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बुद्ध की शिक्षा: त्रिशरण को जोंडा
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पालिभाषा का त्रिपिटक थेरवादी (और नवयान) बुद्ध परम्परा में श्रीलंका, थाइलैंड, बर्मा, लाओस, कैम्बोडिया, भारत आदि राष्ट्र के बौद्ध धर्म अनुयायी पालना करते है। पालि के तिपिटक को संस्कृत में भी भाषान्तरण किया गया है, जिस को त्रिपिटक कहते है। संस्कृत का पूर्ण त्रिपिटक अभी अनुपलब्ध है। वर्तमान में संस्कृत त्रिपिटक प्रयोजन का जीवित परम्परा सिर्फ नेपाल के नेवार जाति में उपलब्ध है। इस के इलावा तिब्बत, चीन, मंगोलिया, जापान, कोरिया, वियतनाम, मलेशिया, रुस आदि देश में संस्कृत मूल मन्त्र के साथ में स्थानीय भाषा में बौद्ध साहित्य परम्परा पालना करते है।
 
== बुद्ध की शिक्षा ==
== सिद्धांत ==
गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद, बौद्ध धर्म के अलग-अलग संप्रदाय उपस्थित हो गये हैं, परंतु इन सब के बहुत से सिद्धांत मिलते हैं।
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८. '''सम्यक समाधि''' : निर्वाण पाना और स्वयं का गायब होना <br />
<p>कुछ लोग आर्य अष्टांग मार्ग को पथ की तरह समझते है, जिसमें आगे बढ़ने के लिए, पिछले के स्तर को पाना आवश्यक है। और लोगों को लगता है कि इस मार्ग के स्तर सब साथ-साथ पाए जाते है। मार्ग को तीन हिस्सों में वर्गीकृत किया जाता है : प्रज्ञा, शील और समाधि। </p>
 
=== पंचशील ===
{{main:पंचशील}}
बुद्ध ने अपने अनुयायिओं को पांच शालों का पालन करने की शिक्षा दि हैं।
;१. अहिंसा
[[पालि]] में – पाणातिपाता वेरमनी सीक्खापदम् सम्मादीयामी !
 
'''अर्थ''' – मैं प्राणि-हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
 
;२. अस्तेय :
[[पाली]] में – आदिन्नादाना वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी
 
'''अर्थ''' – मैं चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
;३. अपरिग्रह :
[[पाली]] में – कामेसूमीच्छाचारा वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी
 
'''अर्थ''' – मैं व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
 
;४. सत्य :
[[पाली]] नें – मुसावादा वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी
 
'''अर्थ''' – मैं झूठ बोलने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
 
; नशा से विरत :
[[पाली]] में – सुरामेरयमज्जपमादठटाना वेरमणाी सिक्खापदम् समादियामी।
 
'''अर्थ''' – मैं सुरा=पक्की शराब+मेरय=कच्ची शराब, मज्जपमादठटाना=नशीली चीजो के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ।
 
=== बोधि ===