"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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''' भीमराव रामजी आंबेडकर''' ( [[१४ अप्रैल]], [[१८९१]] – [[६ दिसंबर]], [[१९५६]] )बाबा साहेब के नाम से लोकप्रिय , भारतीय विधिवेत्ता ,अर्थशास्त्री ,राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया।<ref>http://www.firstpost.com/politics/rescuing-ambedkar-from-pure-dalitism-he-wouldve-been-indias-best-prime-minister-2195498.html</ref> वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री एवं भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे।<ref>http://www.dnaindia.com/analysis/standpoint-do-we-really-respect-dr-ambedkar-or-is-it-mere-lip-service-2040352</ref><ref>http://www.deccanchronicle.com/140415/nation-politics/article/now-dr-br-ambedkar-narendra-modi-quiver</ref><ref>https://www.telegraphindia.com/1150216/jsp/frontpage/story_3660.jsp#.WKrDXmXbvIV</ref><ref>http://www.freepressjournal.in/india/milestones-achieved-by-dr-babasaheb-ambedkar/823227</ref> आंबेडकर विपुल प्रतिभा का छात्र था। उसने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उसने विधि ,अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञानं के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की <ref>http://www.hindustantimes.com/india/archives-released-by-lse-reveal-br-ambedkar-s-time-as-a-scholar/story-N2sq6Bm6OlxwQZkz6vBzvM.html</ref>जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता। 1956वह भारत की स्वतंत्रता के अभियान निमित्त जर्नल्स का प्रकाशन ,राजनीतिक अधिकारों की पैरवी करते एवं दलितों की स्वतंत्रता के पक्षधर थे।1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया।
1990 में, [[भारत रत्न]], भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान मरणोपरांत अम्बेडकर पर सम्मानित किया गया था। अंबेडकर की विरासत लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण भी शामिल है।
 
== प्रारंभिक जीवन ==
आंबेडकर का जन्म ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब [[मध्य प्रदेश]] में) में स्थित नगर सैन्य छावनी [[महू]] में हुआ था।<ref>{{cite book |last=Jaffrelot |first=Christophe |title= Dr. Ambedkar and Untouchability: Fighting the Indian Caste System|year= 2005 |publisher= [[Columbia University Press]]|location=New York|isbn= 0-231-13602-1 | page=2}}</ref> वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे।<ref name="Columbia">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1890s.html| title = In the 1890s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> उनका परिवार [[मराठी]] था और वो आंबडवे गांव जो आधुनिक [[महाराष्ट्र]] के [[रत्नागिरी]] जिले में है, से संबंधित था। वे [[हिंदू]] [[महार]] जाति से संबंध रखते थे, जो [[अछूत]] कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की [[मऊ]] छावनी में सेवा में थे और यहां काम करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने [[मराठी]] और [[अंग्रेजी]] में औपचारिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होने अपने बच्चों को स्कूल में पढने और कड़ी मेहनत करने के लिये हमेशा प्रोत्साहित किया।
 
आंबेडकर[[कबीर पंथ]] से संबंधित इस परिवार में, रामजी सकपाल, अपने बच्चों को हिंदू ग्रंथों को पढ़ने के लिए, विशेष रूप से [[महाभारत]] और [[रामायण]] प्रोत्साहित किया करते थे। हालांकी भीमराव कभी भी [[राम]], [[कृष्ण]], [[द्रोण]] से प्रभावित नहीं हुए उन्हें [[गौतम बुद्ध|गौतम बुद्ध]] की शिक्षाओं ने प्रभावित किया, था।जब उन्होंने पहली बार बुद्ध चरित्र पढा। रामजी बाबा ने सेना में अपनी हैसियत का उपयोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल से शिक्षा दिलाने मे किया, क्योंकि अपनी जाति के कारण उन्हें इसके लिये सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। स्कूली पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छत्रडॉ॰ भीमराव आंबेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चों को अस्पृश्यताविद्यालय केमें कारणअलग अनेकाया प्रकारबाहर बिठाया जाता था और अध्यापकों द्वारा न तो ध्यान ही दिया जाता था, न ही कोई सहायता दी जाती थी। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की कठनाइयोंअनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने प‍र कोई ऊँची जाति का सामनाव्यक्ति करनाऊँचाई पड़से रहाउनके हाथों पर पानी डालता था, क्योंकि उनको न तो पानी, न ही पानी के पात्र को स्पर्श करने की अनुमति थी। लोगों के मुताबिक ऐसा करने से पात्र और पानी दोनों अपवित्र हो जाते थे। आमतौर पर यह काम स्कूल के चपरासी द्वारा किया जाता था जिसकी अनुपस्थिति में बालक भीमराव आंबेडकर को बिना पानी के ही रहना पड़ता था। [[१८९४]] मे रामजी सकपाल सेवानिवृत्त हो जाने के बाद सब परिवार सतारा चले गए और इसके दो साल बाद, भीमराव की मां की मृत्यु हो गई। बच्चों की देखभाल उनकी बुआ मीराबाई ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुये की। रामजी सकपाल के केवल तीन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और तीन बेटियाँ मंजुला, गंगा और तुलसा ही इन कठिन हालातों मे जीवित बच पाये। अपने भाइयों और बहनों मे केवल भीमराव ही स्कूल की परीक्षा में सबसे अधिक सफल हुए और इसके बाद बड़े [[विश्वविद्यालय]] जाने में सफल हुये। रामजी सकपाल ने स्कूल में अपने बेटे भीमराव का उपनाम ‘सकपाल' की बजायं ‘आंबडवेकर' लिखवाया, क्योंकी [[कोकण]] प्रांत में लोग अपना उपनाम गांव के नाम से लगा देते थे, इसलिए भीमराव का मूल अंबाडवे गांव से अंबावडेकर उपनाम स्कूल में दर्ज किया। बाद में एक देशस्त [[ब्राह्मण]] शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से ‘अंबाडवेकर’ हटाकर अपना सरल ‘आंबेडकर’ उपनाम जोड़ दिया। आज [[आंबेडकर]] नाम सेसंपूर्ण जानेविश्व जातेमें अमर हो चूकाँ है।
 
