"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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|name भीमराव आम्बेडकर
|image = Dr. Bhim Rao Ambedkar.jpg
|caption= सन 1939 में भीमराव रामजी अंबेडकर
|order=[[भारत के प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री]]
|other_names = बाबासाहेब, [[बोधिसत्व]]
|birth_place = [[महू]], [[इंदौर जिला]], [[मध्य प्रदेश]], [[भारत]]
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}}
 
''' भीमराव रामजी आंबेडकर''' ( [[१४ अप्रैल]], [[१८९१]] – [[६ दिसंबर]], [[१९५६]] )बाबा साहेब'''बाबासाहेब''' के नाम से लोकप्रिय , भारतीय [[विधिवेत्ता]], [[अर्थशास्त्री]],अर्थशास्त्री ,[[राजनीतिज्ञ]] और [[समाजसुधारक]] थे। उन्होंने [[दलित बौद्ध आंदोलन]] को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया।<ref>http://www.firstpost.com/politics/rescuing-ambedkar-from-pure-dalitism-he-wouldve-been-indias-best-prime-minister-2195498.html</ref> वे स्वतंत्र [[भारत]] के प्रथम कानून मंत्री एवं [[भारतीय संविधान]] के प्रमुख वास्तुकारशिल्पकार थे।<ref>http://www.dnaindia.com/analysis/standpoint-do-we-really-respect-dr-ambedkar-or-is-it-mere-lip-service-2040352</ref><ref>http://www.deccanchronicle.com/140415/nation-politics/article/now-dr-br-ambedkar-narendra-modi-quiver</ref><ref>https://www.telegraphindia.com/1150216/jsp/frontpage/story_3660.jsp#.WKrDXmXbvIV</ref><ref>http://www.freepressjournal.in/india/milestones-achieved-by-dr-babasaheb-ambedkar/823227</ref> आंबेडकर विपुल प्रतिभा का छात्र था।थे। उसनेउन्होंने [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] और लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उसनेउन्होंने विधि , अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञानं के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की की।<ref>http://www.hindustantimes.com/india/archives-released-by-lse-reveal-br-ambedkar-s-time-as-a-scholar/story-N2sq6Bm6OlxwQZkz6vBzvM.html</ref> जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता। वह भारत की स्वतंत्रता के अभियान निमित्त जर्नल्स का प्रकाशन , राजनीतिक अधिकारों की पैरवी करते एवं दलितों की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। 1956 में उन्होंने [[बौद्ध धर्म]] अपना लिया।
 
1990 में, [[भारत रत्न]], भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत अम्बेडकरआम्बेडकर परको सम्मानित किया गया था। अंबेडकर की विरासत लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण भी शामिल है।
 
== प्रारंभिक जीवन ==
आंबेडकर का जन्म ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब [[मध्य प्रदेश]] में) में स्थित नगर सैन्य छावनी [[महू]] में हुआ था।<ref>{{cite book |last=Jaffrelot |first=Christophe |title= Dr. Ambedkar and Untouchability: Fighting the Indian Caste System|year= 2005 |publisher= [[Columbia University Press]]|location=New York|isbn= 0-231-13602-1 | page=2}}</ref> वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे।<ref name="Columbia">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1890s.html| title = In the 1890s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> उनका परिवार [[मराठी]] था और वो आंबडवे गांव जो आधुनिक [[महाराष्ट्र]] के [[रत्नागिरी]] जिले में है, से संबंधित था। वे [[हिंदू]] [[महार]] जाति से संबंध रखते थे, जो [[अछूत]] कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की [[मऊ]] छावनी में सेवा में थे और यहां काम करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने [[मराठी]] और [[अंग्रेजी]] में औपचारिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होने अपने बच्चों को स्कूल में पढने और कड़ी मेहनत करने के लिये हमेशा प्रोत्साहित किया।
 
आंबेडकर[[कबीर पंथ]] से संबंधित इस परिवार में, रामजी सकपाल, अपने बच्चों को हिंदू ग्रंथों को पढ़ने के लिए, विशेष रूप से [[महाभारत]] और [[रामायण]] प्रोत्साहित किया करते थे। हालांकी भीमराव कभी भी [[राम]], [[कृष्ण]], [[द्रोण]] से प्रभावित नहीं हुए उन्हें [[गौतम बुद्ध|गौतम बुद्ध]] की शिक्षाओं ने प्रभावित किया, था।जब उन्होंने पहली बार बुद्ध चरित्र पढा। रामजी बाबा ने सेना में अपनी हैसियत का उपयोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल से शिक्षा दिलाने मे किया, क्योंकि अपनी जाति के कारण उन्हें इसके लिये सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। स्कूली पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छत्रडॉ॰ भीमराव आंबेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चों को अस्पृश्यताविद्यालय केमें कारणअलग अनेकाया प्रकारबाहर बिठाया जाता था और अध्यापकों द्वारा न तो ध्यान ही दिया जाता था, न ही कोई सहायता दी जाती थी। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की कठनाइयोंअनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने प‍र कोई ऊँची जाति का सामनाव्यक्ति करनाऊँचाई पड़से रहाउनके हाथों पर पानी डालता था, क्योंकि उनको न तो पानी, न ही पानी के पात्र को स्पर्श करने की अनुमति थी। लोगों के मुताबिक ऐसा करने से पात्र और पानी दोनों अपवित्र हो जाते थे। आमतौर पर यह काम स्कूल के चपरासी द्वारा किया जाता था जिसकी अनुपस्थिति में बालक भीमराव आंबेडकर को बिना पानी के ही रहना पड़ता था। [[१८९४]] मे रामजी सकपाल सेवानिवृत्त हो जाने के बाद सब परिवार सतारा चले गए और इसके दो साल बाद, भीमराव की मां की मृत्यु हो गई। बच्चों की देखभाल उनकी बुआ मीराबाई ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुये की। रामजी सकपाल के केवल तीन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और तीन बेटियाँ मंजुला, गंगा और तुलसा ही इन कठिन हालातों मे जीवित बच पाये। अपने भाइयों और बहनों मे केवल भीमराव ही स्कूल की परीक्षा में सबसे अधिक सफल हुए और इसके बाद बड़े [[विश्वविद्यालय]] जाने में सफल हुये। रामजी सकपाल ने स्कूल में अपने बेटे भीमराव का उपनाम ‘सकपाल' की बजायं ‘आंबडवेकर' लिखवाया, क्योंकी [[कोकण]] प्रांत में लोग अपना उपनाम गांव के नाम से लगा देते थे, इसलिए भीमराव का मूल अंबाडवे गांव से अंबावडेकर उपनाम स्कूल में दर्ज किया। बाद में एक देशस्त [[ब्राह्मण]] शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से ‘अंबाडवेकर’ हटाकर अपना सरल ‘आंबेडकर’ उपनाम जोड़ दिया। आज [[आंबेडकर]] नाम सेसंपूर्ण जानेविश्व जातेमें अमर हो चूकाँ है।
 
आंबेडकर ने सन [[१८९८]] मे पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ [[मुंबई]] (तब बंबई) चले आये। यहाँ अम्बेडकर [[एल्फिंस्टोन रोड]] पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल के पहले अछूत छात्र बने।<ref name="Columbia2">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| title = In the 1900s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> पढा़ई में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद, छात्र भीमराव लगातार अपने विरुद्ध हो रहे इस अलगाव और, भेदभाव से व्यथित रहे। सन [[१९०७]] में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद भीमराव ने [[मुंबई विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लिया और इस तरह वो भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले पहले अस्पृश्य बन गये। मैट्रिक परीक्षा पास की उनकी इस बडी सफलता से उनके पूरे समाज मे एक खुशी की लहर दौड़ गयी, क्योंकि तब के समय में मैट्रिक परीक्षा पास होना बहूत बडी थी और अछूत का मैट्रिक परीक्षा पास होना तो आश्चर्यजनक एवं बहुत महत्त्वपूर्ण बात थी।इसलिए मैट्रिक परीक्षा पास होने पर उनका एक सार्वजनिक समारोह में सम्मान किया गया इसी समारोह में उनके एक शिक्षक [[कृष्णाजी अर्जुन केलूसकर]] ने उन्हें अपनी लिखी हुई पुस्तक [[गौतम बुद्ध]] की जीवनी भेंट की, श्री केलूसकर, एक [[मराठा]] जाति के विद्वान थे। इस बुद्ध चरित्र को पढकर पहिली बार भीमराव बुद्ध की शिक्षाओं को जानकर बुद्ध से बहूत प्रभावित हुए। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की सगाई एक साल पहले हिंदू रीति के अनुसार दापोली की, एक नौ वर्षीय लड़की, रमाबाई से तय की गयी थी।<ref name="Columbia2"/> सन १९०८ में, उन्होंने एलिफिंस्टोन कॉलेज में प्रवेश लिया और [[बड़ौदा]] के गायकवाड़ शासक [[सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय]] से [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] मे उच्च अध्ययन के लिये एक पच्चीस रुपये प्रति माह का वजीफा़ प्राप्त किया। [[१९१२]] में उन्होंने [[राजनीति विज्ञान]] और [[अर्थशास्त्र]] में अपनी बी.ए. की डिग्री प्राप्त की और बड़ौदा राज्य सरकार की नौकरी को तैयार हो गये। उनकी पत्नी रमाबाई ने अपने पहले बेटे यशवंत को इसी वर्ष १२-१२-१९१२ में जन्म दिया। भीमराव अपने परिवार के साथ बड़ौदा चले आये पर जल्द ही उन्हें अपने पिता रामजी आंबेडकर की बीमारी के चलते [[मुंबई]] वापस लौटना पडा़, जिनकी मृत्यु [[२ फरवरी]] [[१९१३]] को हो गयी।
आंबेडकर ने सन [[१८९८]] मे पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ [[मुंबई]] (तब बंबई) चले आये। यहाँ अम्बेडकर [[एल्फिंस्टोन रोड]] पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल के पहले अछूत छात्र बने।<ref name="Columbia2">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| title = In the 1900s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref>
 
==उच्च शिक्षा ==
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1948 से, अम्बेडकर [[मधुमेह]] से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। राजनीतिक मुद्दों से परेशान अम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसम्बर 1956 को अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण नींद में दिल्ली में उनके घर मे हो गया। [[7 दिसंबर]] को [[मुंबई]] में [[दादर]] [[चौपाटी समुद्र तट]] पर बौद्ध शैली मे अंतिम संस्कार किया गया जिसमें उनके लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया। उनके अंतिम संस्कार के समय उन्हें साक्षी रखकर उनके करीब 10,00,000 अनुयायीओं ने [[बौद्ध धर्म]] की दीक्षा ली थी, ऐसा विश्व इतिहास में पहिली बार हुआ।
 
मृत्युपरांत अम्बेडकर के परिवार मे उनकी दूसरी पत्नी [[ सविता अम्बेडकर]] रह गयी थीं जो, जन्म से ब्राह्मण थीं पर उनके साथ ही वो भी धर्म परिवर्तित कर बौद्ध बन गयी थीं, तथा [[दलित बौद्ध आंदोलन]] में भीमराव के बाद (भीमराव के साथ) बौद्ध बनने वाली वह पहिली व्यक्ति थी। विवाह से पहले उनकी पत्नी का नाम डॉ॰ शारदा कबीर था। डॉ॰ सविता अम्बेडकर की एक बौद्ध के रूप में सन[[29 2002मई]] [[2003]] में मृत्यु हो गई,<ref>http://www.thehindu.com/2003/05/30/stories/2003053002081300.htm</ref> अम्बेडकर के पौत्र, [[प्रकाश यशवंत अम्बेडकर]], [[भारिपा बहुजन महासंघ]] का नेतृत्व करते है और भारतीय [[संसद]] के दोनों सदनों मे के सदस्य रह चुके है।
 
कई अधूरे टंकलिपित और हस्तलिखित मसौदे अम्बेडकर के नोट और पत्रों में पाए गए हैं। इनमें ''वैटिंग फ़ोर ए वीसा'' जो संभवतः 1935-36 के बीच का आत्मकथानात्मक काम है और ''अनटचेबल'', ऑर ''द चिल्ड्रन ऑफ इंडियाज़ घेट्टो'' जो 1951 की जनगणना से संबंधित है।
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== आंबेडकर जी के सिद्धान्त ==
{{main|आंबेडकरवाद}}
 
===स्वतंत्र्यता===
3 अक्तूबर 1954 को बाबासाहेब ने ‘मेरा दर्शन’ इस विषय पर आकाशवाणी पर दिए गए अपने भाषण में कहा —
क्रांतिकारी देशभक्त डॉ. भीमराव आंबेडकर को ब्रिटीशों से मुक्त भारत के अलावा देश के ९ करोड़ो (आज ३५ करोड़) शोषित, पिडीत एवं दलित लोगों की धार्मिक गुलामी से मुक्ती चाहते थे। उन्हें भारत के साथ भारतीओं की स्वतंत्र्यता चाहिए थी। वे मनुष्य की स्वतंत्र्यता को सबसे बडी स्वतंत्र्यता मानते थे।
<span style="color: red"> <blockquote>''[[शंकराचार्य]] के [[दर्शन]] के कारण हिन्दू समाज-व्यवस्था में जाति-संस्था और विषमता के बीज बोए गए। मैं इसे नकारता हूँ। मेरा सामाजिक दर्शन केवल तीन शब्दों में रखा जा सकता है। ये शब्द हैं — [[स्वतन्त्रता]], [[समता]] और [[बन्धुभाव]] । मैंने इस शब्दों को [[फ्रेंच राज्य क्रान्ति]] से उधार नहीं लिया है। मेरे दर्शन की जड़ें [[धर्म]] में हैं, [[राजनीति]] में नहीं। मेरे गुरु [[बुद्ध]] के व्यक्तित्व और कृतित्व से मुझे ये तीन मूल्य मिले हैं।''</blockquote>
 
=== स्वतन्त्र्यता ===
आंबेडकर मानव की [[स्वतन्त्रता]] में अहम विश्वास रखने वाले महापुरूष थे। क्रांतिकारी देशभक्त डॉ.डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को ब्रिटीशों से मुक्त भारत के अलावा देश के ९ करोड़ोकरोड़ (आज ३५ करोड़) शोषित, पिडीत एवं दलित लोगों की धार्मिक गुलामी से मुक्ती दिलाना चाहते थे। उन्हें भारत देश के साथ भारतीओं की स्वतंत्र्यता चाहिए थी। वे मनुष्य की स्वतंत्र्यता को सबसे बडी स्वतंत्र्यता मानते थे।
 
=== समानता ===
आंबेडकर जी को ‘समानता‘[[समानता]] का प्रतिक’ कहाँ जाता है। भीमराव नेउन्होंने अपने पुरे जीवन काल में देश के शोषित, पिडीत,पिडीतों एवं महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक क्षेत्र में समानता देने की बात कही है। भीमराव आंबेडकर की वजह से ही आज सबकोसब भारतीयों को समान अधिकार प्राप्त है।
 
===बन्धुभाव===
डॉ॰ आंबेडकर [[बन्धुभाव]] या [[भाईचारा|भाईचारे]] के समर्थक थे। वे चाहते थे भारत के सभी समूहों बीच में भाईचारा रहे।
 
=== अहिंसा ===
भीमराव आंबेडकर अहिंसा के पूजारी एवं सच्चे अहिंसक थे। उनकी अहिंसा की व्याख्या [[महात्मा गांधी]] के अहिंसा से अलग [[गौतम बुद्ध]] एवं [[संत तुकाराम]] के अंहिसा की तरह जैसी थी। उन्होंने अपने आन्दोलन में हिंसा नहीं की या न ही अनुयायीओं को इसका उपदेश किया। डॉ॰ आंबेडकर मानवतावाद एवं बौद्ध धर्म के उपासक थे, इसलिए अहिंसा में उन्हें विश्वास था।
 
===भाईचारा===
भीमराव सच्चे अहिंसक थे, उन्होंने कभी कहीं भी अहिंसा नहीं की या अपने अनुयायीओं को इसका उपदेश किया। भीमराव भगवान बुद्ध के उपासक थे इसलिए वे समस्त मानवों के भाईचारा चाहते थे।
===बौद्ध धर्म ===
बौद्ध धर्म द्वारा भीमरावआंबेडकर ने करोड़ो के लिए मानवमुक्ती का रास्ता खोजा, क्योंकी बौद्ध धर्म मनुष्य की स्वतंत्र्यता, समानता, विज्ञानवाद, अहिंसा, प्रज्ञा एवं करूणा में विश्वास करता है। आज भारत के बौद्ध बने अनुयायी दलितों एवं हिंदुओं से साक्षरता, लिंग अनुपात, स्नातक, काम में आगे है।
 
===विज्ञानवाद===
भीमरावआंबेडकर पुरोगामी एवं सत्यवादी थे, इसलिए उन्हें विज्ञान में विश्वास था।
===मानवतावाद===
 
===सत्य===
===अहिंसा===
 
== भारतीय जीवन पर आंबेडकर बनाम गांधी ==
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== विरासत ==
अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत मेमें उनकी सामाजिक और राजनीतिक सोच को सारे राजनीतिक हलके का सम्मान हासिल हुआ। उनकी इस पहल ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मे आज के भारत की सोच को प्रभावित किया। उनकी यह्यह सोच आज की सामाजिक, आर्थिक नीतियों, शिक्षा, कानून और सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से प्रदर्शित होती है। एक विद्वान के रूप में उनकी ख्याति उनकी नियुक्ति स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कराने मे सहायक सिद्ध हुयी। उन्हें व्यक्ति की स्वतंत्रता में अटूट विश्वास था और उन्होने समान रूप से रूढ़िवादी और जातिवादी हिंदू समाज और इस्लाम की संकीर्ण और कट्टर नीतियों की आलोचना की है। उसकीउनकी हिंदू और इस्लाम की निंदा ने उसकोउनको विवादास्पद और अलोकप्रिय बनाया हैथा, हालांकि अब वे हिंदूओं में भी बहुत लोकप्रिय बने है। उनके बौद्ध धर्म मे परिवर्तित होने के बाद [[भारत में बौद्ध धर्म]] के दर्शन में लोगों की रुचि बढ़ी है।
 
अम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन के कारण बड़ी संख्या में दलित राजनीतिक दल, प्रकाशन और कार्यकर्ता संघ अस्तित्व मे आये है जो पूरे भारत में सक्रिय रहते हैं, विशेष रूप से [[महाराष्ट्र]] में। उनके दलित बौद्ध आंदोलन को बढ़ावा देने से बौद्ध दर्शन भारत के कई भागों में पुनर्जागरित हुआ है। दलित कार्यकर्ता समय समय पर सामूहिक धर्म परिवर्तन के समारोह आयोजित उसी तरह करते रहते हैं जिस तरह अम्बेडकर ने 1956 मे नागपुर मे आयोजित किया था।
अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधारक की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत मे उनकी सामाजिक और राजनीतिक सोच को सारे राजनीतिक हलके का सम्मान हासिल हुआ। उनकी इस पहल ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मे आज के भारत की सोच को प्रभावित किया। उनकी यह् सोच आज की सामाजिक, आर्थिक नीतियों, शिक्षा, कानून और सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से प्रदर्शित होती है। एक विद्वान के रूप में उनकी ख्याति उनकी नियुक्ति स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कराने मे सहायक सिद्ध हुयी। उन्हें व्यक्ति की स्वतंत्रता में अटूट विश्वास था और उन्होने समान रूप से रूढ़िवादी और जातिवादी हिंदू समाज और इस्लाम की संकीर्ण और कट्टर नीतियों की आलोचना की है। उसकी हिंदू और इस्लाम की निंदा ने उसको विवादास्पद और अलोकप्रिय बनाया है, हालांकि उनके बौद्ध धर्म मे परिवर्तित होने के बाद भारत में बौद्ध दर्शन में लोगों की रुचि बढ़ी है।
 
