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सम्राट
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कलिंग की लड़ाई: कलिंग वार
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सत्ता संभालते ही अशोक ने पूर्व तथा पश्चिम, दोनों दिशा में अपना साम्राज्य फैलाना शुरु किया। उसने आधुनिक [[असम]] से [[ईरान]] की सीमा तक साम्राज्य केवल आठ वर्षों में विस्तृत कर लिया।
 
=== कलिंग की लड़ाई ===
चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के ८वें वर्ष (२६१ ई. पू.) में कलिंग पर आक्रमण किया था। आन्तरिक अशान्ति से निपटने के बाद २६९ ई. पू. में उसकाउनका विधिवत्‌ अभिषेक हुआराज्याभिषेक हुआ। तेरहवें शिलालेख के अनुसार कलिंग युद्ध में एक लाख ५० हजार व्यक्‍ति बन्दी बनाकर निर्वासित कर दिए गये, एक लाख लोगों की हत्या कर दी गयी। सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपनी आँखों से देखा। इससे द्रवित होकर सम्राट अशोक ने [[शान्ति]], सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार किया।
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कलिंग युद्ध ने सम्राट अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया। उसकाउनका हृदय मानवता के प्रति [[दया]] और [[करुणा]] से उद्वेलित हो गया। उसनेउन्होंने युद्धक्रियाओं को सदा के लिए बन्द कर देने की प्रतिज्ञा की। यहाँ से आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ। उसनेअन्होंने महान [[बौद्ध धर्म]] को अपना धर्म स्वीकार किया।
 
सिंहली अनुश्रुतियों [[दीपवंश]] एवं [[महावंश]] के अनुसार सम्राट अशोक को अपने शासन के चौदहवें वर्ष में निगोथ नामक भिक्षु द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा दी गई थी। तत्पश्‍चात्‌ मोगाली पुत्र निस्स के प्रभाव से वहवे पूर्णतः [[बौद्ध]] हो गयागये था।थे। [[दिव्यादान]] के अनुसार सम्राट अशोक को [[बौद्ध धर्म]] में दीक्षित करने का श्रेय [[उपगुप्त]] नामक बौद्ध भिक्षुकभिक्षु को जाता है। सम्राट अशोक अपने शासनकाल के दसवें व में सर्वप्रथम [[बोधगया]] की यात्रा की थी। तदुपरान्त अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष में [[लुम्बिनी]] की यात्रा की थी तथा लुम्बिनी ग्राम को करमुक्‍त घोषित कर दिया था।
 
== बौद्ध धर्म अंगीकरण ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अशोक" से प्राप्त