"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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[57] Preface to Rashtra Rakshake Vaidik Sadhan ''(1948)''
 
== भीमराव के प्रशंसक ==
 
{{"|'''हम डॉ॰ अंबेडकर के जीवन और कार्य से प्रेरणा लेकर अपना संघर्ष भी उन्हीं आधारों पर चलायेंगे जिन आधारों पर डॉ॰ अंबेडकर ने भारत में [[समाज]] परिवर्तन का प्रयत्न किया और सफलता पायी।'''|[[नेल्सन मंडेला]]}}
 
 
{{"|'''हर व्यक्ति अपनी निहित क्षमता को हासिल कर सकता है। ठीक उसी तरह, जिस तरह एक दलित होने के बावजूद डॉ॰ अंबेडकर ने अपनी क्षमतानुरूप कार्य करते हुए, अपने आप को इतनी ऊंचाइयों पर उठाया और एक ऐसे [[संविधान]] का निर्माण किया जो सारे भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करता है।<ref>https://drambedkarbooks.com/2015/01/23/what-us-president-barack-obama-said-on-dr-b-r-ambedkar/</ref>'''|[[बराक ओबामा]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ अंबेडकर एक ऐसे विद्वान है और सुविद्या [[वकील]] भी है कि उनके सामनें अनकों को सर्मचार हो जाना पडता है। वे अपनी प्रचूर विद्वता से अनेकों के ह्रदयों को छूने का सामर्थ्य रखते है। उनके त्याग की परिसीमा बहुत व्यापक है, वे अपने कार्य में तहीनता के साथ डूब जाते है। वे चाहे तो कभी भी [[युरोप]] में जाकर बस सकते है, मगर वे उसकी चाहत नहीं रखते। अपने हरीजनों (दलितों) का उत्थान करना ही उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य रहा है। उन्हे बार बार शोषित एवं अछूत वर्ग के व्यक्ती होने के नाते ही संबोधित किया जाता है, लेकिन बुद्धिमत्ता की कसौटी पर वे हजारों सुशिक्षीत हिंदू विद्वानों से भी श्रेष्ठ दर्जे के विद्वान है। उनका निजी जीवन किसी भी उच्च दर्जे के निर्मल एवं स्वच्छ व्यक्ति से कम नहीं है। आज की तारिख में वे [[कानून]] के एक सुविख्यात [[विधिवेत्ता]] है, कल वे किसी भी [[उच्च न्यायालय]] के [[न्यायधीश]] भी बन सकते। दुसरें शब्दों में इस देश के शासन - प्रशासन में ऐसा कोई भी पद नहीं हैं, जिसपर वे आसीन न हो सकें।'''|[[मोहनदास करमचंद गांधी]]}}
 
