"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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''' भीमराव रामजी आंबेडकरआम्बेडकर''' ([[१४ अप्रैल]], [[१८९१]] – [[६ दिसंबर]], [[१९५६]]) '''बाबासाहब आंबेडकरआम्बेडकर''' के नाम से लोकप्रिय, भारतीय [[विधिवेत्ता]], [[अर्थशास्त्री]], [[राजनीतिज्ञ]] और समाजसुधारक थे।<ref>{{cite web|url=http://indianexpress.com/photos/india-news/br-ambedkars-anniversary-his-quotes-on-gender-politics-and-untouchability-4970611/|title=BR Ambedkar’s anniversary: His quotes on gender, politics and untouchability}}</ref> उन्होंने [[दलित बौद्ध आंदोलन]] को प्रेरित किया और [[अछूत|अछूतों]] ([[दलित|दलितों]]) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया।<ref>http://www.firstpost.com/politics/rescuing-ambedkar-from-pure-dalitism-he-wouldve-been-indias-best-prime-minister-2195498.html</ref> वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, [[भारतीय संविधान]] के प्रमुख वास्तुकार एवं [[भारत गणराज्य]] के निर्माताओं में से एक थे।<ref>http://www.dnaindia.com/analysis/standpoint-do-we-really-respect-dr-ambedkar-or-is-it-mere-lip-service-2040352</ref><ref>http://www.deccanchronicle.com/140415/nation-politics/article/now-dr-br-ambedkar-narendra-modi-quiver</ref><ref>https://www.telegraphindia.com/1150216/jsp/frontpage/story_3660.jsp#.WKrDXmXbvIV</ref><ref>http://www.freepressjournal.in/india/milestones-achieved-by-dr-babasaheb-ambedkar/823227</ref>
 
आंबेडकरआम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] और [[लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स]] दोनों ही विश्वविद्यालयों से [[अर्थशास्त्र]] में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने [[विधि]], [[अर्थशास्त्र]] और [[राजनीति विज्ञान]] के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की।<ref>http://www.hindustantimes.com/india/archives-released-by-lse-reveal-br-ambedkar-s-time-as-a-scholar/story-N2sq6Bm6OlxwQZkz6vBzvM.html</ref> जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
 
1956 में उन्होंने [[बौद्ध धर्म]] अपना लिया। 1990 में, उन्हें [[भारत रत्न]], भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आंबेडकरआम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं।
 
== प्रारंभिक जीवन ==
आंबेडकरआम्बेडकर का जन्म ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब [[मध्य प्रदेश]] में) में स्थित नगर सैन्य छावनी [[महू]] में हुआ था।<ref>{{cite book |last=Jaffrelot |first=Christophe |title= Dr. Ambedkar and Untouchability: Fighting the Indian Caste System|year= 2005 |publisher= [[Columbia University Press]]|location=New York|isbn= 0-231-13602-1 | page=2}}</ref> वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे।<ref name="Columbia">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1890s.html| title = In the 1890s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> उनका परिवार [[मराठी|मराठी मूूल]] का था और वो आंबडवे गांव जो आधुनिक [[महाराष्ट्र]] के [[रत्नागिरी]] जिले में है, से संबंधित था।<ref>{{cite web|url=https://scroll.in/article/859984/whats-in-a-name-those-who-invoke-ambedkar-are-complicit-in-a-forgetting-much-like-gandhi|title=What’s in a name?: Those who invoke Ambedkar are complicit in a forgetting, much like Gandhi}}</ref> वे [[हिंदू]] [[महार]] जाति से संबंध रखते थे, जो [[अछूत]] कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की [[मऊ]] छावनी में सेवा में थे और यहां काम करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने [[मराठी]] और [[अंग्रेजी]] में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी।{{citation needed}}
 
आंबेडकरआम्बेडकर को बचपन से [[गौतम बुद्ध]] की शिक्षाओं ने प्रभावित किया था। अपनी जाति के कारण उन्हें इसके लिये सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। स्कूली पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को अस्पृश्यता के कारण अनेका प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। रामजी सकपाल ने स्कूल में अपने बेटे भीमराव का उपनाम ‘सकपाल' की बजाय ‘आंबडवेकर' लिखवाया था, क्योंकी [[कोकण]] प्रांत में लोग अपना उपनाम गांव के नाम से रखते थे, इसलिए आंबेडकरआम्बेडकर के आंबडवे गांव से 'आंबडवेकर' उपनाम स्कूल में दर्ज किया। बाद में एक देवरुखे [[ब्राह्मण]] शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकरआम्बेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से ‘अंबाडवेकर’ हटाकर अपना सरल ‘आंबेडकर’‘आम्बेडकर’ उपनाम जोड़ दिया।<ref>https://m.divyamarathi.bhaskar.com/news/MAH-MUM-ambedkars-teacher-family-saving-memories-of-ambedkar-5489831-NOR.html</ref> आज वे [[आंबेडकर|आम्बेडकर]] नाम से जाने जाते हैं।
 
रामजी आंबेडकरआम्बेडकर ने सन [[१८९८]] में जिजाबाई से पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ [[मुंबई]] (तब बंबई) चले आये। यहाँ आम्बेडकर [[एल्फिंस्टोन रोड]] पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल में, तथाकथिक "अछूत" समाज से संबंधित पहले छात्र बने।<ref name="Columbia2">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| title = In the 1900s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref>
 
