"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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== बौद्ध धर्म में परिवर्तन ==
[[चित्र:Dr. Babasaheb Ambedkar addressing his followers during 'Dhamma Deeksha' at Deekshabhoomi, Nagpur 14 October 1956.jpg|thumb|नागपूर के बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में अपने अनुयायियों को बोलते हुए आम्बेडकर, १४ अक्तुबर १९५६]]
[[चित्र:Diksha Bhumi.jpg|thumb|right|300px|[[दीक्षाभूमि, नागपुर]]; जहां भीमराव अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए।]]
[[चित्र:Dr. Ambedkar being administered 'Dhamma Deeksha' by Bhante Chandramani (from Kushinara) at Nagpur on 14 October 1956.jpg|thumb|कुशीनारा के भन्ते चंद्रमणी द्वारा दीक्षा ग्रहण करते हुए डॉ॰ आम्बेडकर]]
[[चित्र:Diksha BhumiDikshabhumi.jpg|left|thumb|right|300px|[[दीक्षाभूमि,]] नागपुर[[स्तूप]];, जहां भीमराव अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए।]]
 
सन् 1950 के दशक में भीमराव आम्बेडकर [[बौद्ध धर्म]] के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध [[भिक्षु]]ओं व विद्वानों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए [[श्रीलंका]] (तब सीलोन) गये। पुणे के पास एक नया बौद्ध [[विहार]] को समर्पित करते हुए, डॉ॰ आम्बेडकर ने घोषणा की कि वे बौद्ध धर्म पर एक पुस्तक लिख रहे हैं और जैसे ही यह समाप्त होगी वो औपचारिक रूप से बौद्ध धर्म अपना लेंगे।<ref name="Columbia7">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1950s.html| title = In the 1950s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> 1954 में आम्बेडकर ने [[म्यांमार|म्यानमार]] का दो बार दौरा किया; दूसरी बार वो [[रंगून]] मे तीसरे विश्व बौद्ध फैलोशिप के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गये। 1955 में उन्होने 'भारतीय बौद्ध महासभा' या 'बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया' की स्थापना की। उन्होंने अपने अंतिम प्रसिद्ध ग्रंथ, '[[भगवान बुद्ध और उनका धम्म|द बुद्ध एंड हिज़ धम्म]]' को 1956 में पूरा किया। यह उनकी मृत्यु के पश्चात सन 1957 में प्रकाशित हुआ।