आंबेडकर ने सन [[१८९८]] मे पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ [[मुंबई]] (तब बंबई) चले आये। यहाँ अम्बेडकर [[एल्फिंस्टोन रोड]] पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल के पहले अछूत छात्र बने।<ref name="Columbia2">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| title = In the 1900s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> पढा़ई में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद, छात्र भीमराव लगातार अपने विरुद्ध हो रहे इस अलगाव और, भेदभाव से व्यथित रहे। सन [[१९०७]] में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद भीमराव ने [[मुंबई विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लिया और इस तरह वो भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले पहले अस्पृश्य बन गये। मैट्रिक परीक्षा पास की उनकी इस बडी सफलता से उनके पूरे समाज मे एक खुशी की लहर दौड़ गयी, क्योंकि तब के समय में मैट्रिक परीक्षा पास होना बहूत बडी थी और अछूत का मैट्रिक परीक्षा पास होना तो आश्चर्यजनक एवं बहुत महत्त्वपूर्ण बात थी।इसलिए मैट्रिक परीक्षा पास होने पर उनका एक सार्वजनिक समारोह में सम्मान किया गया इसी समारोह में उनके एक शिक्षक [[कृष्णाजी अर्जुन केलूसकर]] ने उन्हें अपनी लिखी हुई पुस्तक [[गौतम बुद्ध]] की जीवनी भेंट की, श्री केलूसकर, एक [[मराठा]] जाति के विद्वान थे। इस बुद्ध चरित्र को पढकर पहिली बार भीमराव बुद्ध की शिक्षाओं को जानकर बुद्ध से बहूत प्रभावित हुए। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की सगाई एक साल पहले हिंदू रीति के अनुसार दापोली की, एक नौ वर्षीय लड़की, रमाबाई से तय की गयी थी।<ref name="Columbia2"/> सन १९०८ में, उन्होंने एलिफिंस्टोन कॉलेज में प्रवेश लिया और [[बड़ौदा]] के गायकवाड़ शासक [[सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय]] से [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] मे उच्च अध्ययन के लिये एक पच्चीस रुपये प्रति माह का वजीफा़ प्राप्त किया। [[१९१२]] में उन्होंने [[राजनीति विज्ञान]] और [[अर्थशास्त्र]] में अपनी बी.ए. की डिग्री प्राप्त की और बड़ौदा राज्य सरकार की नौकरी को तैयार हो गये। उनकी पत्नी रमाबाई ने अपने पहले बेटे यशवंत को इसी वर्ष १२-१२-१९१२ में जन्म दिया। भीमराव अपने परिवार के साथ बड़ौदा चले आये पर जल्द ही उन्हें अपने पिता रामजी आंबेडकर की बीमारी के चलते [[मुंबई]] वापस लौटना पडा़, जिनकी मृत्यु [[२ फरवरी]] [[१९१३]] को हो गयी।
आंबेडकर ने सन [[१८९८]] मे पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ [[मुंबई]] (तब बंबई) चले आये। यहाँ अम्बेडकर [[एल्फिंस्टोन रोड]] पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल के पहले अछूत छात्र बने।<ref name="Columbia2">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| title = In the 1900s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref>
 
==उच्च शिक्षा ==