"भारत में धर्म": अवतरणों में अंतर

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बौद्ध
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[[ईसाई धर्म]] एक [[एकेश्वरवाद|एकेश्वरवादी]] धर्म है और [[नया नियम|नए टेस्टामेंट]] में प्रस्तुत [[ईसा मसीह|यीशु]] के जीवन तथा उपदेशों पर आधारित है; यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है और ईसाईयों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 2.3% है। भारत में ईसाई धर्म की शुरूआत का श्रेय सेंट थॉमस को दिया जाता है। वे [[मलबार|मालाबार]] में 52 ई. में पहुंचे थे।<ref name="nasrani">http://nasrani.net/2007/02/16/st-thomas-tradition-the-indian-sojourn-in-foreign-sources/</ref><ref name="missick">{{cite web |title=Mar Thoma: The Apostolic Foundation of the Assyrian Church and the Christians of St. Thomas in India|author=Stephen Andrew Missick| publisher=Journal of Assyrian Academic studies|url=http://www.jaas.org/edocs/v14n2/missick.pdf|format=PDF}}</ref><ref>http://www.stapostle.org/index2.php?area=about&amp;data=sthomasbio</ref> [[नागालैंड]], [[मेघालय]] और [[मिज़ोरम|मिजोरम]] में ईसाई लोग बहुमत में हैं और पूर्वोत्तर भारत, [[गोआ|गोवा]] तथा [[केरल]] में भी उनकी संख्या काफी अधिक है।
 
[[बौद्ध धर्म]] एक धार्मिक, अनीश्वरवादी धर्म तथा दर्शन (विचारधारा) है। बौद्ध धर्म के अनुयायी भारत के [[अरुणाचल प्रदेश]] राज्य तथा जम्मू-कश्मीर के [[लद्दाख़|लद्दाख]] क्षेत्र में बहुमत (45%) में हैं और [[सिक्किम]] में भी उनकी काफी बड़ी संख्या (40%) निवास करती है। [[महाराष्ट्र]] में बौद्धों की संख्या 1 करोड 40 लाख (15%) से अधिक है, हालांकी 2001 की जनगणना के अनुसार 8 मिलियन बौद्ध भारत में रहते हैं, जो कि जनसंख्या का लगभग 0.8% है।<ref name="censusindia.gov.in"/> लेकिन कुछ सर्वेक्षण के अनुसार और भारतीय बौद्ध विद्वानों के अनुसार भारत की आबादी में 4.5% से 5.5% बौद्ध है, जिनकी संख्या 2011 के जनगणना के अनुसार 666,00067,00,000 है। अधिकांश बौद्ध दलित है इसलिए उनको जनगनणा में हिंदूओं में गिना जाता है। हिंदू और इस्लाम के बाद बौद्ध धर्म ही भारत का तिसरा बडा धर्म है। ख्रिश्चन, शिख तथा जैन धर्मों के अनुयायीओं की जनसंख्या बौद्ध जनसंख्या से कम है।
 
[[जैन धर्म]] एक अनीश्वरवादी धर्म तथा दार्शनिक प्रणाली है जिसका प्रारंभ भारत में लौह युग में हुआ था। जैनियों की आबादी भारत की जनसंख्या का 0.4% (लगभग 4.2 मिलियन) है और वे मुख्यतः [[राजस्थान]], [[महाराष्ट्र]], [[गुजरात]] और कर्नाटक जैसे राज्यों में केंद्रित हैं।<ref name="web123"/> हालांकि जैन धर्म को आमतौर पर अनीश्वरवादी माना जाता है, पॉल डूंडास लिखते हैं, "''हालांकि जैन धर्म को सृष्टि-रचयिता भगवान के अस्तित्व और उनके द्वारा मानवी कार्यों में हस्तक्षेप की संभावना को नकारने के सीमित अर्थ में नास्तिक माना जा सकता है, लेकिन इसके द्वारा प्रत्येक जीव के भीतर परमात्मा नामक एक ईश्वरीय अस्तित्व की संभावना को स्वीकारने, जिसे अक्सर 'भगवान' (उदाहरण, पृष्ठ 114-16) कहा जाता है, के गूढ़ अर्थ में आस्तिक धर्म की संज्ञा देनी चाहिए'' ".<ref>दूनदास, पृष्ठ 110-1 ''द जैन्स'' </ref>