अम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन के कारण बड़ी संख्या में दलित राजनीतिक दल, प्रकाशन और कार्यकर्ता संघ अस्तित्व मे आये है जो पूरे भारत में सक्रिय रहते हैं, विशेष रूप से महाराष्ट्र में। उनके दलित बौद्ध आंदोलन को बढ़ावा देने से बौद्ध दर्शन भारत के कई भागों में पुनर्जागरित हुआ है। दलित कार्यकर्ता समय समय पर सामूहिक धर्म परिवर्तन के समारोह आयोजित उसी तरह करते रहते हैं जिस तरह अम्बेडकर ने 1956 मे नागपुर मे आयोजित किया था।
 
कुछ विद्वानों, जिनमें से कुछ प्रभावित जातियों से है का विचार है कि अंग्रेज अधिकतर जातियों को एक नज़र से देखते थे और अगर उनका राज जारी रहता तो समाज से काफी बुराईयों को समाप्त किया जा सकता था। यह राय ज्योतिबा फुले समेत कई थी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रखी है।
 
 
कुछ विद्वानों, जिनमें से कुछ प्रभावित जातियों से है का विचार है कि अंग्रेज अधिकतर जातियों को एक नज़र से देखते थे और अगर उनका राज जारी रहता तो समाज से काफी बुराईयों को समाप्त किया जा सकता था। यह राय [[ज्योतिबा फुले]] समेत कई थी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रखी है।
 
== कोलंबिया विश्वविद्यालय के टॉप 100 छात्रों में शीर्ष पर ==
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== फिल्में ==
;युगपुरूष डॉ. भीमरावबाबासाहेब आंबेडकर
[[१९९३]] में आई हुई एक मराठी फिल्म है।<ref>https://m.youtube.com/watch?v=9gqwORuDPfg
</ref>
 
* ''[[डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर (फिल्म)|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर]]''
;डॉ. भीमराव आंबेडकर
[[जब्बार पटेल]] ने सन २००० मे डॉ. भीमरावबाबासाहेब आंबेडकर नामक मुल अंग्रेजी फिल्म बनाई थी। इसमे डॉ. भीमराव आंबेडकर की भूमिका अभिनेता [[माम्मूटी]] ने निभाई थी। भारत के [[राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम]] और [[सामाजिक न्याय मंत्रालय]] के द्वारा प्रायोजित, यह फिल्म प्रदर्शन से पहले एक लंबी अवधि तक विवादो मे फँसी रही। यह फिल्म हिंदी, मराठी, तेलुगू आदी भाषा में अनुवादीत हुई है।
 
;ए रायजिंग लाइट
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;रमाबाई भीमराव आंबेडकर
यह [[मराठी भाषा]] की फिल्म डॉ. भीमराव आंबेडकर की पत्नी [[रमाबाई या रमाईआंबेडकर]] के जीवन पर आधारित हैं। इसमें डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की भी जीवनी है।<ref>https://m.youtube.com/watch?v=hF03tJMa54c</ref>
 
== नाटक ==
[[राजेश कुमार]] का भीमराव अम्बेडकर और [[गांधी]] नाटक<ref>http://mohallalive.com/2010/02/23/a-play-based-on-ambedkar-and-gandhi/</ref>। [[अरविन्द गौड़]] के निर्देशन मे [[अस्मिता]] थियेटर ग्रुप द्वारा पूरे देश मे लगातार मन्चन।
 
== भीमरावआम्बेडकर का संपूर्ण साहित्य एवं लेखन ==
 
आंबेडकर बहूत प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। भीमराव को 6 भारतीय और 4 विदेशी ऐसे कुल दस भाषाओं का ज्ञान था, [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएं वे जानते थे। भीमराव ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लिखा है। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के बावजुद भी उनकी इतनी सारी किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का इतना बडा यह संग्रह वाकई अद्भुत है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे और यह प्रतिभा एवं क्षमता उन्होंने अपने कठीन परिश्रम से हासित की थी। वे बडे साहसी लेखक या ग्रंथकर्ता थे, उनकी हर किताब में उनकी असामान्य विद्वता एवं उनकी दुरदर्शता का परिचय होता है।