"बोधिसत्व": अवतरणों में अंतर
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दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करने वाला [[बोधिसत्व]] कहलाता है। बोधिसत्व जब दस बलों या भूमियों (मुदिता, विमला, दीप्ति, अर्चिष्मती, सुदुर्जया, अभिमुखी, दूरंगमा, अचल, साधुमती, धम्म-मेघा) को प्राप्त कर लेते हैं तब " [[गौतम बुद्ध]] " कहलाते हैं, बुद्ध बनना ही बोधिसत्व के जीवन की पराकाष्ठा है। इस पहचान को [[बोधि]] (ज्ञान) नाम दिया गया है। आधुनिक भारत में [[भारतीय संविधान]] के पिता [[आंबेडकर|डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर]] को [[बोधिसत्व]] कहते है। कहा जाता है कि बुद्ध शाक्यमुनि केवल एक बुद्ध हैं - उनके पहले बहुत सारे थे और भविष्य में और होंगे। उनका कहना था कि कोई भी बुद्ध बन सकता है अगर वह दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करते हुए बोधिसत्व प्राप्त करे और बोधिसत्व के बाद दस बलों या भूमियों को प्राप्त करे। बौद्ध धर्म का अन्तिम लक्ष्य है सम्पूर्ण मानव समाज से दुःख का अंत। "मैं केवल एक ही पदार्थ सिखाता हूँ - दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निरोध है, और दुःख के निरोध का मार्ग है" (बुद्ध)। बौद्ध धर्म के अनुयायी [[अष्टांगिक मार्ग]] पर चलकर न के अनुसार जीकर अज्ञानता और दुःख से मुक्ति और निर्वाण पाने की कोशिश करते हैं।
;[[एशिया]] के कुछ बौद्ध राष्ट्रों में नीचे अति सन्माननीय कुछ बोधिसत्त्व है। बौद्ध राष्ट्रों में चार बोधिसत्व सितारों की तरह चमकते है।
१) बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर : ये बुद्ध के ज्ञान दर्शाते है और उनके हात में अनमोल भारतीय संविधान है।
२) बोधिसत्व क्वान ऑम : ये बुद्ध की दया दर्शाती है और उनके हात पाणी का जग ( jar) है।
३) बोधिसत्व पद्मपाणि*ट : ये बुद्ध की करुणा दर्शाते है और उनके हात में कमल का फुल है।
४) बोधिसत्व वज्रपाणि : ये बुद्ध की शक्ती दर्शाते है और उनके हात में वज्र है।
==सन्दर्भ==
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