"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

भारत
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विचार
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=== धर्म ===
*1} मैं ऐसे [[धर्म]] को मानता हूँ जो [[स्‍वंतत्रता]], [[समानता]] और [[भाईचारा]] सिखाता है।
 
*2} यदि हम एक संयुक्‍त एकीकृत आधुनिक [[भारत]] चाहते हैं तो सभी धर्मों के शाश्‍त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
 
*3} जो धर्म जन्‍म से एक को श्रेष्‍ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं, [[गुलाम]] बनाए रखने का षड़यंत्र है।
 
*4} [[हिंदू धर्म]] में, विवेक, कारण और स्‍वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं हैं।
 
*5} मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान [[बुद्ध]] [[विष्‍णु]] के [[अवतार]] थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।
 
*6} लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा सामाजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए। अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवशयक मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा।
 
*7} धर्म में मुख्‍य रूप से केवल सिद्धांतों की बात होनी चाहिए। यहां नियमों की बात नहीं हो सकती।
 
*8} मनुष्‍य एवं उसके धर्म को समाज के द्वारा नैतिकता के आधार पर चयन करना चाहिये। अगर धर्म को ही मनुष्‍य के लिए सब कुछ मान लिया जायेगा तो किन्‍ही और मानको का कोई मूल्‍य नहीं रह जायेगा।
 
=== जाति प्रथाथा।प्रथा ===
*1} कई [[महात्‍मा]] आये और चले गये परन्‍तु अछुत, अछुतफिर हीभी बने[[अछुत]] हुएही हैं।रहे।
 
*2} जाति प्रथा को खत्म करने के लिए आपको न सिर्फ धर्मशास्त्रों को त्यागना होगा, बल्कि उनके प्रभुत्व को भी मानने से ठिक उसी तरह इंकार करना होगा जैसे भगवान [[गौतम बुद्ध]] और [[गुरू नानक]] ने किया था।
 
3} मनुवाद को जड़ से समाप्‍त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्‍य है।
 
=== राजनीति ===