"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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===अर्थशास्त्र===
* [[इतिहास]] बताता है कि जहाँ नैतिकता और [[अर्थशास्त्र]] के बीच संघर्ष होता है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया
=== स्वतंत्र्यता ===
** जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, [[कानून]] आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिये बेमानी हैं।
* हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि एक देश दूसरे देश पर [[शाशन]] नहीं कर सकता को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शाशन नहीं कर सकता।
** हमारे पास यह स्वतंत्रता किस लिए है ? हमारे पास ये स्वत्नत्रता इसलिए है ताकि हम अपने सामाजिक व्यवस्था, जो असमानता, भेद-भाव और अन्य चीजों से भरी है, जो हमारे मौलिक अधिकारों से टकराव में है को सुधार सकें।
** [[राष्ट्रवाद]] तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच [[जाति]], नरल या रंग का अन्तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाये।
** [[मन]] की स्वतंत्रता ही वास्तविक स्वतंत्रता है।
** [[स्वतंत्रता]] का रहस्य, साहस है और साहस एक पार्टी में व्यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है।है।
=== शिक्षा ===
* शिक्षा जितनी पुरूषों के लिए आवशयक है उतनी ही महिलाओं के लिए।
* मेरा विद्यार्थीओं से यह कहना है की केवल भीड के पिछे मत जाना। विद्या, प्रज्ञा, शील, करूणा एवं मित्रता इन पंच तत्वों के अनुसार हर विद्याथीओं ने अपना चरित्र बनाना चाहिए और इस मार्ग पर चाहे अकेले चलना पडे पुरे मनोधर्य एवं निष्ठा से जाना चाहिए। अपने विवेक से जो मार्ग उचित लगता हो उसी मार्ग पर चलना चाहिए।
=== समानता ===
* समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
* न्याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।
=== भारत ===
* हम सबसे पहले और अंत में भारतीये हैं।
* मुझे यह अच्छा नहीं लगता, जब कुछ लोग कहते है की हम पहले भारतीय है और बाद में हिंदू अथवा मुसलमान। मुझे ये स्विकार नहीं हैं। धर्म, संस्कृती, भाषा तथा राज्य के प्रति निष्ठा से उपर हैं – भारतीय होने की निष्ठा। मैं चाहता हूँ की, लोग पहले भी भारतीय हों और अंततक भारतीय रहे–भारतीय के अलावा कुछ नहीं।
=== जीवन ===
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