==उच्च शिक्षा ==
[[File:Ambedkar Barrister.jpg|thumb| सन 1922 में एक वकील के रूप में डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर]]
[[बड़ौदा राज्य]] के गायकवाड शासक द्वारा, सन १९१३ में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] मे जाकर अध्ययन के लिये भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर का चयन किया गया, साथ ही उनके लिये एक ११.५ डॉलर प्रति मास की छात्रवृत्ति भी प्रदान की। [[न्यूयॉर्क]] शहर में आने के बाद, डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर को राजनीति विज्ञान विभाग के स्नातक अध्ययन कार्यक्रम में प्रवेश दे दिया गया। शयनशाला मे कुछ दिन रहने के बाद, वे भारतीय छात्रों द्वारा चलाये जा रहे एक आवास क्लब मे रहने चले गए और उन्होने अपने एक पारसी मित्र नवल भातेना के साथ एक कमरा ले लिया। १९१६ में, उन्हे उनके एक शोध के लिए पीएच.डी. से सम्मानित किया गया। इस शोध को अंततः उन्होंने पुस्तक ''इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया'' के रूप में प्रकाशित किया। हालाँकि उनका पहला प्रकाशित काम, ''भारत में जाति:उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास'' नामक एक लेख है। अपनी डाक्टरेट की डिग्री लेकर सन १९१६ में डॉ॰ आंबेडकरआम्बेडकर [[लंदन]] चले गये जहाँ उन्होने ग्रेज् इन और [[लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स]] में [[विधि]] का अध्ययन और [[अर्थशास्त्र]] में डॉक्टरेट शोध की तैयारी के लिये अपना नाम दर्ज कराया। अगले वर्ष छात्रवृत्ति की समाप्ति के चलते मजबूरन उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत वापस लौटना पड़ा; ये [[प्रथम विश्व युद्ध]] का काल था; [[बड़ौदा राज्य]] के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि अपनी परामर्श व्यवसाय भी आरंभ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम, के कारण उन्हें मुंबई के ''सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स'' मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। [[१९२०]] में कोल्हापुर के महाराज, अपने पारसी मित्र के सहयोग और अपनी बचत के कारण वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सक्षम हो गये। [[१९२३]] में उन्होंने अपना शोध '''प्रोब्लेम्स ऑफ द रुपी''' (रुपये की समस्यायें) पूरा कर लिया। उन्हें [[लंदन विश्वविद्यालय]] द्वारा "डॉक्टर ऑफ साईंस" की उपाधि प्रदान की गयी। और उनकी कानून का अध्ययन पूरा होने के साथ ही साथ उन्हें ब्रिटिश बार मे बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया। भारत वापस लौटते हुये डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर तीन महीने [[जर्मनी]] में रुके, जहाँ उन्होने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, [[बॉन विश्वविद्यालय]] में जारी रखा। उन्हें औपचारिक रूप से [[८ जून]] [[१९२७]] को [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] द्वारा पीएच.डी. प्रदान किया गया।
 
== छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष ==
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{{main|पुणे समझौता}}
[[चित्र:Second round tableconf.gif|thumb|right|300px|दूसरा गोलमेज सम्मेलन, १९३१]]
अब तक आम्बेडकर आज तक की सबसे बडी़ अछूत राजनीतिक हस्ती बन चुके थे। उन्होंने मुख्यधारा के महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों की जाति व्यवस्था के उन्मूलन के प्रति उनकी कथित उदासीनता की कटु आलोचना की। डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर जी ने [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] और उसके नेता [[मोहनदास करमचंद गांधी]] की आलोचना की, उन्होने उन पर अस्पृश्य समुदाय को एक करुणा की वस्तु के रूप मे प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। डॉ॰ आंबेडकरआम्बेडकर ब्रिटिश शासन की विफलताओं से भी असंतुष्ट थे, उन्होने अस्पृश्य समुदाय के लिये एक ऐसी अलग राजनैतिक पहचान की वकालत की जिसमे कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों का ही कोई दखल ना हो। [[8 अगस्त]], [[1930]] को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान डॉ॰ आंबेडकरआम्बेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा, जिसके अनुसार शोषित वर्ग की सुरक्षा उसके सरकार और कांग्रेस दोनों से स्वतंत्र होने में है।
 
<span style="color: black">
<blockquote>हमें अपना रास्ता स्वयँ बनाना होगा और स्वयँ... राजनीतिक शक्ति शोषितो की समस्याओं का निवारण नहीं हो सकती, उनका उद्धार समाज मे उनका उचित स्थान पाने मे निहित है। उनको अपना रहने का बुरा तरीका बदलना होगा.... उनको शिक्षित होना चाहिए... एक बड़ी आवश्यकता उनकी हीनता की भावना को झकझोरने और उनके अंदर उस दैवीय असंतोष की स्थापना करने की है जो सभी उँचाइयों का स्रोत है।<ref name="Columbia"/></blockquote></span>
 
इस भाषण में आम्बेडकर ने कांग्रेस और मोहनदास गांधी द्वारा चलाये गये नमक सत्याग्रह की शुरूआत की आलोचना की। आम्बेडकर की आलोचनाओं और उनके राजनीतिक काम ने उसको रूढ़िवादी हिंदुओं के साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं मे भी बहुत अलोकप्रिय बना दिया, यह वही नेता थे जो पहले छुआछूत की निंदा करते थे और इसके उन्मूलन के लिये जिन्होने देश भर में काम किया था। इसका मुख्य कारण था कि ये "उदार" राजनेता आमतौर पर अछूतों को पूर्ण समानता देने का मुद्दा पूरी तरह नहीं उठाते थे। डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर की अस्पृश्य समुदाय मे बढ़ती लोकप्रियता और जन समर्थन के चलते उनको [[१९३१]] मे [[लंदन]] में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में, भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।(डा॰ भीमराव अंबेडकर ने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया था ) उनकी अछूतों को पृथक निर्वाचिका देने के मुद्दे पर तीखी बहस हुई। [[धर्म]] और [[जाति]] के आधार पर पृथक निर्वाचिका देने के प्रबल विरोधी गांधी ने आशंका जताई, कि अछूतों को दी गयी पृथक निर्वाचिका, हिंदू समाज की भावी पीढी़ को हमेशा के लिये विभाजित कर देगी। गांधी को लगता था की, सवर्णों को अस्पृश्यता भूलाने के लिए कुछ अवधि दी जानी चाहिए, यह गांधी का तर्क गलत सिद्ध हुआ जब सवर्णों हिंदूओं द्वारा पूना संधि के कई दशकों बाद भी अस्पृश्यता का नियमित पालन होता रहा।
 
[[१९३२]] में जब ब्रिटिशों ने आम्बेडकर के साथ सहमति व्यक्त करते हुये अछूतों को [[पृथक निर्वाचिका]] देने की घोषणा की,<ref name="columbia">{{cite web|url=http://ccnmtl.columbia.edu/projects/mmt/ambedkar/web/individuals/6750.html|title=Rajah, Rao Bahadur M. C. |accessdate=2009-01-05|publisher=University of Columbia|author=Pritchett}}</ref><ref name="caste_indianpolitics">{{cite book | title=Caste in Indian Politics| last=Kothari| first=R.| date=2004| page=46| publisher=Orient Blackswan| id=ISBN 81-250-0637-0, ISBN 978-81-250-0637-4}}</ref> तब मोहनदास गांधी ने इसके विरोध मे [[पुणे]] की [[यरवदा]] सेंट्रल जेल में [[आमरण अनशन]] शुरु कर दिया। मोहनदास गांधी ने रूढ़िवादी हिंदू समाज से सामाजिक भेदभाव और अस्पृश्यता को खत्म करने तथा हिंदुओं की राजनीतिक और सामाजिक एकता की बात की। गांधी के दलिताधिकार विरोधी अनशन को देश भर की जनता से घोर समर्थन मिला और रूढ़िवादी हिंदू नेताओं, कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं जैसे पवलंकर बालू और [[मदन मोहन मालवीय]] नेआम्बेडकर और उनके समर्थकों के साथ यरवदा मे संयुक्त बैठकें कीं। अनशन के कारण गांधी की मृत्यु होने की स्थिति मे, होने वाले सामाजिक प्रतिशोध के कारण होने वाली अछूतों की हत्याओं के डर से और गाँधी के समर्थकों के भारी दवाब के चलते डॉ॰ भीमराव अंबेडकर जी ने अपनी पृथक निर्वाचिका की माँग वापस ले ली। मोहनदास गांधी ने अपने गलत तर्क एवं गलत मत से संपूर्ण अछूतों के सभी प्रमुख अधिकारों पर पानी फेर दिया। इसके एवज मे अछूतों को सीटों के आरक्षण, मंदिरों में प्रवेश/पूजा के अधिकार एवं छूआ-छूत ख़तम करने की बात स्वीकार कर ली गयी। गाँधी ने इस उम्मीद पर की बाकि सभी सवर्ण भी पूना संधि का आदर कर, सभी शर्ते मान लेंगे अपना अनशन समाप्त कर दिया।
 
आरक्षण प्रणाली में पहले दलित अपने लिए संभावित उम्मीदवारों में से चुनाव द्वारा (केवल [[दलित]]) चार संभावित उम्मीदवार चुनते। इन चार उम्मीदवारों में से फिर संयुक्त निर्वाचन चुनाव (सभी धर्म \ जाति) द्वारा एक नेता चुना जाता। इस आधार पर सिर्फ एक बार सन [[१९३७]] में चुनाव हुए। डॉ॰ आंबेडकरआम्बेडकर २०-२५ साल के लिये राजनैतिक [[आरक्षण]] चाहते थे लेकिन गाँधी के अड़े रहने के कारण यह आरक्षण मात्र ५ साल के लिए ही लागू हुआ। पूना संधी के बारें गांधीवादी इतिहासकार ‘अहिंसा की विजय’ लिखते हैं, परंतु यहाँ अहिंसा तो डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर ने निभाई हैं।
 
पृथक निर्वाचिका में दलित दो वोट देता एक सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को ओर दूसरा दलित (पृथक) उम्मीदवार को। ऐसी स्थिति में दलितों द्वारा चुना गया दलित उम्मीदवार दलितों की समस्या को अच्छी तरह से तो रख सकता था किन्तु गैर उम्मीदवार के लिए यह जरूरी नहीं था कि उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास भी करता। बाद मे आम्बेडकर ने गाँधी जी की आलोचना करते हुये उनके इस अनशन को अछूतों को उनके राजनीतिक अधिकारों से वंचित करने और उन्हें उनकी माँग से पीछे हटने के लिये दवाब डालने के लिये गांधी द्वारा खेला गया एक नाटक करार दिया। उनके अनुसार असली महात्मा तो ज्योतीराव फुले थे।
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==आर्थिक नियोजन==
[[File:B.R. Ambedkar in 1950.jpg|left|thumb|274x274px|1950 में आंबेडकरआम्बेडकर]]
आंबेडकरआम्बेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाले पहले भारतीय थे।<ref name=IEA>{{cite book|last=IEA|title=IEA Newsletter&nbsp;– The Indian Economic Association(IEA)|publisher=IEA publications|location=India|page=10|url=http://indianeconomicassociation.com/download/newsletter2013.pdf|chapter=Dr. B.R. Ambedkar's Economic and Social Thoughts and Their Contemporary Relevance|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131016045757/http://indianeconomicassociation.com/download/newsletter2013.pdf|archivedate=16 October 2013|df=dmy-all}}</ref> उन्होंने तर्क दिया कि औद्योगिकीकरण और कृषि विकास से भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो सकती है।<ref name=Mishra /> उन्होंने भारत में प्राथमिक उद्योग के रूप में कृषि में निवेश पर बल दिया। [[शरद पवार]] के अनुसार, आंबेडकरआम्बेडकर के दर्शन ने सरकार को अपने खाद्य सुरक्षा लक्ष्य हासिल करने में मदद की।<ref name=TNN>{{cite news|last=TNN|title='Ambedkar had a vision for food self-sufficiency'|url=http://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/Ambedkar-had-a-vision-for-food-self-sufficiency/articleshow/24170051.cms|accessdate=15 October 2013|newspaper=The Times of India|date=15 October 2013|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20151017053453/http://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/Ambedkar-had-a-vision-for-food-self-sufficiency/articleshow/24170051.cms|archivedate=17 October 2015|df=dmy-all}}</ref> आंबेडकरआम्बेडकर ने राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास की वकालत की, शिक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता, समुदाय स्वास्थ्य, आवासीय सुविधाओं को बुनियादी सुविधाओं के रूप में जोर दिया।<ref name=Mishra>{{cite book|last=Mishra|first=edited by S.N.|title=Socio-economic and political vision of Dr. B.R. Ambedkar|year=2010|publisher=Concept Publishing Company|location=New Delhi|isbn=818069674X|pages=173–174|url=https://books.google.com/books?id=N2XLE22ZizYC&pg=PA173&lpg=PA173&dq=the+contribution+of+Ambedkar+on+post+war+economic+development+plan+ofaIndia&source=bl&ots=rE-jG87hdH&sig=4JRU_C0-n6sfc9gRSgDoietEPEU&hl=en&sa=X&ei=2x1AUrSoF4i80QWhtoDwDg&ved=0CEoQ6AEwBQ#v=onepage&q=the%20contribution%20of%20Ambedkar%20on%20post%20war%20economic%20development%20plan%20of%20India&f=false}}</ref> उन्होंने ब्रिटिश शासन की वजह से विकास के नुकसान की गणना की।<ref name="Zelliot Ambedkar and America">{{cite news|last=Zelliot|first=Eleanor|title=Dr. Ambedkar and America|url=http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/graphics/txt_zelliot1991.html|accessdate=15 October 2013|newspaper=A talk at the Columbia University Ambedkar Centenary|year=1991|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131103155400/http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/graphics/txt_zelliot1991.html|archivedate=3 November 2013|df=dmy-all}}</ref>
===भारतीय रिजर्व बैंक===
आंबेडकरआम्बेडकर को एक अर्थशास्त्री के तौर पर प्रशिक्षित किया गया था, और 1921 तक एक पेशेवर अर्थशास्त्री बन चूके थे। जब वह एक राजनीतिक नेता बन गए तो उन्होंने अर्थशास्त्र पर तीन विद्वत्वापूर्ण पुस्तकें लिखीं:
* अ‍ॅडमिनिस्ट्रेशन अँड फायनान्स ऑफ दी इस्ट इंडिया कंपनी
* द इव्हॅल्युएशन ऑफ प्रॉव्हिन्शियल फायनान्स इन् ब्रिटिश इंडिआ
* द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन<ref name=autogenerated3>{{cite web|url=http://www.aygrt.net/publishArticles/651.pdf |accessdate=28 November 2012 }}{{dead link|date=May 2016|bot=medic}}{{cbignore|bot=medic}}</ref><ref>{{cite web |url=http://www.onlineresearchjournals.com/aajoss/art/60.pdf |title=Archived copy |accessdate=2012-11-28 |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20131102191100/http://www.onlineresearchjournals.com/aajoss/art/60.pdf |archivedate=2 November 2013 |df=dmy-all }}</ref><ref name=autogenerated1>{{cite web |url=http://drnarendrajadhav.info/drnjadhav_web_files/Published%20papers/Dr%20Ambedkar%20Philosophy.pdf |title=Archived copy |accessdate=2012-11-28 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20130228060022/http://drnarendrajadhav.info/drnjadhav_web_files/Published%20papers/Dr%20Ambedkar%20Philosophy.pdf |archivedate=28 February 2013 |df=dmy-all }}</ref>
 
[[भारतीय रिजर्व बैंक]] (आरबीआई), आंबेडकरआम्बेडकर के विचारों पर आधारित था, जो उन्होंने हिल्टन यंग कमिशन को प्रस्तुत किये थे।<ref name=autogenerated3 /><ref name=autogenerated1 /><ref>{{cite web|url=http://roundtableindia.co.in/index.php?option=com_content&view=article&id=3179:the-problem-of-the-rupee-its-origin-and-its-solution-history-of-indian-currency-a-banking&catid=94:history&Itemid=65|title=Round Table India&nbsp;— The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution (History of Indian Currency & Banking)|work=Round Table India|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131101225118/http://roundtableindia.co.in/index.php?option=com_content&view=article&id=3179%3Athe-problem-of-the-rupee-its-origin-and-its-solution-history-of-indian-currency-a-banking&catid=94%3Ahistory&Itemid=65|archivedate=1 November 2013|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.law.columbia.edu/media_inquiries/news_events/2012/march2012/Ambedkar-Lecture-Series|title=Ambedkar Lecture Series to Explore Influences on Indian Society|work=columbia.edu|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20121221035829/http://www.law.columbia.edu/media_inquiries/news_events/2012/march2012/Ambedkar-Lecture-Series|archivedate=21 December 2012|df=dmy-all}}</ref>
 
== धर्म परिवर्तन (बौद्ध धर्म में) ==
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सन् 1950 के दशक में भीमराव आम्बेडकर [[बौद्ध धर्म]] के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध [[भिक्षु]]ओं व विद्वानों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए [[श्रीलंका]] (तब सीलोन) गये। पुणे के पास एक नया बौद्ध [[विहार]] को समर्पित करते हुए, डॉ॰ आम्बेडकर ने घोषणा की कि वे बौद्ध धर्म पर एक पुस्तक लिख रहे हैं और जैसे ही यह समाप्त होगी वो औपचारिक रूप से बौद्ध धर्म अपना लेंगे।<ref name="Columbia7">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1950s.html| title = In the 1950s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> 1954 में आम्बेडकर ने [[म्यांमार|म्यानमार]] का दो बार दौरा किया; दूसरी बार वो [[रंगून]] मे तीसरे विश्व बौद्ध फैलोशिप के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गये। 1955 में उन्होने 'भारतीय बौद्ध महासभा' या 'बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया' की स्थापना की। उन्होंने अपने अंतिम प्रसिद्ध ग्रंथ, '[[भगवान बुद्ध और उनका धम्म|द बुद्ध एंड हिज़ धम्म]]' को 1956 में पूरा किया। यह उनकी मृत्यु के पश्चात सन 1957 में प्रकाशित हुआ।
 
14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया। डॉ॰ आम्बेडकर ने अपने पत्नी सविता के साथ [[श्रीलंका]] के एक जेष्ठ बौद्ध भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी से पारंपरिक तरीके से [[त्रिरत्न]] ग्रहण और [[पंचशील]] को अपनाते हुये [[बौद्ध धर्म]] ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने एक अनुमान के अनुसार अपने 5,00,000 समर्थको को बौद्ध धर्म मे परिवर्तित किया।<ref name="Columbia7"/> [[नवयान]] लेकर आम्बेडकर और उनके समर्थकों ने विषमतावादी [[हिन्दू धर्म]] और [[हिन्दू दर्शन]] की स्पष्ट निंदा की और उसे त्याग दिया। {{cn}} आंबेडकरआम्बेडकर ने दुसरे दिन 15 अक्टूबर को नागपूर में अपने 2 से 3 लाख अनुयायीओं को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी, जो अनुयायी एक दिन पहले नहीं पहुच पाये थे या देर से पहुचे थे। तिसरे दिन 16 अक्टूबर को आंबेडकरआम्बेडकर [[चंद्रपुर]] गये और वहां भी उन्होंने 3,00,000 समर्थकों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी। इस तरह केवल तीन में आंबेडकरआम्बेडकर ने 10-11 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया। आम्बेडकर का बौद्ध धर्म परिवर्तन किया। इस घटना से बौद्ध देशों में से अभिनंदन प्राप्त हुए। में इसके बाद वे [[नेपाल]] में चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन मे भाग लेने के लिए [[काठमांडू]] गये। उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि ''[[बुद्ध]] या [[कार्ल मार्क्स]]'' को [[2 दिसंबर]] [[1956]] को पूरा किया।<br /><br />
आम्बेडकर ने [[दीक्षाभूमि, नागपुर]], भारत में ऐतिहासिक बौद्ध धर्मं में परिवर्तन के अवसर पर,14 अक्टूबर 1956 को अपने अनुयायियों के लिए 22 प्रतिज्ञाएँ निर्धारित कीं जो बौद्ध धर्म का एक सार या दर्शन है। डॉ॰ भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर द्वारा 10,00,000 लोगों का बौद्ध धर्म में रूपांतरण ऐतिहासिक था क्योंकि यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक रूपांतरण था। उन्होंने इन शपथों को निर्धारित किया ताकि हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके। भीमराव की ये 22 प्रतिज्ञाएँ हिंदू मान्यताओं और पद्धतियों की जड़ों पर गहरा आघात करती हैं। ये एक सेतु के रूप में बौद्ध धर्मं की हिन्दू धर्म में व्याप्त भ्रम और विरोधाभासों से रक्षा करने में सहायक हो सकती हैं। इन प्रतिज्ञाओं से हिन्दू धर्म, जिसमें केवल हिंदुओं की ऊंची जातियों के संवर्धन के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया, में व्याप्त अंधविश्वासों, व्यर्थ और अर्थहीन रस्मों, से धर्मान्तरित होते समय स्वतंत्र रहा जा सकता है। ये प्रतिज्ञाए बौद्ध धर्म का एक अंग है जिसमें पंचशील, मध्यममार्ग, अनिरीश्वरवाद, दस पारमिता, बुद्ध-धम्म-संघ ये त्रिरत्न, प्रज्ञा-शील-करूणा-समता आदी बौद्ध तत्व, मानवी मुल्य (मानवता) एवं विज्ञानवाद है।
 
== मृत्यु ==
[[File:Annal Ambedkar Manimandapam.jpg|thumb|left|300px|अन्नाल आम्बेडकर मनिमंडपम, चेन्नई]]
[[File:Ambedkar.JPG|thumb|right|300px|पुणे संग्रहालय में भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर की प्रतिमा।]]
1948 से, आम्बेडकर [[मधुमेह]] से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। राजनीतिक मुद्दों से परेशान आम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसम्बर 1956 को आम्बेडकर का महापरिनिर्वाण नींद में दिल्ली में उनके घर मे हो गया। [[7 दिसंबर]] को [[मुंबई]] में [[दादर]] [[चौपाटी समुद्र तट]] पर बौद्ध शैली मे अंतिम संस्कार किया गया जिसमें उनके लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया। उनके अंतिम संस्कार के समय उन्हें साक्षी रखकर उनके करीब 10,00,000 अनुयायीओं ने [[बौद्ध धर्म]] की दीक्षा ली थी, ऐसा विश्व इतिहास में पहिली बार हुआ।
 
मृत्युपरांत आम्बेडकर के परिवार मे उनकी दूसरी पत्नी [[सविता आंबेडकर|सविता आम्बेडकर]] रह गयी थीं जो, जन्म से ब्राह्मण थीं पर उनके साथ ही वो भी धर्म परिवर्तित कर बौद्ध बन गयी थीं, तथा [[दलित बौद्ध आंदोलन]] में भीमराव के बाद (भीमराव के साथ) बौद्ध बनने वाली वह पहिली व्यक्ति थी। विवाह से पहले उनकी पत्नी का नाम डॉ॰ शारदा कबीर था। डॉ॰ सविता आम्बेडकर की एक बौद्ध के रूप में 29 मई सन 2003 में 94 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई<ref>http://www.thehindu.com/2003/05/30/stories/2003053002081300.htm</ref>, आम्बेडकर के पौत्र, [[प्रकाश यशवंत अम्बेडकर|प्रकाश यशवंत आम्बेडकर]], [[भारिपा बहुजन महासंघ]] का नेतृत्व करते है और भारतीय [[संसद]] के दोनों सदनों मे के सदस्य रह चुके है।
 
कई अधूरे टंकलिपित और हस्तलिखित मसौदे आम्बेडकर के नोट और पत्रों में पाए गए हैं। इनमें ''वैटिंग फ़ोर ए वीसा'' जो संभवतः 1935-36 के बीच का आत्मकथानात्मक काम है और ''अनटचेबल'', ऑर ''द चिल्ड्रन ऑफ इंडियाज़ घेट्टो'' जो 1951 की जनगणना से संबंधित है।
 
एक स्मारक आम्बेडकर के दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में स्थापित किया गया है। आम्बेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया है। कई सार्वजनिक संस्थान का नाम उनके सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है जैसे [[हैदराबाद]], आंध्र प्रदेश का डॉ॰ आम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, बी आर आम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय- मुजफ्फरपुर, [[डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र]] [[नागपुर]] में है, जो पहले सोनेगांव हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था। आम्बेडकर का एक बड़ा आधिकारिक चित्र भारतीय संसद भवन में प्रदर्शित किया गया है।
 
मुंबई मे उनके स्मारक हर साल लगभग पंधरा लाख लोग उनकी वर्षगांठ (14 अप्रैल), पुण्यतिथि (6 दिसम्बर) और धम्मचक्र परिवर्तन् दिन (14 अक्टूबर) नागपुर में, उन्हे अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठे होते हैं।
 
===आम्बेडकरवाद===
===आंबेडकरवाद===
स्वतंत्र्यता, समानता, भाईचारा, बौद्ध धर्म, विज्ञानवाद, मानवतावाद, सत्य, अहिंसा आदि के विषय में आंबेडकरआम्बेडकर के कुछ सिद्धान्त थे जिसे अंबेडकरवाद के नाम से जाना जाता है।
 
==विरासत==
[[File:People paying tribute at the central statue of Bodhisattva Babasaheb Ambedkar in Dr. Babasaheb Ambedkar Marathwada University, India.png|thumb|upright|[[औरंगाबाद]] के [[डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय|डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकरआम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय]] में आंबेडकरआम्बेडकर की मध्य मूर्ति पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके अनुयायि।]]
 
आंबेडकरआम्बेडकर की एक सामाजिक-राजनीतिक सुधारक के रूप में विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा असर हुआ है।<ref>{{cite book|first=Barbara R.|last=Joshi|title=Untouchable!: Voices of the Dalit Liberation Movement|url=https://books.google.com/books?id=y9CUItMT1zQC&pg=PA13|year=1986|publisher=Zed Books|pages=11–14|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160729072018/https://books.google.com/books?id=y9CUItMT1zQC&pg=PA13|archivedate=29 July 2016|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite book|first=D.|last=Keer|title=Dr. Ambedkar: Life and Mission|url=https://books.google.com/books?id=B-2d6jzRmBQC&pg=PA61|year=1990|publisher=Popular Prakashan|page=61|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160730015400/https://books.google.com/books?id=B-2d6jzRmBQC&pg=PA61|archivedate=30 July 2016|df=dmy-all}}</ref> स्वतंत्रता के बाद भारत में, उनके सामाजिक-राजनैतिक विचारों को पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम में सम्मानित किया जाता है। उनकी पहल ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया है और आज जिस तरह से भारत सामाजिक, आर्थिक नीतियों और कानूनी प्रोत्साहनों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक नीतियों, शिक्षा और सकारात्मक कार्रवाई में दिख रहा है, उसे बदल दिया है। एक विद्वान के रूप में उनकी प्रतिष्ठा ने उनकी स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की। उन्होंने आजादी से व्यक्तिगत स्वतंत्रता में ज्यादा विश्वास किया और जातिरहित समाज की आलोचना की। हिंदू धर्म को जाति व्यवस्था की नींव होने के उनके आरोपों ने उन्हें सनातनी हिंदुओं के बीच विवादास्पद और अलोकप्रिय बनाया।<ref>{{cite book|first=Susan|last=Bayly|title=Caste, Society and Politics in India from the Eighteenth Century to the Modern Age|url=https://books.google.com/books?id=HbAjKR_iHogC&pg=PA259|year=2001|publisher=Cambridge University Press|page=259|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160801081134/https://books.google.com/books?id=HbAjKR_iHogC&pg=PA259|archivedate=1 August 2016|df=dmy-all}}</ref> बौद्ध धर्म के उनके रूपांतरण ने भारत और विदेशों में बौद्ध दर्शन के हित में पुनरुत्थान की शुरुआत हुई।<ref>{{cite book |last1=Naik |first1=C.D |title=Thoughts and philosophy of Doctor B.R. Ambedkar |edition=First |year=2003 |publisher=Sarup & Sons |location=New Delhi |isbn=81-7625-418-5 |oclc=53950941 |page=12 |chapter=Buddhist Developments in East and West Since 1950: An Outline of World Buddhism and Ambedkarism Today in Nutshell }}</ref>
 
आंबेडकरआम्बेडकर को आदर एवं सन्मान से ‘बाबासाहेब’ (''बाबासाहब/ बाबासाहिब'') कहा जाता है, जो एक [[मराठी]] वाक्यांश है जिसका अर्थ "पिता-साहब" (बाबा: पिता और साहेब: साहब/साहिब), क्योंकि लाखों भारतीय उन्हें "महान मुक्तिदाता" मानते हैं।<ref name="Babasaheb">{{cite web|title=Renaming Dr. Ambedkar in modern-day India stems from caste hatred|url=http://www.atimes.com/renaming-dr-ambedkar-modern-day-india-result-caste-hatred//|accessdate=2 April 2018|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20180331115054/http://www.atimes.com/renaming-dr-ambedkar-modern-day-india-result-caste-hatred//|archivedate=31 March 2018|df=dmy-all}}</ref> 
 
कई सार्वजनिक संस्थानों का नाम उनके सम्मान में रखे गये है। [[डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र]], [[डॉ॰ बी॰आर॰ अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर|डॉ॰ बी॰आर॰ आंबेडकरआम्बेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर]], [[अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली|आंबेडकरआम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली]] का नाम भी उनके सम्मान में है। भारतीय संसद भवन में आंबेडकरआम्बेडकर का एक बड़ा आधिकारिक तैलचित्र प्रदर्शित है।
 
महाराष्ट्र सरकार ने [[लंदन]] में एक घर का अधिग्रहण कर लिया है, जहां 1920 के दशक में आंबेडकरआम्बेडकर एक छात्र के रूप में रहते थे। इस घर को एक संग्रहालय-सह-स्मारक में परिवर्तित कर ‘डॉ॰ भीमराव रामजी आंबेडकरआम्बेडकर आंतरराष्ट्रीय स्मारक' बनाया गया है। इस स्मारक उद्घाटन एवं लोकार्पण प्रधानमंत्री [[नरेन्द्र मोदी]] ने किया है।<ref>[http://www.hindustantimes.com/india/maharashtra-government-buys-br-ambedkar-s-house-in-london/story-y2c9YAdgdEOzUPWH1lcXHM.html Maharashtra government buys BR Ambedkar's house in London] {{webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160425144149/http://www.hindustantimes.com/india/maharashtra-government-buys-br-ambedkar-s-house-in-london/story-y2c9YAdgdEOzUPWH1lcXHM.html |date=25 April 2016 }}, Hindustan Times, 27 August 2015.</ref>
आंबेडकरआम्बेडकर को [[हिस्ट्री टीवी 18]] और [[सीएनएन आईबीएन]] द्वारा 2012 में आयोजित एक चुनाव सर्वेक्षण "[[महानतम भारतीय|द ग्रेटेस्ट इंडियन]]" (''[[महानतम भारतीय]]'') में सर्वाधिक वोट दिये गये थे। लगभग 2 करोड़ वोट डाले गए थे, इस पहल के शुभारंभ के बाद से उन्हें सबसे लोकप्रिय भारतीय व्यक्ति बताया गया था।<ref>{{cite web |title=The Greatest Indian after Independence: BR Ambedkar |url=http://ibnlive.in.com/videos/282480/the-greatest-indian-after-independence-br-ambedkar.html |publisher=IBNlive |date=15 August 2012 |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20121106012934/http://ibnlive.in.com/videos/282480/the-greatest-indian-after-independence-br-ambedkar.html |archivedate=6 November 2012 |df=dmy-all }}</ref><ref>{{cite web |title=The Greatest Indian |url=http://www.historyindia.com/TGI/ |publisher=historyindia |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20120808090032/http://www.historyindia.com/TGI/ |archivedate=8 August 2012 |df=dmy-all }}</ref> अर्थशास्त्र में उनकी भूमिका के कारण, एक उल्लेखनीय भारतीय अर्थशास्त्री [[नरेन्द्र जाधव]] ने कहा है कि, “आंबेडकर“आम्बेडकर सभी समय के उच्चतम शिक्षित भारतीय अर्थशास्त्री थे।”<ref name="Planning Commission">{{cite web|last=Planning Commission|title=Member's Profile : Dr. Narendra Jadhav|url=http://planningcommission.nic.in/aboutus/history/index.php?about=narendra.htm|publisher=Government of India|accessdate=17 October 2013|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131023043604/http://planningcommission.nic.in/aboutus/history/index.php?about=narendra.htm|archivedate=23 October 2013|df=dmy-all}}</ref><ref name=PISHAROTY>{{cite news|last=Pisharoty|first=Sangeeta Barooah|title=Words that were|url=http://www.thehindu.com/books/books-authors/words-that-were/article4750471.ece|accessdate=17 October 2013|newspaper=The Hindu|date=26 May 2013|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131017214648/http://www.thehindu.com/books/books-authors/words-that-were/article4750471.ece|archivedate=17 October 2013|df=dmy-all}}</ref> [[अर्थशास्त्र]] में [[नोबेल पुरस्कार]] जीत चूके अर्थशास्त्री [[अमर्त्य सेन]] ने कहा है कि, “आंबेडकर“आम्बेडकर अर्थशास्त्र (के क्षेत्र) में मेरे का पिता है और वे अपने देश में बहुत विवादास्पद व्यक्ति थे, हालांकि यह वास्तविकता नहीं थी। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनका योगदान अद्भुत है और हमेशा के लिए याद रहेगा।”<ref>{{cite av media|url=https://www.youtube.com/watch?v=NhgBUgfrw0c|title=Face the People&nbsp;— FTP: Nobel laureate Amartya Sen on economic growth, Indian politics|date=22 July 2013|work=YouTube|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160307090403/https://www.youtube.com/watch?v=NhgBUgfrw0c|archivedate=7 March 2016|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite web|url=http://atrocitynews.com/2007/05/05/ambedkar-my-father-in-economics-dr-amartya-sen/ |title=Ambedkar my father in Economics: Dr Amartya Sen « Atrocity News |work=atrocitynews.com |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20120903094347/http://atrocitynews.com/2007/05/05/ambedkar-my-father-in-economics-dr-amartya-sen/ |archivedate=3 September 2012 |df=dmy-all }}</ref> एक आध्यात्मिक गुरू [[ओशो]] ने टिप्पणी की, "मैंने उन लोगों को देखा है जो हिंदू कानून की सबसे कम श्रेणी, [[शूद्र]], अछूतों में पैदा हुए हैं, किंतु वे बहुत बुद्धिमान हैं: जब भारत स्वतंत्र हो गया, और जिसने [[भारत का संविधान|भारत के संविधान]] का निर्माण किया, डॉ॰ बाबासाहेब अंबेडकर, वे एक व्यक्ति शूद्र थे। कानून के मुताबिक उनकी बुद्धि के बराबर कोई नहीं था - वह एक विश्व प्रसिद्ध प्राधिकरण थे।<ref>{{cite web|url=http://www.oshorajneesh.com/download/osho-books/western_mystics/The_Messiah_Volume_2.pdf|format=PDF|title=The Messiah Volume 2, pg 23|work=oshorajneesh.com|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20140422123555/http://www.oshorajneesh.com/download/osho-books/western_mystics/The_Messiah_Volume_2.pdf|archivedate=22 April 2014|df=dmy-all}}</ref> अमेरिकी राष्ट्रपति [[बराक ओबामा]] ने 2010 में [[भारतीय संसद]] को संबोधित करते हुए दलित नेता डॉ॰ बी आर आंबेडकरआम्बेडकर को महान और सम्मानित मानवाधिकार चैंपियन और भारत के संविधान के मुख्य लेखक के रूप में संबोधित किया।<ref>{{cite web|url=http://www.declarationofempathy.org/u-s-president-barack-obama-on-dr-b-r-ambedkar/|title=U.S. President Barack Obama on Dr. B.R. Ambedkar|work=Declaration of Empathy|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20141005190254/http://www.declarationofempathy.org/u-s-president-barack-obama-on-dr-b-r-ambedkar/|archivedate=5 October 2014|df=dmy-all}}</ref>
 
आंबेडकरआम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन ने बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों, प्रकाशनों और श्रमिक संघों को जन्म दिया है जो पूरे भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र में सक्रिय हैं। बौद्ध धर्म के बारे में उनकी पदोन्नति से भारतीय आबादी के बडे वर्गों के बीच में बौद्ध दर्शन में रुचि बढी गई है। आधुनिक समय में मानवाधिकार कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्मांतरण समारोह आयोजित कर, आंबेडकरआम्बेडकर के नागपुर 1956 के धर्मांतरण समारोह का अनुकरण करते है।<ref>{{Cite news|url=http://www.hindu.com/2007/05/28/stories/2007052806851200.htm|title=One lakh people convert to Buddhism|work=The Hindu|date=28 May 2007|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20100829082828/http://www.hindu.com/2007/05/28/stories/2007052806851200.htm|archivedate=29 August 2010|df=dmy-all}}</ref> ज्यादातर भारतीय बौद्ध, विशेष रूप से [[नवयान]] के अनुयायि उन्हें [[बोधिसत्व]] और [[मैत्रेय]] के रूप में मानते है, हालांकि उन्होंने कभी स्वयं का यह दावा नहीं किया।<ref name="Fitzgerald2003">{{cite book|author= Fitzgerald, Timothy|title= The Ideology of Religious Studies|url=https://books.google.com/books?id=R7A1f6Evy84C&pg=PA129| year=2003|publisher= Oxford University Press|isbn= 978-0-19-534715-9|page=129}}</ref><ref name="KuldovaVarghese2017">{{cite book|author=M.B. Bose|editor=Tereza Kuldova and Mathew A. Varghese|title=Urban Utopias: Excess and Expulsion in Neoliberal South Asia |url=https://books.google.com/books?id=6c9NDgAAQBAJ&pg=PA144 |year=2017|publisher=Springer|isbn=978-3-319-47623-0|pages=144–146}}</ref><ref>{{harvtxt|Michael|1999}}, p. 65, notes that "The concept of Ambedkar as a Bodhisattva or enlightened being who brings liberation to all backward classes is widespread among Buddhists." He also notes how Ambedkar's pictures are enshrined side-to-side in Buddhist Vihars and households in India|office = [[Viceroy's Executive Council|Labour Member in Viceroy's Executive Counciln]] Buddhist homes.</ref> भारत के बाहर, 1990 के उत्तरार्ध के दौरान, कुछ हंगेरियन रोमानी लोगों ने अपनी स्थिति और भारत के दलित लोगों के बीच समानताएं खींची। आंबेडकरआम्बेडकर से प्रेरित होकर, उन्होंने बौद्ध धर्म में परिवर्तित होना शुरू कर दिया है। इन लोगों ने [[हंगरी]] में '[[डॉ॰ आंबेडकर हायस्कूल|डॉ॰ आम्बेडकर हायस्कूल]]' नामक विद्यालय भी शुरू किया है, जिसमें 6 दिसम्बर 2016 को आंबेडकरआम्बेडकर का स्टेच्यू भी स्थापित किया गया, जो हंगरी के जय भीम नेटवर्क ने भेट दिया था।<ref>{{cite news |url=http://www.hindu.com/mag/2009/11/22/stories/2009112250120300.htm |title=Magazine / Land & People: Ambedkar in Hungary |work=The Hindu |date=22 November 2009 |accessdate=17 July 2010 |location=Chennai, India |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20100417181130/http://www.hindu.com/mag/2009/11/22/stories/2009112250120300.htm |archivedate=17 April 2010 |df=dmy-all }}</ref>
 
==लोकप्रिय संस्कृति में==
===आंबेडकरआम्बेडकर जयंती===
{{मुख्य|आंबेडकर जयंती}}
डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकरआम्बेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे इन्होंने १४ अप्रेल १९२८ में [[पुणे]] में मनाई थी। रणपिसे आंबेडकरआम्बेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकरआम्बेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और भीम जयंतीचे अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथसे, उंट के उपर कई मिरवणुक निकाली थी।<ref>अप्रेल २०१८ का लोकराज्य मासिक (महाराष्ट्र सरकार)</ref><ref>https://www.loksatta.com/desh-videsh-news/how-birth-anniversary-started-of-babasaheb-ambedkar-1660712/</ref>
 
== फिल्में और नाटक ==
{{उद्धरणहीन}}
भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर पर कई फिल्में और नाटक भी बने हैं, जो निम्नलिखित है:
* भीम गर्जना - मराठी फिल्म (१९९०)
* बालक आंबेडकरआम्बेडकर - कन्नड फिल्म (१९९१)
* युगपुरुष डॉ. बाबासाहब आंबेडकरआम्बेडकर - मराठी फिल्म ([[१९९३]])<ref>https://m.youtube.com/watch?v=9gqwORuDPfg
</ref>
* [[डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर (फ़िल्म)|डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर]] - सन २००० में मूल अँग्रेजी से बनी फिल्म।
* डॉ. बी.आर. आंबेडकरआम्बेडकर - कन्नड फिल्म (२००५)
* ए रायजिंग लाइट
* रमाबाई भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर - आंबेडकरआम्बेडकर की पत्नी रमाबाई के जीवन पर आधारित मराठी फिल्म। (२०१०)<ref>https://m.youtube.com/watch?v=hF03tJMa54c</ref>
* शूद्रा: द राइझिंग - आंबेडकरआम्बेडकर को समर्पित हिंदी फिल्म (२०१०)
* अ जर्नी ऑफ सम्यक बुद्ध - हिंदी फिल्म (२०१३), जो आंबेडकरआम्बेडकर के [[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]] पर आधारित है।
* रमाबाई - कन्नड फिल्म (२०१६)
* बोले इंडिया जय भीम - मराठी फिल्म, हिंदी में डब (२०१६)
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==लेखन साहित्य==
भीमराव आंबेडकरआम्बेडकर प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। उनको 6 भारतीय और 4 विदेशी ऐसे कुल दस भाषाओं का ज्ञान था, जिनमें [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएँ शामील है।{{citation needed}} आंबेडकरआम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लिखा है।{{citation needed}} सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ ही, उकने द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है।
 
आंबेडकरआम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। [[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]] यह उनका ग्रंथ 'भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ' है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है।{{citation needed}} उनके डि.एस.सी. प्रबंध [[रूपये की समस्या]] से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] की स्थापना हुई है।{{citation needed}}
 
===आंबेडकरआम्बेडकर लिखित प्रमुख किताबें===
उन्होंने राजनिती, अर्थशास्त्र, मानवविज्ञान, धर्म, समाजशास्त्र, कानून आदी क्षेत्रों में किताबें लिखी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख किताबें निम्न हैं:<ref>[https://drambedkarbooks.com/dr-b-r-ambedkar-books/ डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के ग्रंथों की सूची ]</ref>
 
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==इन्हें भी देखें==
* [[भीमराव आंबेडकर के नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार|भीमराव आम्बेडकर के नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार]]
* [[ज्योतिराव गोविंदराव फुले]]
* [[राजा राममोहन राय]]