"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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===कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अध्ययन===
1913 में, आम्बेडकर 22 साल की उम्र में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] चले गए। उन्हें [[सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय]] (बड़ौदा के गायकवाड़) द्वारा स्थापित एक योजना के तहत [[न्यू यॉर्क]] शहर में [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में स्नातकोत्तर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए तीन साल के लिए 11.50 डॉलर प्रति माह बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। वहां पहुंचने के तुरंत बाद वह लिविंगस्टन हॉल में [[पारसी]] मित्र नवल भातेना के साथ बस गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी एमए परीक्षा पास कर दि, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने एक थीसिस, ''एशियंट इंडियन्स कॉमर्स'' (प्राचीन भारतीय वाणिज्य) प्रस्तुत किया। आम्बेडकर [[जॉन डेवी]] और [[लोकतंत्र]] पर उनके काम से प्रभावित थे।
[[बड़ोदरा]] राज्य के शासक [[सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय|सयाजीराव गायकवाड़]] द्वारा, सन १९१३ में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] मे जाकर अध्ययन के लिये भीमराव आम्बेडकर का चयन किया गया, साथ ही उनके लिये एक ११.५ डॉलर प्रति मास की छात्रवृत्ति भी प्रदान की। [[न्यूयॉर्क]] शहर में आने के बाद, भीमराव आम्बेडकर को राजनीति विज्ञान विभाग के स्नातक अध्ययन कार्यक्रम में प्रवेश दे दिया गया। शयनशाला मे कुछ दिन रहने के बाद, वे भारतीय छात्रों द्वारा चलाये जा रहे एक आवास क्लब मे रहने चले गए और उन्होने अपने एक [[पारसी]] मित्र नवल भातेना के साथ एक कमरा ले लिया। १९१६ में, उन्हे उनके एक शोध के लिए पीएच.डी. से सम्मानित किया गया। इस शोध को अंततः उन्होंने पुस्तक ''इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया'' के रूप में प्रकाशित किया। हालाँकि उनका पहला प्रकाशित काम, ''भारत में जाति: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास'' नामक एक लेख है।
 
[[बड़ोदरा]] राज्य के शासक [[सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय|सयाजीराव गायकवाड़]] द्वारा, सन १९१३ में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] मे जाकर अध्ययन के लिये भीमराव आम्बेडकर का चयन किया गया, साथ ही उनके लिये एक ११.५ डॉलर प्रति मास की छात्रवृत्ति भी प्रदान की। [[न्यूयॉर्क]] शहर में आने के बाद, भीमराव आम्बेडकर को राजनीति विज्ञान विभाग के स्नातक अध्ययन कार्यक्रम में प्रवेश दे दिया गया। शयनशाला मे कुछ दिन रहने के बाद, वे भारतीय छात्रों द्वारा चलाये जा रहे एक आवास क्लब मे रहने चले गए और उन्होने अपने एक [[पारसी]] मित्र नवल भातेना के साथ एक कमरा ले लिया। १९१६ में, उन्हे उनके एक शोध के लिए पीएच.डी. से सम्मानित किया गया। इस शोध को अंततः उन्होंने पुस्तक ''इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया'' के रूप में प्रकाशित किया। हालाँकि उनका पहला प्रकाशित काम, ''भारत में जाति: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास'' नामक एक लेख है।
 
===लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में स्नातकोत्तर अध्ययन===