 
{{"|'''भारत का संविधान दक्षिण आफ्रिका के नये संविधान के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना हैं। हमें आशा है की भारत के इस महान सपुत के विचार और कृतियां हमें हमारा संविधान बनाने में मार्गदर्शक के तौर पर साबीत होंगा। डॉ॰ आंबेडकर का अछूतोद्धार एवं सामाजिक न्याय की दिशा में किये गये ऐतिहासिक कार्य वास्तव में अत्यंत सराहनीय है। दक्षिण आफ्रिका और भारत के बीच एक ऋणानुबंध तैयार हुए हैं, क्योंकी दोनों एक जैसे अन्याय के शिकार के शिकार है। भारत के शोषित वर्ग के मसिहा डॉ॰ आंबेडकर की जन्मशति मनाने वाले भारतीयों की समीती के सदस्यों के साथ हमारा मेल जोल हमारे लिए एक अत्यंत आनंद की घटना हैं।'''| [[नेल्सन मंडेला]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ अंबेडकर को भारतीय [[हिन्दू]] समाज के तमाम अत्याचारी स्वरूपों के खिलाप एक विद्रोह के प्रतिक क् रूप में याद किया जायेगा। उन उत्याचारी स्वरूपों के खिलाप जो आवाज उन्होंने बुलंद की है, उससे लोगों के दिल-दिमागों को झकझोर कर जागृत कर दिला है। यद्यपी उन्हें एक विवादास्पद व्यक्ति के तौर पर जाना जाता हो लेकिन वास्तविकता यहीं हैं की उन्होंने देश के शासन प्रशासन के प्रत्येंक मुद्दो पर बगावत की है उन मुद्दों पर हर किसीने बगावत करनी चाहिए। डॉ॰ अंबेडकर इसलिए भारत के अति विशिष्ट लोगों में भी एक असामान्य एवं श्रेष्ठतम व्यक्तिमत्व थे।'''|[[जवाहरलाल नेहरू]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ भीमराव आंबेडकर ने बौद्ध धर्म एक ऐसा मजबूत खंभा भारत की भूमी पर गाढ दिया हैं कि जिसे अन्य कोई भी हिला नहीं सकेगा'''|[[राहुल सांकृत्यायन]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर अर्थशास्त्र में मेरे पिता है।'''|[[अमर्त्य सेन]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर निर्वीवाद रूप से एक ऐसे दैदिप्यमान व्यक्तिमत्व थे जिन्होंने जम्बुमहाद्विप भारत के इतिहास में अपना ऐतिहासीक योगदान दिया है, और यह योगदान उन्होंने ऐसे समय पर दिया जब भारत एक बदलती हुयी परिस्थीतियों के बीच यहां की सामाजिक संरचना और जीवन पर अपना महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा था।'''|व्ही. एन. यू. ([[बर्मा]] के भू.पू. प्रधानमंत्री)}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के कारण 20 वी सदी में [[बौद्ध धर्म]] भारत के इतिहास की एक याददास्त मात्र नहीं रहीं, वह अब एक पूरजोर धार्मिक ताकद बनकर सामने आया है। डॉ॰ आंबेडकर ने न केवल भारत अपितू बनकर संसार के धार्मिक जीवन पर ऐसा चमत्कारिक प्रभाव डाला हैं, जिसकी इतिहास में कोई बराबरी नहीं कर सकता। क्योंकी उनसे प्रेरणा पाकर उनके साथ लाखों-लाखों लोगों ने मिलकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की है।'''|महापंडित डॉ॰ [[आनंद कौशल्यायन]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर का व्यक्तिमत्व, उनका अतूलनीय परिश्रम और उनका संघटन कौसल ही उन्हें हमारे देश की एक अप्रतिम महान विरासत का ओहदा प्रदान करती है। लेकिन इसके अलावा अपनी मातृभूमी से अछूतपन का दाग मिटा देने के उद्देश से जो कल्पनातित सेवाएं और संघर्ष उन्होंने किया, और उसमें जो सफलताएं हासील की उससे हमारे शोषित वर्ग के करोड़ो लोगों में एक दूर्दम आत्मविश्वास, देशभक्ती और मानवीय मुल्यों की कुटकुट कर चेतना उभर आयी है। ऐसे सर्वोच्च श्रेणी के महापुरूष का एक शोषित कौम में पैदा होना ही उन्हें उनकी सदियों पुरानी आत्मश्लाद्या से मुक्त कर देता है। और उन्हें तथाकथित उच्चवर्णीयों की कचित श्रेष्ठता से लोहा लेने के लिए प्रेरित करवाता है। उनके प्रति बडे प्रगाट आदर के साथ और उनके महान कार्यों के मद्देनजर में डॉ॰ आंबेडकर को अर्थपूर्ण एवं अच्छे जीवन की शूभकामनाएं प्रदान करता हूं।'''|[[विनायक दामोदर सावरकर]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर अकेले 500 ग्रेजुएटों के बराबर है, अपनी मेहनत से प्राप्त की हुई डॉ॰ आंबेडकर की विद्वत्ता इतनी है कि वे इस विद्वत्ता के बल पर शासन के किसी भी पद पक बैठ सकते है।'''|गव्हर्नर जनरल [[लार्ड लिनलिथगो]]}}
 
