"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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|name भीमराव आम्बेडकर
|image = Dr. Bhim Rao Ambedkar.jpg
|caption= सन 1939 में
|order=[[भारत के प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री]]
|other_names = बाबासाहेब, [[बोधिसत्व]]
|birth_place = [[महू]], [[इंदौर जिला]], [[मध्य प्रदेश]], [[भारत]]
|birth_date={{birth date|1891|4|14}}
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}}
''' भीमराव रामजी आंबेडकर''' ( [[१४ अप्रैल]], [[१८९१]] – [[६ दिसंबर]], [[१९५६]] )
1990 में, [[भारत रत्न]], भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत
== प्रारंभिक जीवन ==
आंबेडकर का जन्म ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब [[मध्य प्रदेश]] में) में स्थित नगर सैन्य छावनी [[महू]] में हुआ था।<ref>{{cite book |last=Jaffrelot |first=Christophe |title= Dr. Ambedkar and Untouchability: Fighting the Indian Caste System|year= 2005 |publisher= [[Columbia University Press]]|location=New York|isbn= 0-231-13602-1 | page=2}}</ref> वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे।<ref name="Columbia">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1890s.html| title = In the 1890s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> उनका परिवार [[मराठी]] था और वो आंबडवे गांव जो आधुनिक [[महाराष्ट्र]] के [[रत्नागिरी]] जिले में है, से संबंधित था। वे [[हिंदू]] [[महार]] जाति से संबंध रखते थे, जो [[अछूत]] कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की [[मऊ]] छावनी में सेवा में थे और यहां काम करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने [[मराठी]] और [[अंग्रेजी]] में औपचारिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होने अपने बच्चों को स्कूल में पढने और कड़ी मेहनत करने के लिये हमेशा प्रोत्साहित किया।
आंबेडकर ने सन [[१८९८]] मे पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ [[मुंबई]] (तब बंबई) चले आये। यहाँ अम्बेडकर [[एल्फिंस्टोन रोड]] पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल के पहले अछूत छात्र बने।<ref name="Columbia2">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| title = In the 1900s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> पढा़ई में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद, छात्र भीमराव लगातार अपने विरुद्ध हो रहे इस अलगाव और, भेदभाव से व्यथित रहे। सन [[१९०७]] में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद भीमराव ने [[मुंबई विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लिया और इस तरह वो भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले पहले अस्पृश्य बन गये। मैट्रिक परीक्षा पास की उनकी इस बडी सफलता से उनके पूरे समाज मे एक खुशी की लहर दौड़ गयी, क्योंकि तब के समय में मैट्रिक परीक्षा पास होना बहूत बडी थी और अछूत का मैट्रिक परीक्षा पास होना तो आश्चर्यजनक एवं बहुत महत्त्वपूर्ण बात थी।इसलिए मैट्रिक परीक्षा पास होने पर उनका एक सार्वजनिक समारोह में सम्मान किया गया इसी समारोह में उनके एक शिक्षक [[कृष्णाजी अर्जुन केलूसकर]] ने उन्हें अपनी लिखी हुई पुस्तक [[गौतम बुद्ध]] की जीवनी भेंट की, श्री केलूसकर, एक [[मराठा]] जाति के विद्वान थे। इस बुद्ध चरित्र को पढकर पहिली बार भीमराव बुद्ध की शिक्षाओं को जानकर बुद्ध से बहूत प्रभावित हुए। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की सगाई एक साल पहले हिंदू रीति के अनुसार दापोली की, एक नौ वर्षीय लड़की, रमाबाई से तय की गयी थी।<ref name="Columbia2"/> सन १९०८ में, उन्होंने एलिफिंस्टोन कॉलेज में प्रवेश लिया और [[बड़ौदा]] के गायकवाड़ शासक [[सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय]] से [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] मे उच्च अध्ययन के लिये एक पच्चीस रुपये प्रति माह का वजीफा़ प्राप्त किया। [[१९१२]] में उन्होंने [[राजनीति विज्ञान]] और [[अर्थशास्त्र]] में अपनी बी.ए. की डिग्री प्राप्त की और बड़ौदा राज्य सरकार की नौकरी को तैयार हो गये। उनकी पत्नी रमाबाई ने अपने पहले बेटे यशवंत को इसी वर्ष १२-१२-१९१२ में जन्म दिया। भीमराव अपने परिवार के साथ बड़ौदा चले आये पर जल्द ही उन्हें अपने पिता रामजी आंबेडकर की बीमारी के चलते [[मुंबई]] वापस लौटना पडा़, जिनकी मृत्यु [[२ फरवरी]] [[१९१३]] को हो गयी।
==उच्च शिक्षा ==
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1948 से, अम्बेडकर [[मधुमेह]] से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। राजनीतिक मुद्दों से परेशान अम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसम्बर 1956 को अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण नींद में दिल्ली में उनके घर मे हो गया। [[7 दिसंबर]] को [[मुंबई]] में [[दादर]] [[चौपाटी समुद्र तट]] पर बौद्ध शैली मे अंतिम संस्कार किया गया जिसमें उनके लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया। उनके अंतिम संस्कार के समय उन्हें साक्षी रखकर उनके करीब 10,00,000 अनुयायीओं ने [[बौद्ध धर्म]] की दीक्षा ली थी, ऐसा विश्व इतिहास में पहिली बार हुआ।
मृत्युपरांत अम्बेडकर के परिवार मे उनकी दूसरी पत्नी [[
कई अधूरे टंकलिपित और हस्तलिखित मसौदे अम्बेडकर के नोट और पत्रों में पाए गए हैं। इनमें ''वैटिंग फ़ोर ए वीसा'' जो संभवतः 1935-36 के बीच का आत्मकथानात्मक काम है और ''अनटचेबल'', ऑर ''द चिल्ड्रन ऑफ इंडियाज़ घेट्टो'' जो 1951 की जनगणना से संबंधित है।
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== आंबेडकर जी के सिद्धान्त ==
{{main|आंबेडकरवाद}}
3 अक्तूबर 1954 को बाबासाहेब ने ‘मेरा दर्शन’ इस विषय पर आकाशवाणी पर दिए गए अपने भाषण में कहा —
क्रांतिकारी देशभक्त डॉ. भीमराव आंबेडकर को ब्रिटीशों से मुक्त भारत के अलावा देश के ९ करोड़ो (आज ३५ करोड़) शोषित, पिडीत एवं दलित लोगों की धार्मिक गुलामी से मुक्ती चाहते थे। उन्हें भारत के साथ भारतीओं की स्वतंत्र्यता चाहिए थी। वे मनुष्य की स्वतंत्र्यता को सबसे बडी स्वतंत्र्यता मानते थे।▼
<span style="color: red"> <blockquote>''[[शंकराचार्य]] के [[दर्शन]] के कारण हिन्दू समाज-व्यवस्था में जाति-संस्था और विषमता के बीज बोए गए। मैं इसे नकारता हूँ। मेरा सामाजिक दर्शन केवल तीन शब्दों में रखा जा सकता है। ये शब्द हैं — [[स्वतन्त्रता]], [[समता]] और [[बन्धुभाव]] । मैंने इस शब्दों को [[फ्रेंच राज्य क्रान्ति]] से उधार नहीं लिया है। मेरे दर्शन की जड़ें [[धर्म]] में हैं, [[राजनीति]] में नहीं। मेरे गुरु [[बुद्ध]] के व्यक्तित्व और कृतित्व से मुझे ये तीन मूल्य मिले हैं।''</blockquote>
=== स्वतन्त्र्यता ===
▲आंबेडकर मानव की [[स्वतन्त्रता]] में अहम विश्वास रखने वाले महापुरूष थे। क्रांतिकारी देशभक्त
=== समानता ===
आंबेडकर जी को
===बन्धुभाव===
डॉ॰ आंबेडकर [[बन्धुभाव]] या [[भाईचारा|भाईचारे]] के समर्थक थे। वे चाहते थे भारत के सभी समूहों बीच में भाईचारा रहे।
=== अहिंसा ===▼
भीमराव आंबेडकर अहिंसा के पूजारी एवं सच्चे अहिंसक थे। उनकी अहिंसा की व्याख्या [[महात्मा गांधी]] के अहिंसा से अलग [[गौतम बुद्ध]] एवं [[संत तुकाराम]] के अंहिसा की तरह जैसी थी। उन्होंने अपने आन्दोलन में हिंसा नहीं की या न ही अनुयायीओं को इसका उपदेश किया। डॉ॰ आंबेडकर मानवतावाद एवं बौद्ध धर्म के उपासक थे, इसलिए अहिंसा में उन्हें विश्वास था।
===बौद्ध धर्म ===
बौद्ध धर्म द्वारा
===विज्ञानवाद===
▲===अहिंसा===
== भारतीय जीवन पर आंबेडकर बनाम गांधी ==
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== विरासत ==
अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत
अम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन के कारण बड़ी संख्या में दलित राजनीतिक दल, प्रकाशन और कार्यकर्ता संघ अस्तित्व मे आये है जो पूरे भारत में सक्रिय रहते हैं, विशेष रूप से [[महाराष्ट्र]] में। उनके दलित बौद्ध आंदोलन को बढ़ावा देने से बौद्ध दर्शन भारत के कई भागों में पुनर्जागरित हुआ है। दलित कार्यकर्ता समय समय पर सामूहिक धर्म परिवर्तन के समारोह आयोजित उसी तरह करते रहते हैं जिस तरह अम्बेडकर ने 1956 मे नागपुर मे आयोजित किया था।▼
▲अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत मे उनकी सामाजिक और राजनीतिक सोच को सारे राजनीतिक हलके का सम्मान हासिल हुआ। उनकी इस पहल ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मे आज के भारत की सोच को प्रभावित किया। उनकी यह् सोच आज की सामाजिक, आर्थिक नीतियों, शिक्षा, कानून और सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से प्रदर्शित होती है। एक विद्वान के रूप में उनकी ख्याति उनकी नियुक्ति स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कराने मे सहायक सिद्ध हुयी। उन्हें व्यक्ति की स्वतंत्रता में अटूट विश्वास था और उन्होने समान रूप से रूढ़िवादी और जातिवादी हिंदू समाज और इस्लाम की संकीर्ण और कट्टर नीतियों की आलोचना की है। उसकी हिंदू और इस्लाम की निंदा ने उसको विवादास्पद और अलोकप्रिय बनाया है, हालांकि उनके बौद्ध धर्म मे परिवर्तित होने के बाद भारत में बौद्ध दर्शन में लोगों की रुचि बढ़ी है।
▲अम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन के कारण बड़ी संख्या में दलित राजनीतिक दल, प्रकाशन और कार्यकर्ता संघ अस्तित्व मे आये है जो पूरे भारत में सक्रिय रहते हैं, विशेष रूप से महाराष्ट्र में। उनके दलित बौद्ध आंदोलन को बढ़ावा देने से बौद्ध दर्शन भारत के कई भागों में पुनर्जागरित हुआ है। दलित कार्यकर्ता समय समय पर सामूहिक धर्म परिवर्तन के समारोह आयोजित उसी तरह करते रहते हैं जिस तरह अम्बेडकर ने 1956 मे नागपुर मे आयोजित किया था।
कुछ विद्वानों, जिनमें से कुछ प्रभावित जातियों से है का विचार है कि अंग्रेज अधिकतर जातियों को एक नज़र से देखते थे और अगर उनका राज जारी रहता तो समाज से काफी बुराईयों को समाप्त किया जा सकता था। यह राय ज्योतिबा फुले समेत कई थी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रखी है।▼
▲कुछ विद्वानों, जिनमें से कुछ प्रभावित जातियों से है का विचार है कि अंग्रेज अधिकतर जातियों को एक नज़र से देखते थे और अगर उनका राज जारी रहता तो समाज से काफी बुराईयों को समाप्त किया जा सकता था। यह राय [[ज्योतिबा फुले]] समेत कई थी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रखी है।
== कोलंबिया विश्वविद्यालय के टॉप 100 छात्रों में शीर्ष पर ==
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== फिल्में ==
;युगपुरूष डॉ.
[[१९९३]] में आई हुई एक मराठी फिल्म है।<ref>https://m.youtube.com/watch?v=9gqwORuDPfg
</ref>
* ''[[डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर (फिल्म)|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर]]''
[[जब्बार पटेल]] ने सन २००० मे डॉ.
;ए रायजिंग लाइट
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;रमाबाई भीमराव आंबेडकर
यह [[मराठी भाषा]] की फिल्म डॉ. भीमराव आंबेडकर की पत्नी [[रमाबाई
== नाटक ==
[[राजेश कुमार]] का भीमराव अम्बेडकर और [[गांधी]] नाटक<ref>http://mohallalive.com/2010/02/23/a-play-based-on-ambedkar-and-gandhi/</ref>। [[अरविन्द गौड़]] के निर्देशन मे [[अस्मिता]] थियेटर ग्रुप द्वारा पूरे देश मे लगातार मन्चन।
==
आंबेडकर बहूत प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। भीमराव को 6 भारतीय और 4 विदेशी ऐसे कुल दस भाषाओं का ज्ञान था, [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएं वे जानते थे। भीमराव ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लिखा है। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के बावजुद भी उनकी इतनी सारी किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का इतना बडा यह संग्रह वाकई अद्भुत है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे और यह प्रतिभा एवं क्षमता उन्होंने अपने कठीन परिश्रम से हासित की थी। वे बडे साहसी लेखक या ग्रंथकर्ता थे, उनकी हर किताब में उनकी असामान्य विद्वता एवं उनकी दुरदर्शता का परिचय होता है।
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