"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sandesh9822 (वार्ता | योगदान) |
Sandesh9822 (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 4:
|name भीमराव आम्बेडकर
|image = Dr. Bhim Rao Ambedkar.jpg
|caption= सन 1939 में
|order=[[भारत के प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री]]
|other_names = बाबासाहेब, [[बोधिसत्व]]
|birth_place = [[महू]], [[इंदौर जिला]], [[मध्य प्रदेश]], [[भारत]]
|birth_date={{birth date|1891|4|14}}
पंक्ति 25:
}}
''' भीमराव रामजी आंबेडकर''' ( [[१४ अप्रैल]], [[१८९१]] – [[६ दिसंबर]], [[१९५६]] )
1990 में, [[भारत रत्न]], भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत
== प्रारंभिक जीवन ==
Line 103 ⟶ 104:
1948 से, अम्बेडकर [[मधुमेह]] से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। राजनीतिक मुद्दों से परेशान अम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसम्बर 1956 को अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण नींद में दिल्ली में उनके घर मे हो गया। [[7 दिसंबर]] को [[मुंबई]] में [[दादर]] [[चौपाटी समुद्र तट]] पर बौद्ध शैली मे अंतिम संस्कार किया गया जिसमें उनके लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया। उनके अंतिम संस्कार के समय उन्हें साक्षी रखकर उनके करीब 10,00,000 अनुयायीओं ने [[बौद्ध धर्म]] की दीक्षा ली थी, ऐसा विश्व इतिहास में पहिली बार हुआ।
मृत्युपरांत अम्बेडकर के परिवार मे उनकी दूसरी पत्नी [[
कई अधूरे टंकलिपित और हस्तलिखित मसौदे अम्बेडकर के नोट और पत्रों में पाए गए हैं। इनमें ''वैटिंग फ़ोर ए वीसा'' जो संभवतः 1935-36 के बीच का आत्मकथानात्मक काम है और ''अनटचेबल'', ऑर ''द चिल्ड्रन ऑफ इंडियाज़ घेट्टो'' जो 1951 की जनगणना से संबंधित है।
Line 234 ⟶ 235:
== आंबेडकर जी के सिद्धान्त ==
{{main|आंबेडकरवाद}}
3 अक्तूबर 1954 को बाबासाहेब ने ‘मेरा दर्शन’ इस विषय पर आकाशवाणी पर दिए गए अपने भाषण में कहा —
क्रांतिकारी देशभक्त डॉ. भीमराव आंबेडकर को ब्रिटीशों से मुक्त भारत के अलावा देश के ९ करोड़ो (आज ३५ करोड़) शोषित, पिडीत एवं दलित लोगों की धार्मिक गुलामी से मुक्ती चाहते थे। उन्हें भारत के साथ भारतीओं की स्वतंत्र्यता चाहिए थी। वे मनुष्य की स्वतंत्र्यता को सबसे बडी स्वतंत्र्यता मानते थे।▼
<span style="color: red"> <blockquote>''[[शंकराचार्य]] के [[दर्शन]] के कारण हिन्दू समाज-व्यवस्था में जाति-संस्था और विषमता के बीज बोए गए। मैं इसे नकारता हूँ। मेरा सामाजिक दर्शन केवल तीन शब्दों में रखा जा सकता है। ये शब्द हैं — [[स्वतन्त्रता]], [[समता]] और [[बन्धुभाव]] । मैंने इस शब्दों को [[फ्रेंच राज्य क्रान्ति]] से उधार नहीं लिया है। मेरे दर्शन की जड़ें [[धर्म]] में हैं, [[राजनीति]] में नहीं। मेरे गुरु [[बुद्ध]] के व्यक्तित्व और कृतित्व से मुझे ये तीन मूल्य मिले हैं।''</blockquote>
=== स्वतन्त्र्यता ===
▲आंबेडकर मानव की [[स्वतन्त्रता]] में अहम विश्वास रखने वाले महापुरूष थे। क्रांतिकारी देशभक्त
=== समानता ===
आंबेडकर जी को
===बन्धुभाव===
डॉ॰ आंबेडकर [[बन्धुभाव]] या [[भाईचारा|भाईचारे]] के समर्थक थे। वे चाहते थे भारत के सभी समूहों बीच में भाईचारा रहे।
भीमराव आंबेडकर अहिंसा के पूजारी एवं सच्चे अहिंसक थे। उनकी अहिंसा की व्याख्या [[महात्मा गांधी]] के अहिंसा से अलग [[गौतम बुद्ध]] एवं [[संत तुकाराम]] के अंहिसा की तरह जैसी थी। उन्होंने अपने आन्दोलन में हिंसा नहीं की या न ही अनुयायीओं को इसका उपदेश किया। डॉ॰ आंबेडकर मानवतावाद एवं बौद्ध धर्म के उपासक थे, इसलिए अहिंसा में उन्हें विश्वास था।
===बौद्ध धर्म ===
बौद्ध धर्म द्वारा
===विज्ञानवाद===
▲===अहिंसा===
== भारतीय जीवन पर आंबेडकर बनाम गांधी ==
Line 256 ⟶ 263:
== विरासत ==
अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत
अम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन के कारण बड़ी संख्या में दलित राजनीतिक दल, प्रकाशन और कार्यकर्ता संघ अस्तित्व मे आये है जो पूरे भारत में सक्रिय रहते हैं, विशेष रूप से [[महाराष्ट्र]] में। उनके दलित बौद्ध आंदोलन को बढ़ावा देने से बौद्ध दर्शन भारत के कई भागों में पुनर्जागरित हुआ है। दलित कार्यकर्ता समय समय पर सामूहिक धर्म परिवर्तन के समारोह आयोजित उसी तरह करते रहते हैं जिस तरह अम्बेडकर ने 1956 मे नागपुर मे आयोजित किया था।▼
▲अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत मे उनकी सामाजिक और राजनीतिक सोच को सारे राजनीतिक हलके का सम्मान हासिल हुआ। उनकी इस पहल ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मे आज के भारत की सोच को प्रभावित किया। उनकी यह् सोच आज की सामाजिक, आर्थिक नीतियों, शिक्षा, कानून और सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से प्रदर्शित होती है। एक विद्वान के रूप में उनकी ख्याति उनकी नियुक्ति स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कराने मे सहायक सिद्ध हुयी। उन्हें व्यक्ति की स्वतंत्रता में अटूट विश्वास था और उन्होने समान रूप से रूढ़िवादी और जातिवादी हिंदू समाज और इस्लाम की संकीर्ण और कट्टर नीतियों की आलोचना की है। उसकी हिंदू और इस्लाम की निंदा ने उसको विवादास्पद और अलोकप्रिय बनाया है, हालांकि उनके बौद्ध धर्म मे परिवर्तित होने के बाद भारत में बौद्ध दर्शन में लोगों की रुचि बढ़ी है।
▲अम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन के कारण बड़ी संख्या में दलित राजनीतिक दल, प्रकाशन और कार्यकर्ता संघ अस्तित्व मे आये है जो पूरे भारत में सक्रिय रहते हैं, विशेष रूप से महाराष्ट्र में। उनके दलित बौद्ध आंदोलन को बढ़ावा देने से बौद्ध दर्शन भारत के कई भागों में पुनर्जागरित हुआ है। दलित कार्यकर्ता समय समय पर सामूहिक धर्म परिवर्तन के समारोह आयोजित उसी तरह करते रहते हैं जिस तरह अम्बेडकर ने 1956 मे नागपुर मे आयोजित किया था।
कुछ विद्वानों, जिनमें से कुछ प्रभावित जातियों से है का विचार है कि अंग्रेज अधिकतर जातियों को एक नज़र से देखते थे और अगर उनका राज जारी रहता तो समाज से काफी बुराईयों को समाप्त किया जा सकता था। यह राय ज्योतिबा फुले समेत कई थी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रखी है।▼
▲कुछ विद्वानों, जिनमें से कुछ प्रभावित जातियों से है का विचार है कि अंग्रेज अधिकतर जातियों को एक नज़र से देखते थे और अगर उनका राज जारी रहता तो समाज से काफी बुराईयों को समाप्त किया जा सकता था। यह राय [[ज्योतिबा फुले]] समेत कई थी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रखी है।
== कोलंबिया विश्वविद्यालय के टॉप 100 छात्रों में शीर्ष पर ==
Line 274 ⟶ 278:
== फिल्में ==
;युगपुरूष डॉ.
[[१९९३]] में आई हुई एक मराठी फिल्म है।<ref>https://m.youtube.com/watch?v=9gqwORuDPfg
</ref>
* ''[[डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर (फिल्म)|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर]]''
[[जब्बार पटेल]] ने सन २००० मे डॉ.
;ए रायजिंग लाइट
Line 285 ⟶ 289:
;रमाबाई भीमराव आंबेडकर
यह [[मराठी भाषा]] की फिल्म डॉ. भीमराव आंबेडकर की पत्नी [[रमाबाई
== नाटक ==
[[राजेश कुमार]] का भीमराव अम्बेडकर और [[गांधी]] नाटक<ref>http://mohallalive.com/2010/02/23/a-play-based-on-ambedkar-and-gandhi/</ref>। [[अरविन्द गौड़]] के निर्देशन मे [[अस्मिता]] थियेटर ग्रुप द्वारा पूरे देश मे लगातार मन्चन।
==
आंबेडकर बहूत प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। भीमराव को 6 भारतीय और 4 विदेशी ऐसे कुल दस भाषाओं का ज्ञान था, [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएं वे जानते थे। भीमराव ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लिखा है। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के बावजुद भी उनकी इतनी सारी किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का इतना बडा यह संग्रह वाकई अद्भुत है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे और यह प्रतिभा एवं क्षमता उन्होंने अपने कठीन परिश्रम से हासित की थी। वे बडे साहसी लेखक या ग्रंथकर्ता थे, उनकी हर किताब में उनकी असामान्य विद्वता एवं उनकी दुरदर्शता का परिचय होता है।
|