[[दीक्षाभूमि, नागपुर]] [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[नागपूर]] शहर में स्थित प्रवित्र एवं महत्त्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है। बौद्ध धर्म भारत में 12वी शताब्धी केतक रहां, बाद हिंदूओं और मुस्लिमों के हिंसक आतंक से शांतिवादी बौद्ध धर्म का प्रभाव कम होता गया और 12वी शताब्दी में जैसे बौद्ध धर्म भारत नहींसे गायब हो गया। 12वी से 20वी शताब्धी तक हिमालयीन प्रदेशों के बराबरअलावा रहां,पुरे भारत में बौद्ध धर्म के अनुयायिओं की संख्या बहूत ही कम रहीं। लेकिन, दलितों के मसिहा [[भीमराव आंबेडकर|डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर]] के प्रभाव मसेने 20वी शताब्धी के मध्य में '''अशोक [[विजयादशमी]]''' के दिन [[14 अक्टूबर]], [[1956]] को 5पहले लाखस्वयं हिंदूबौद्ध दलितोंधम्म नेकी बौद्धदीक्षा धर्मअपनी अपनाया।पत्नी विश्वडॉ. प्रसिद्धसविता बौद्धआंबेडकर विद्वानके एवंसाथ बोधिसत्वली डॉ.और बाबासाहेबवे आंबेडकरबौद्ध नेबने, फिर अपने लाखों5,00,000 अनुयायिओंहिंदू दलित समर्थकों को बुद्धबौद्ध धम्मधर्म की दीक्षा दी। बौद्ध धर्म की दीक्षा देने के लिए बाबासाहेब ने [[त्रिशरण]], [[पंचशील]] एवं अपनी [[22 प्रतिज्ञाँए]] नागपुरअपने मेंनव-बौद्धों दीको थी।दी। इसलिएअगले इसकादिन नामनागपुर में [[दीक्षाभूमि,15 नागपुरअक्टूबर]] होको गयाफिर है।बाबासाहेब यहीने से3,00,000 लोगों को धम्म दीक्षा देकर बौद्ध धर्मबनाया, कीतिसरे पूनर्स्थापनादिन बोधिसत्व16 अक्टूबर को बाबासाहेब दीक्षा देने हेतू [[बाबासाहबचंद्रपुर]] केगये माध्यमवहां सेभी हुई।उन्होंने भी 3,00,000 लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी। इस तरह सिर्फ तीन दिन में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर नागपूर मेंने करीब 810,5000,000 से अधिक लोगों को बौद्ध धर्मधम्म मेंकी प्रवर्तीतदिक्षा कियादेकर था।विश्व के बौद्धों को जनसंख्या 10 लाख से बढा दी। यह विश्व का सबसे बडा धार्मिक रूपांतरण एवंया धर्मांतरण माना जाता है। आजबौद्ध विद्वान, बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी ने [[भारत में बौद्ध धर्म का पुनरूत्थान]] किया। हर साल यहाँ देश और विदशों से हर साल 20 से 25 लाख बुद्ध और बाबासाहेब के अनुयायीबौद्ध यहाँअनुयायी नमनअभिवादन करने आते है। इस प्रवित्र एवं महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल को [[महाराष्ट्र सरकार]] द्वारा ‘अ’वर्ग पर्यटन एवं तीर्थ स्थल का दर्जा भी प्राप्त हुआ है।