्य को कहते हैं। सिरियन, अरबी सूर्य के उपासक थे। वास्तव में वे वशिष्ठ के बंशधर थे। टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन