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2 जनवरी 2025
- 01:4701:47, 2 जनवरी 2025 अन्तर इतिहास +109 राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली भारतीय विधि शास्त्र के माध्यम से फिर से भारत में भारतीय परंपरा में जो न्याय विधमान है। उसको पुनर्जीवत करना है। जिससे आने वाले समय में भारत की न्याय व्यस्वथा में एक परिवर्तन ओर काल चक्र की नई गति होगी।अंग्रेजो द्वारा थोपा गया क़ानून भारतीय परम्परा के अनुरूप हो। संस्कृत हमेशा किसी भी विषय के साथ जुड़ती है। तो सेतु(पुल) बांधने का काम करती है। इसलिए उस विषय के नये आयाम हमारे सामने विकसित होते है। जब आज क़ानून की पढ़ाई से भारतीय विधि शास्त्र का संगम हुआ है । निशिचित ही भारत की ये प्राचीन न्याय प्रणाल वर्तमान टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन