"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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*भाषाविद आंबेडकर
*प्राध्यापक आंबेडकर
== बाबासाहेब के विचार ==
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के विविध विषयों पर प्रेरणादायी एवं अनमोल विचार<ref>डॉ. बी. आर. आंबेडकर जी के अनमोल विचार [http://www.gajabdunia.com/2014/12/dr-br-ambedkar-quotes-hindi.html?m=1]</ref><ref>डॉ. भीमराव आंबेडकर के अनमोल विचार[http://gyanversha.com/baba-saheb-bhimrao-ambedkar-quotes-in-hindi/]</ref>
===समाज===
* सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूँद के विपरीत, इंसान जिस समाज में रहता है, वहां अपनी पहचान नहीं खोता।
* रात रातभर मैं इसलिये जागता हूँ क्योंकि मेरा समाज सो रहा है।
* राजनीतिक अत्याचार सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है और एक सुधारक जो समाज को खारिज कर देता है वो सरकार को खारिज कर देने वाले राजतीतिज्ञ से कहीं अधिक साहसी हैं।
* मैं किसी समुदाय की प्रगति महिलाओं ने जो प्रगति हांसिल की है उससे मापता हूँ।
* जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती, वह कौम कभी भी इतिहास नहीं बना सकती।
* राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नरल या रंग का अन्तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाये।
* न तो भगवान है और न ही आत्मा हमारे समाज को बचाने के लिए कर सकते हैं
=== धर्म ===
* मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वंतत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
* यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शाश्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
* जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
* हिंदू धर्म में, विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं हैं।
* मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।
* लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा सामाजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए। अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवशयक मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा।
* धर्म में मुख्य रूप से केवल सिद्धांतों की बात होनी चाहिए। यहां नियमों की बात नहीं हो सकती।
* मनुष्य एवं उसके धर्म को समाज के द्वारा नैतिकता के आधार पर चयन करना चाहिये। अगर धर्म को ही मनुष्य के लिए सब कुछ मान लिया जायेगा तो किन्ही और मानको का कोई मूल्य नहीं रह जायेगा।
=== जाति प्रथाथा।
* महात्मा आये और चले गये परन्तु अछुत, अछुत ही बने हुए हैं।
* जाति प्रथा को खत्म करने के लिए आपको न सिर्फ धर्मशास्त्रों को त्यागना होगा, बल्कि उनके प्रभुत्व को भी मानने से ठिक उसी तरह इंकार करना होगा जैसे भगवान बुद्ध और गुरू नानक ने किया था।
=== राजनीति ===
* एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है। जिसकी आवश्यकता है वो है न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था।
* कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।
* मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाईयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूँ।
* आज भारतीय दो अलग-अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता, समानता, और भाई-चारे को स्थापित करते हैं, और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते है।
===अर्थशास्त्र===
* इतिहास बताता है कि जहाँ नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो।हो।
=== जीवन ===
* इंसान का जीवन स्वतंत्र है। इंसान सिर्फ समाज के विकास के लिए नहीं पैदा हुआ है, बल्कि स्वयं के विकास के लिए पैदा हुआ है।
* जीवन लम्बा होने की बजाय महान होना चाहिए।
* मनुष्य नश्वर है। उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की नही तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं।
* बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए।
* उदासीनता लोगों को प्रभावित करने वाली सबसे खराब किस्म की बिमारी है।
* मैं तो जीवन भर कार्य कर चुका हूँ अब इसके लिए नौजवान आगे आए।
* इस दुनिया में महान प्रयासों से प्राप्त किया गया को छोडकर और कुछ भी बहुमूल्य नहीं है।
* ज्ञान व्यक्ति के जीवन का आधार हैं।
* उन्होंने मुझे काले पर्दे से ढकने की कोशिश की लेकिन उन्हें नहीं पता था की मैं सूर्य हूँ... फिर उन्होंने मुझे मिट्टी में दबाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं जानते थे की मैं बीज हूँ !
* आत्म सम्मान के साथ इस दुनिया में जीना सीखो।
* अच्छा आदमी एक मास्टर नहीं हो सकता है और मास्टर एक अच्छा आदमी नहीं हो सकता
=== संविधान ===
* यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरूपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।
* संविधान, यह एक मात्र वकीलों का दस्तावेज नहीं। यह जीवन का एक माध्यम है।
== फिल्म ==
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