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23 दिसम्बर 2023

  • 05:2505:25, 23 दिसम्बर 2023 अन्तर इतिहास +2 बनियाभाटी बनिया चंद्रवंशी राजपूत हैं और अपनी पीढ़ियाँ कृष्ण से मिलाते है | भाटी राजपूतों द्वारा बनाया गया जैसलमेर का किला जैसलमेर के स्थापक महारावल जैसल छठी शताब्दी में शालिवाहन भाटी राजा हुए, जिन्होंने शालिवाहनपुर बसाया, जो कालांतर में सियालकोट जाना गया।[8] उंनके वंशज के पुत्र भाटी हुए, जिनके वंशज भाटी कहलाए। इन्हीं राजा भाटी ने 623 ईसवी में भट्टक सम्वत् की भी शुरुआत की थी ।[9] 12वीं से पहले भाटी राजपूतों के राज्य मुख्यतः अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान और उत्तर भारत तक थे ।[10]। भाटी के वंशज केहर टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:2305:23, 23 दिसम्बर 2023 अन्तर इतिहास −47 बनियाचंद्रवंशी राजपूत हैं और अपनी पीढ़ियाँ कृष्ण से मिलाते है ।[1][2][3][4][5][6][7] भाटी राजपूतों द्वारा बनाया गया जैसलमेर का किला जैसलमेर के स्थापक महारावल जैसल छठी शताब्दी में शालिवाहन भाटी राजा हुए, जिन्होंने शालिवाहनपुर बसाया, जो कालांतर में सियालकोट जाना गया।[8] उंनके वंशज के पुत्र भाटी हुए, जिनके वंशज भाटी कहलाए। इन्हीं राजा भाटी ने 623 ईसवी में भट्टक सम्वत् की भी शुरुआत की थी ।[9] 12वीं से पहले भाटी राजपूतों के राज्य मुख्यतः अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान और उत्तर भारत तक थे ।[10]। भाटी के टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:2105:21, 23 दिसम्बर 2023 अन्तर इतिहास +4,374 बनियाबडगुजर (राघव) भारत की सबसे प्राचीन सूर्यवंशी राजपूत जातियों में से एक है। वे प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित राजवंशो में से हैं। उन्होंने हरावल टुकडी या किसी भी लड़ाई में आगे की पहली पंक्ति में मुख्य बल गठित किया। बडगुजर ने मुस्लिम राजाओं की सर्वोच्चता को प्रस्तुत करने के बजाय मरना चुना। मुस्लिम शासकों को अपनी बेटियों को न देने के लिए कई बरगूजरों की मौत हो गई थी। कुछ बडगुजर उनके कबीले नाम बदलकर सिकरवार को उनके खिलाफ किए गए बड़े पैमाने पर नरसंहार से बचने के लिए बदल दिया। वर्तमान समय में एक उपनिवेश टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:1405:14, 23 दिसम्बर 2023 अन्तर इतिहास +23 बनियाबिश्नोई टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:1005:10, 23 दिसम्बर 2023 अन्तर इतिहास −24 राघवबनिया टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:0905:09, 23 दिसम्बर 2023 अन्तर इतिहास +40 राघवबनिया , टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • 05:0505:05, 23 दिसम्बर 2023 अन्तर इतिहास +671 राघवबड़गूजर राजपूत सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं। इनका गोत्र - वशिष्ठ हैं तथा प्रवर वशिष्ठ, अत्रि और सांकृति है। वेद - यजुर्वेद, शाखा - वाजसनेयी, सूत्र - पारस्कर, गृहासूत्र, कुलदेवी - कालिकाजी और इष्टदेव - लक्ष्मण हैं। इस बड़गुजर वंश के क्षत्रिय स्वयं को राघव भी कहते हैं। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन