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17 दिसम्बर 2024

  • 22:5022:50, 17 दिसम्बर 2024 अन्तर इतिहास +56 सदस्य:Numberdaar thakur रक्त शुद्धता का सबसे बड़ा पैमाना होता है, कि- उस क्षेत्र के सभी राजपूत वंश सदियों से जिन जिन वंश में शादी विवाह कर रहे हों, वो वंश रक्त शुद्धता की कसौटी पर खरे उतरते हैं .... क्षत्रिय पिता और क्षत्रिय माता की संतान ही शुद्ध राजपूत होते, क्षत्रिय पिता और अन्य जाती की स्त्री से प्राप्त संतान को शुद्ध राजपूत वंश में नहीं स्वीकार करने से वो अलग अलग जातियो रुप में विभाजित हो गए .. हाँ वो कहलाएंगे क्षत्रिय वंशज ही, पर वो क्षत्रिय अथवा राजपूत नहीं माने जाएंगे .... बिना ठोस जानकारी के उलजुलूल कमेंट... वर्तमान टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन