[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
कलिंग की लड़ाई: कलिंग वार
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
साम्राज्य
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 28:
}}
 
'''चक्रवर्ती सम्राट अशोक''' ([[ईसा पूर्व ३०४]] से [[ईसा पूर्व २३२]]) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय [[मौर्य राजवंश]] के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था। उनका राजकाल ईसा पूर्व २७२ से २३२ [[प्राचीन भारत]] में था। [[मौर्य राजवंश]] के चक्रवर्ती सम्राट अशोक उनकेने समय[[अखंड भारत]] पर राज्य किया है तथा उनका [[मौर्य साम्राज्य]] उत्तर में [[हिन्दुकुश]] की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में [[गोदावरी नदी]] के दक्षिण तथा [[मैसूर]] तक तथा पूर्व में [[बंगालबांग्लादेश]] से पश्चिम में [[अफ़गानिस्तान]], [[इराण]] तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण [[भारत]], [[पाकिस्तान]], [[अफगाणिस्तान]], [[नेपाल]], [[बांग्लादेश]], [[भूटान]], [[म्यान्मार]] के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शिर्ष स्थान पर ही रहे है। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक ’ कहाँ जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार के लिए भी जाना जाता है।<ref name="Fogelin2015">{{cite book|author=Lars Fogelin|title=An Archaeological History of Indian Buddhism|url=https://books.google.com/books?id=yPZzBgAAQBAJ&pg=PA81|date=1 April 2015|publisher=Oxford University Press|isbn=978-0-19-994823-9|pages=81–}}</ref><ref name="Kleiner2015">{{cite book|author=Fred Kleiner|title=Gardner’s Art through the Ages: A Global History|url=https://books.google.com/books?id=q4bCBAAAQBAJ&pg=PT474|date=1 January 2015|publisher=Cengage Learning|isbn=978-1-305-54484-0|pages=474–}}</ref> सम्राट अशोक ने संपूर्ण [[एशिया]] में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी [[बौद्ध धर्म]] धर्म का प्रचार किया। सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी एन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चूकाँ है।
 
जीवन के उत्तरार्ध में सम्राट अशोक [[भगवान बुद्ध]] की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर [[बौद्ध]] हो गये और उन्ही की स्मृति मे उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी [[नेपाल]] में उनके जन्मस्थल - [[लुम्बिनी]] - मे [[मायादेवी मन्दिर]] के पास, सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर एवं आदी [[श्रीलंका]], [[थाईलैंड]], [[चीन]] इन देशों में आज भी [[अशोक स्तम्भ]] के रुप में देखे जा सकते है। सम्राट अशोक ने [[बौद्ध धर्म]] का प्रचार [[भारत]] के अलावा [[श्रीलंका]], [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[मध्य पूर्व|पश्चिम एशिया]], [[मिस्र]] तथा [[यूनान]] में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन मे एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें [[तक्षशिला]], [[नालंदा]], [[विक्रमशिला]], [[कंधार]] आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे।
 
== आरंभिक जीवन ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अशोक" से प्राप्त