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9 जून 2024
- 18:2918:29, 9 जून 2024 अन्तर इतिहास +53 मन चेतना की चार अवस्थाएँ माण्डूक्य उपनिषद में बताई गई हैं, हालाँकि, आगमिक ज्ञान तुरीयातिता तक विस्तृत है, जो चौथी से भी परे है पर इसका कहीं विवरण नहीं किया गया है पर मेरे अबतक के शास्त्रों के अध्यन के और मेरी बौद्धिक समझ के अनुसार इसे उस गुणातीत स्थिति के सन्दर्भ कहा गया है। श्रीमदभागवत गीता मे कहते हैं कि जो मनुष्य सुख एवं दुःख, दोनों ही अवस्थाओं में स्वस्थ अर्थात अपने 'स्व' या मूल स्वरूप में स्थित रहता है, वह गुणातीत कहलाता है। वर्तमान टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन