Nikhil Jaikar के सदस्य योगदान
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3 जनवरी 2019
- 20:1320:13, 3 जनवरी 2019 अन्तर इतिहास +2,383 समाज सच कहूँ तो अब मुझे अपने ही समाज से नफरत होने लगी है। मैंने कुछ लोगो को अपने ही साथ अपने ही लोगो से मेरी झूठी तारीफ करते देखा है बस अपना वजन बढ़ाने के लिए। मेरे दोस्त तो बहोत थे उसमें ज्यादा ऐसे थे जिन्होंने मुझे समय और बटुआ देख के छोर दिया। अगर सच में कीमत इंशान की होती तो सायद आज में अकेला ना होता।मैने जब भी किसी का सहयोग किया सामने वला उसे अपना अधिकार समझ बैठा।साहब मेरा बचपना समझे या इंसानयत मैंने दुसरो के गलती पे भी उस का दिल नहीं तोरा।सायद यही वजह है की में एक अच्छा इंशान नहीं बन सका सायद... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन