"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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[[भारतीय रिजर्व बैंक]] (आरबीआई), आम्बेडकर के विचारों पर आधारित था, जो उन्होंने हिल्टन यंग कमिशन को प्रस्तुत किये थे।<ref name=autogenerated3 /><ref name=autogenerated1 /><ref>{{cite web|url=http://roundtableindia.co.in/index.php?option=com_content&view=article&id=3179:the-problem-of-the-rupee-its-origin-and-its-solution-history-of-indian-currency-a-banking&catid=94:history&Itemid=65|title=Round Table India&nbsp;— The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution (History of Indian Currency & Banking)|work=Round Table India|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131101225118/http://roundtableindia.co.in/index.php?option=com_content&view=article&id=3179%3Athe-problem-of-the-rupee-its-origin-and-its-solution-history-of-indian-currency-a-banking&catid=94%3Ahistory&Itemid=65|archivedate=1 November 2013|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.law.columbia.edu/media_inquiries/news_events/2012/march2012/Ambedkar-Lecture-Series|title=Ambedkar Lecture Series to Explore Influences on Indian Society|work=columbia.edu|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20121221035829/http://www.law.columbia.edu/media_inquiries/news_events/2012/march2012/Ambedkar-Lecture-Series|archivedate=21 December 2012|df=dmy-all}}</ref>
 
== बौद्ध धर्म में धर्म परिवर्तन ==
[[चित्र:Diksha Bhumi.jpg|thumb|right|300px|[[दीक्षाभूमि, नागपुर]]; जहां भीमराव अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए।]]
सन् 1950 के दशक में भीमराव आम्बेडकर [[बौद्ध धर्म]] के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध [[भिक्षु]]ओं व विद्वानों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए [[श्रीलंका]] (तब सीलोन) गये। पुणे के पास एक नया बौद्ध [[विहार]] को समर्पित करते हुए, डॉ॰ आम्बेडकर ने घोषणा की कि वे बौद्ध धर्म पर एक पुस्तक लिख रहे हैं और जैसे ही यह समाप्त होगी वो औपचारिक रूप से बौद्ध धर्म अपना लेंगे।<ref name="Columbia7">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1950s.html| title = In the 1950s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> 1954 में आम्बेडकर ने [[म्यांमार|म्यानमार]] का दो बार दौरा किया; दूसरी बार वो [[रंगून]] मे तीसरे विश्व बौद्ध फैलोशिप के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गये। 1955 में उन्होने 'भारतीय बौद्ध महासभा' या 'बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया' की स्थापना की। उन्होंने अपने अंतिम प्रसिद्ध ग्रंथ, '[[भगवान बुद्ध और उनका धम्म|द बुद्ध एंड हिज़ धम्म]]' को 1956 में पूरा किया। यह उनकी मृत्यु के पश्चात सन 1957 में प्रकाशित हुआ।
 
14 अक्टूबर 1956 को [[नागपुर]] शहर में डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया। प्रथम डॉ॰ आम्बेडकर ने अपनेअपनी पत्नी सविता केएवं साथकुछ [[श्रीलंका]]सहयोगियों के एक जेष्ठ बौद्धसाथ भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी सेद्वारा पारंपरिक तरीके से [[त्रिरत्न]] ग्रहण और [[पंचशील]] को अपनाते हुये [[बौद्ध धर्म]] ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने एक अनुमान के अनुसार अपने 5,00,000 समर्थकोअनुयायियो को [[त्रिरत्न]], [[पंचशील]] और 22 प्रतिज्ञाएँ देते हुए [[नवयान]] बौद्ध धर्म मेमें परिवर्तित किया।<ref name="Columbia7"/> आम्बेडकर ने अपने अनुयायियों के लिए 22 प्रतिज्ञाएँ स्वयं निर्धारित कीं जो बौद्ध धर्म का एक सार एवं दर्शन है। [[नवयान]] लेकर आम्बेडकर और उनके समर्थकों ने विषमतावादी [[हिन्दू धर्म]] और [[हिन्दू दर्शन]] की स्पष्ट निंदा की और उसे त्याग दिया। {{cn}} आम्बेडकर ने दुसरे दिन 15 अक्टूबर को नागपूरफीर मेंवहाँ अपने 2 से 3 लाख अनुयायीओंअनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी, यह वह अनुयायि थे जो अनुयायी14 एकअक्तुबर दिनके पहलेसमारोह में नहीं पहुच पाये थे या देर से पहुचे थे। आम्बेडकर ने नागपूर में करीब 8 लाख लोगों बौद्ध धर्म की दीक्षा दी, इसलिए यह भूमी [[दीक्षाभूमि]] नाम से प्रसिद्ध हुई। तिसरे दिन 16 अक्टूबर को आम्बेडकर [[चंद्रपुर]] गये और वहां भी उन्होंने करीब 3,00,000 समर्थकों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी। इस तरह केवल तीन में आम्बेडकर ने 10-स्वयं 11 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया।कर आम्बेडकरविश्व काके बौद्धों की संख्या 11 लाख बढा दी और [[भारत में बौद्ध धर्म]] को परिवर्तनपुनर्जिवीत किया। इस घटना से कई लोगों एवं बौद्ध देशों में से अभिनंदन प्राप्त हुए। में इसके बाद वे [[नेपाल]] में चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन मे भाग लेने के लिए [[काठमांडू]] गये। उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि ''[[बुद्ध]] या [[कार्ल मार्क्स]]'' को [[2 दिसंबर]] [[1956]] को पूरा किया।<br /><br />
 
आम्बेडकर ने [[दीक्षाभूमि, नागपुर]], भारत में ऐतिहासिक बौद्ध धर्मं में परिवर्तन के अवसर पर,14 अक्टूबर 1956 को अपने अनुयायियों के लिए 22 प्रतिज्ञाएँ निर्धारित कीं जो बौद्ध धर्म का एक सार या दर्शन है। डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर द्वारा 10,00,00011 लाख लोगों का बौद्ध धर्म में रूपांतरण ऐतिहासिक था क्योंकि यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक रूपांतरण था। उन्होंने इन22 प्रतिज्ञाएँ या शपथों को निर्धारित किया ताकि हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके। भीमराव की ये 22यह प्रतिज्ञाएँ हिंदू मान्यताओं और पद्धतियों की जड़ों पर गहरा आघात करती हैं। ये एक सेतु के रूप में बौद्ध धर्मं की हिन्दू धर्म में व्याप्त भ्रम और विरोधाभासों से रक्षा करने में सहायक हो सकती हैं। इन प्रतिज्ञाओं से हिन्दू धर्म, जिसमें केवल हिंदुओं की ऊंची जातियों के संवर्धन के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया, में व्याप्त अंधविश्वासों, व्यर्थ और अर्थहीन रस्मों, से धर्मान्तरित होते समय स्वतंत्र रहा जा सकता है। ये प्रतिज्ञाए बौद्ध धर्म का एक अंग है जिसमें पंचशील, मध्यममार्ग, अनिरीश्वरवाद, दस पारमिता, बुद्ध-धम्म-संघ ये त्रिरत्न, प्रज्ञा-शील-करूणा-समता आदी बौद्ध तत्व, मानवी मुल्य (मानवता) एवं विज्ञानवाद है।
 
== मृत्यु ==