"भीम जन्मभूमि": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sandesh9822 (वार्ता | योगदान) No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
Sandesh9822 (वार्ता | योगदान) No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 6:
==इतिहास==
डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल ने पुणे में पंतोजी स्कूल में अपनी शिक्षा पूरी की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने सेना में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में स्कूल में शिक्षक बन गए। तब उन्हें प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नत किया गया। हेडमास्टर के काम के 14 साल बाद, उन्हें मेजर (सुबेदार) के रूप में सेना में पदोन्नत किया गया। बाद में, वह महू में नौकरी के लिए रुक गये। क्योंकि महू युद्ध का सैन्य मुख्यालय था। 14 अप्रैल, 1891 को महू के काली पलटन क्षेत्र में भीमाबाई और रामजी बाबा को एक पुत्र भीम हुआ। भीम को भीमा, भिवा या भीमराव कहाँ जाता था, जो आगे चलकर बाबासाहेब आम्बेडकर नाम से प्रसिद्ध हुये। अस्पृश्यता के उन्मूलन के कारण, भारतीय संविधान का गठन और सामूहिक बौद्ध धम्म दीक्षा और अन्य गतिविधियां, आम्बेडकर को विश्व स्तर पर एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में पहचान मिली और इस जगह को अपना महत्व प्राप्त हुआ। इसलिए उनका जन्मस्थान, भारतीय लोगों के लिए विशेषता: अस्पृश्यों के लिए पवित्र भूमि बन गया, और आम्बेडकर के अनुयायीओने इस जन्मभूमि को देखने के लिए आना शुरू कर दिया।
डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक सोसायटी संस्थापक एवं अध्यक्ष भन्ते संघशील ने मार्च 1999 में स्मारक का भूमिपूजन करने के लिए मुख्यमंत्री [[सुदरलाल पटवा]] को आमन्त्रित किया। जन्मभूमी पर निर्माण स्मारक के नक्शे वास्तुविद ईडी निमगड़े द्वारा तैयार किए गए और जयंती समारोह की तैयारी शुरू की गई। आम्बेडकर का अस्थि कलश भंतेजी मुंबई से लेकर 12 अप्रैल 1991 को महू आए। 14 अप्रैल 1991 को बाबासाहेब 100 वीं स्वर्ण जयंती के दिवस पर मुख्यंमंत्री सुंदरलाल पटवा ने स्मारक का शिलायन्यास किया, उनके साथ [[अटल बिहारी बाजपेई]] और मंत्री भेरूलाल पाटीदार भी थे, और कार्यक्रम की अध्यक्षता भन्ते धर्मशील ने की थी। मध्य प्रदेश सरकार ने आगे एक सुंदर एवं भव्य स्मारक का निर्माण किया।
==रचना==
|