"आंबेडकर जयंती": अवतरणों में अंतर

→‎आंबेडकर जयंती कैसे मनायी जाती है: संयुक्त राष्ट्र में आंबेडकर जयंती
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भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 125वीं जयंती [[14 अप्रेल]] [[2016]], [[बुधवार]] को इस वैश्विक संस्था में मनाई गई थी। उसका आयोजन नागरिक समाज के समूहों [[कल्पना सरोज]] फाउंडेशन और फाउंडेशन आॅफ ह्यूमन होराइजन के साथ मिल कर किया गया। संयुक्त राष्ट्र विकास समूह की अध्यक्ष क्लार्क ने राजनयिकों, विद्वानों और डॉ. आंबेडकर के अनुयायियों को अपने संबोधन में कहा कि “यह अवसर ऐसे ‘बहुत महान व्यक्ति की विरासत’ को याद करता है, जिन्होंने इस बात को समझा कि ‘अनवरत चली आ रहीं और बढ़ती असमानताएं’ देशों और लोगों की आर्थिक और सामाजिक कल्याण के समक्ष मूल चुनौतियां पेश करती हैं।”
 
[[न्यूजीलैंड][] की पूर्व [[प्रधानमंत्री]] क्लार्क ने कहा कि “डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे 60 साल पहले थे। वंचित समूहों के समावेश और सशक्तीकरण, श्रम कानूनों में सुधार और सभी के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने पर आंबडेकर की ओर से किए गए काम ने उन्हें ‘भारत और अन्य देशों में हाशिए पर जी रहे लोगों के लिए प्रतीक बना दिया।”<ref>http://www.jansatta.com/international/he-struggled-for-people-around-the-globe-plea-in-un-to-declare-ambedkar-jayanti-world-equality-day/85974/#sthash.uNBoiKuT.dpuf</ref>
 
इस मौके पर '''संपोषणीय विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए असमानता से संघर्ष''' विषयक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें डॉ. आंबेडकर से जुड़े [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] के प्रोफेसर [[स्टान कचनोवस्की]] और एसोसिएट प्रोफेसर [[अनुपमा राव]] एवं [[हार्वर्ड विश्वविद्यालय]] के विख्याता [[क्रिस्टोफर क्वीन]] ने हिस्सा लिया।
 
क्लार्क ने कहा कि, “अांबेडकर के विजन एवं कार्य का आधार असमानताएं एवं भेदभाव घटाना भी नए विकास एजंडे के मूल में है जिसे 2030 तक हासिल करने के प्रति विश्व ने कटिबद्धता दिखाई है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को असमानताएं दूर करने के लिए जरूरी दूरगामी उपायों की गहरी समझ थी।”
 
बाबा साहेब के व्यापक विकास लक्ष्यों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई है, और इस अवसर पर संरा से इस दिन को '''अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस''' घोषित करने की मांग की गयी है।
 
पंजाब असेंबली स्पीकर [[चरनजीत सिंह अटवाल]] ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर कहा, ‘मेरा मानना है समानता के लिए बाबा साहेब का जीवनपर्यंत संघर्ष केवल भारत के लोगों के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए था।‘ इसलिए उनके लिए सच्चा सम्मान व श्रद्धांजलि यही होगा कि इस दिन को संयुक्त राष्ट्र ‘अंतरराष्ट्रीय समानता दिवस (World Equality Day)’ घोषित कर दे। न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने कहा कि अंबेडकर के आदर्श आज के लिए मायने रखते हैं, संयुक्त राष्ट्र ने अपना सतत विकास लक्ष्य के कार्यक्रम को शुरू किया।
 
क्लार्क ने कहा, ‘ अंबेडकर असमानता के कारण अच्छे लोगों में बदलावों को समझा और संरा ने अपने लक्ष्य में असमानता को हटाने का निर्णय लिया है।‘ क्लार्क अब संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यकर्म की प्रमुख और आगामी चुनावों में संरा की जनरल सेक्रेटरी के लिए उम्मीदवार हैं। संरा में भारतीय मिशन के द्वारा पहली बार इस मौके को मनाए जाने का निर्णय लिया गया।
 
राजदूतों, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, शिक्षा क्षेत्र से लोगों के साथ अमेरिका में रह रहे भारतीयों समेत कुल 550 से अधिक लोग इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस रूम में उपस्थित थे। प्रवेश द्वार पर नर्तकों व ड्रम वादकों को अभिवादन के लिए रखा गया था। न्यूयार्क के बेगमपुरा कल्चरल असोसिएशन ने सुसज्जित अंबेडकर की प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र को दिया।
 
राजदूतों, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, शिक्षा क्षेत्र से लोगों के साथ अमेरिका में रह रहे भारतीयों समेत कुल 550 से अधिक लोग इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस रूम में उपस्थित थे। प्रवेश द्वार पर नर्तकों व ड्रम वादकों को अभिवादन के लिए रखा गया था। न्यूयार्क के बेगमपुरा कल्चरल असोसिएशन ने सुसज्जित अंबेडकर की प्रतिमा संयुक्त राष्ट्र को दिया। कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन, कल्पना सरोज का फाउंडेशन इस मौके के लिए को-स्पांसर कर रहा ।
 
== आंबेडकर के योगदान ==