 
{{"|'''दुख की बात हैं की महामानव डॉ॰ आंबेडकर का जन्म भारत में हुआ, यदि उनका जन्म किसी अन्य किसी देश में हुआं होता तो उनको 'सर्वमान्य' विश्वविभूतिओं में मान मिलता।'''|[[ब्रिटन]] की महाराणी [[एलिझाबेथ]]|६ दिसंबर १९५६}}
 
 
{{"|'''मुझे इस बात की और भी अधिक खुशी थी कि डॉ॰ आंबेडकर को [[भारतीय संविधान]] के मसौदा समिती का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने जीस निपूणता और कौशल के साथ स्वंतत्र भारत का नया संविधान बनाया उसमें बडी उत्कटता से देख रहा था। वह उनकी एक अत्यंत अदात्त उपलब्धी थी।... वे गांधी के विरूद्ध अत्यंत करारे ढंग से उखडे हुए जिसने भारत के अछूतों को 'पूना-पॅक्ट' के द्वारा कांग्रेस के साथ बांध डाला था। उनमें एक प्रचंड ताकद थी और उनके खिलाफ जाना भारतीय वातावरण में किसी के बस की बात नहीं थी। ऐसे दूरदर्शी शूरवीर महापुरूष के साथ परिचीत होना जीवन को नयी उत्साह से भर देने वाली घटना थी। एक ऐसा व्यक्ति जिन्होंने भारतीय इतिहास पर अपनी अमीट छाप छोड रखी हो।'''|[[लार्ड माउंटबेटन]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जन्मशती ऐसे मौके पर आई हैं जो भारतीय समाज के अत्यंत दमनकारी व्यवस्था के खिलाफ उनके द्वारा किये हुये संघर्ष के महान उपलब्धियों की याद हमें तरोताजा कर देती है। मेरी दृष्टी से वे एक पथप्रदर्शक बनकर दिखाई देते है। वे भारत के सोशित वर्ग के आधुनिकतम युग के उद्धारक के एक महान आदर्श है। और उनकी अर्थवता आज भी उतनी ही बरकरार है जितनी स्वयं उनके भाल मे थी।'''|[[बॅरोनिस फ्लादर]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ भीमराव आंबेडकर ने बौद्ध धर्म को जो अपना योगदान दिया हैं वह अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं और उनके चले जाने के बाद उनके अनुयायीओं के लिए उनके प्रति दी गयी एक श्रेष्ठतम आदरांजली होंगी। मैं डॉ॰ आंबेडकर ने दिये हुए बौद्ध तत्त्वज्ञान का अनुसरण करता हूं।'''|परम पावन [[दलाई लामा]]}}
 
 
{{"|'''तथागत [[बुद्ध]] ने जीवन के अंतिम सत्य को जानने के लिए अथक प्रयासों से [[बुद्धत्व]] उपलब्ध किया, उसी प्रकार डॉ॰ भीमराव आंबेडकर ने अपनी प्रचंड विद्वत्ता और बुद्धिमत्ता से [[बोधिसत्व]] की अवस्था को प्राप्त किया हैं। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर इस युग के भगवान बुद्ध है।'''|महास्थविर गुरू चंद्रमणी}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर एक अत्यंत स्पष्टवादी प्रामाणिक व्यक्ति थे। उनमें न्याय के प्रति एक करारापण था, उनसे अगर न्यायोचित ढंगसे पेश आया जाय तो निश्चित ही वे अपनी परिपूर्ण मित्रता और जीवनभर तक कृतार्थता का ही साक्षात देते है।''' [[सी. राजगोपालचारी]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर में बहुमुखी प्रतिभा थी। वे अदम्य योद्धा थे और उनकी अदम्य भावनाओं ने उन्हें निजी आवश्यकताओं पर विजय पाने में साहायता की। इसमें तनिक संदेय नहीं की भारतीय इतिहास में डॉ॰ आंबेडकर का नाम दिर्घकाल तक अंकित (अमर) रहेगा।'''| [[फ्रेंक एन्थोनी]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर सामाजिक क्रांति के प्रकाश दाता थे।'''| [[राम मनोहर लोहिया]]}}
 
