Umesh kumar ahirwal के सदस्य योगदान

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7 मार्च 2021

8 जून 2019

27 जनवरी 2019

  • 07:1207:12, 27 जनवरी 2019 अन्तर इतिहास +7 सदस्य:Umesh kumar ahirwalसारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा, सारे ... पर्वत हो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा, सारे ... गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा सारे ... ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा, सारे ... मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हम... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

20 अगस्त 2017