"महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म": अवतरणों में अंतर

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'''महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म''' राज्य का एक बड़ा धर्म है। [[महाराष्ट्र]] भारत का सबसे ज्यादा बौद्ध आबादी वाला राज्य है। [[बौद्ध धर्म]] महाराष्ट्र की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। [[सातवाहन]] काल के दौरान महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार बहुत बड़े पैमाने पर हुआ था। नाग लोगों ने धर्म प्रसार के लिए अपना जीवन दाव पर लगाया था। हजारों बुद्ध गुफाएँ मूर्तियां बनाई गई हैं। सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और नाथों से वारकरी संप्रदाय तक बौद्ध धर्म फैलता गया। सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था।
 
2011 में भारतीय जनगणना के अनुसार भारत में ८४,४२,९७२ लाख बौद्ध थे और उनमें सें सबसे ज्यादा 65,31,200 या 77.36% बौद्ध महाराष्ट्र में थे। महाराष्ट्र में हिंदू धर्म और इस्लाम के बाद बौद्ध धर्म महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जो महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का 6% है। भारत के कुल धर्मपरावर्तित बौद्धों (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) की संख्या 73 लाख हैं, उनमें से लगभग 90% महाराष्ट्र में हैं। पूरा [[महार]] समुदाय बौद्ध धर्मावलंबी हैं, महार एवं औपचारिक बौद्ध इन दो बौद्ध समूहों की संख्या महाराष्ट्र में 1 करोड़ से अधिक हैं।अधिकलिया।
 
1956 में, [[भीमराव आम्बेडकर]] ने अपने लाखों अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। यह दीक्षा समारोह नागपूर में हुआ था। महाराष्ट्र में विदर्भ, मराठवाडा एवं कोकण यहाँ के दलित समाज ने इसमे बडे पैमाने पर भाग लिया। इसी वजह से भारत में प्रमुख रूप से महाराष्ट्र में बौद्धों की संख्या अधिक हुई है।
 
==इतिहास==