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर न केवल लोकतंत्र को सुरक्षित रखना चाहते थे, बल्कि वह राष्ट्रिय स्वतंत्रता और राष्ट्रिय एकता के भी हामी थे, वह सही अर्थों में राष्ट्रभक्त थे। जो यह महसूस करते थे की हिन्दुओं और मुसलमानों, सिंधीओं और तमिलों के बीच मतभेदों के रहते देश प्रगती नहीं कर सकता है।'''|डॉ॰ [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन]]}}
 
{{"|'''भीमराव आंबेडकर न केवल भारतीय छात्रों में बल्कि अमेरिकन छात्रों में भी सबसे अधिक बुद्धिमान और परिश्रमशील छात्र है।'''|[[एडवीन सेलिग्मन]]|कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर)}}
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर के इस 'दि प्रोब्लम ऑफ रूपी' विषये के चिंतन का मूल्य उनके द्वारा विषय वस्तु के किये गये वास्तविक, एवं तटस्थ चिंतन से प्रतिबिंबीत होता है, जिसमें उन्होंने इस मुल्क की वास्तविकताओं को बडी खूबी के साथ रखा है। ऐसे सिद्धांतों का गहन पिरशिलन मैंने मेरे जीवन में कही अन्यत्र आजतक कभी नहीं देखा हैं।'''|[[एडवीन सेलिग्मन]]}}
 
{{Quote box |quoted=true |bgcolor=#F5F6CE|salign=right| quote =''[[स्त्री]] दीन है ! उसको [[पुरुष]] ने कह रखा है, कि तुम दीन हो ! और मजा यह है कि स्त्री ने भी मान रखा है कि वह दीन है! असल में हजारों साल तक भारत में शुद्र समझते थे कि वह [[शूद्र]] है; क्योंकि हजारों साल तक [[ब्राह्मण]]ों ने समझाया था कि तुम शूद्र हो ! डॉ. आंबेडकर के पहले, शूद्रों के पांच हजार साल के इतिहास में किमती आदमी शूद्रों में पैदा नहीं हुआ ! इसका यह मतलब नहीं कि शूद्रों में बुद्धि न थी और डॉ. आंबेडकर पहले पैदा नहीं हो सकते थे ! पहले पैदा हो सकते थे, लेकिन शूद्रों ने मान रखा था कि उनमें कभी कोई पैदा हो ही नहीं सकता ! वे शूद्र हैं, उनके पास बुद्धि हो नहीं सकती ! डॉ. आंबेडकर भी पैदा न होते, अगर [[अंग्रेज]]ों ने आकर इस मुल्क के दिमाग में थोडा हेर-फेर न कर दिया होता तो डॉ. आंबेडकर भी पैदा नहीं हो सकते थे! हालांकि जब हमको [[भारत का संविधान]] बनाना पड़ा तो कोई [[ब्राह्मण]] काम नहीं पड़ा, वह शूद्र डॉ. आंबेडकर काम पड़े! वह बुद्धिमान से बुद्धिमान आदमी सिद्ध हो सके! लेकिन दौ सौ साल पहले वह [[भारत]] में पैदा नहीं हो सकते थे! क्योंकि शूद्रों ने स्वीकार कर लिया था, खुद ही स्वीकार कर लिया था कि उनके पास बुद्धि नहीं है ! स्त्रियों ने भी स्वीकार कर रखा है कि वे किसी न किसी सीमा पर हीन हैं !| source = ''' - [[ओशो|आचार्य ओशो]] ([[रजनीश]])'''}}
 
{{"|'''डॉ॰ आंबेडकर ज्ञान और बुद्धिमत्ता के झरना है।'''|ऑस्ट्रेलियन गव्हर्नर [[रिचार्ड कॅसे]]}}
 
== सन्दर्भ ==