"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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==संविधान निर्माण==
[[File:Dr. Babasaheb Ambedkar, chairman of the Drafting Committee, presenting the final draft of the Indian Constitution to Dr. Rajendra Prasad on 25 November, 1949.jpg|thumb|left|300px|Ambedkar, chairman of the Drafting Committee, presenting the final draft of the Indian Constitution to Rajendra Prasad on 25 November 1949.]]
 
अपने सत्य परंतु विवादास्पद विचारों और गांधी व कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद बी आर आम्बेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी जिसके कारण जब, [[15 अगस्त]] [[1947]] में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व मे आई तो उसने आम्बेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। 29 अगस्त 1947 को, आम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। इस कार्य में आम्बेडकर नेका मसौदाशुरुआती तैयारबौद्ध करनेसंघ केरीतियों इसऔर अन्य बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन बहुत काम मेआया।<ref>{{cite अपनेweb|title=Some सहयोगियोंFacts औरof समकालीनConstituent प्रेक्षकोंAssembly की|work=Parliament प्रशंसाof अर्जितIndia की।|publisher=National इसInformatics कार्यCentre में|url=http://parliamentofindia.nic.in/ls/debates/facts.htm आम्बेडकर|quote=On का29 शुरुआतीAugust बौद्ध1947, संघthe रीतियोंConstituent औरAssembly अन्यset बौद्धup ग्रंथोंan काDrafting अध्ययनCommittee बहुतunder कामthe आया।Chairmanship of B. R. Ambedkar to prepare a Draft Constitution for India |accessdate=14 April 2011 |archiveurl=https://web.archive.org/web/20110511104514/http://parliamentofindia.nic.in/ls/debates/facts.htm |archivedate=11 May 2011 |deadurl=yes |df=dmy }}</ref>
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अपने सत्य परंतु विवादास्पद विचारों और गांधी व कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद बी आर आम्बेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी जिसके कारण जब, [[15 अगस्त]] [[1947]] में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व मे आई तो उसने आम्बेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। 29 अगस्त 1947 को, आम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। आम्बेडकर ने मसौदा तैयार करने के इस काम मे अपने सहयोगियों और समकालीन प्रेक्षकों की प्रशंसा अर्जित की। इस कार्य में आम्बेडकर का शुरुआती बौद्ध संघ रीतियों और अन्य बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन बहुत काम आया।
 
संघ रीति मे मतपत्र द्वारा मतदान, बहस के नियम, पूर्ववर्तिता और कार्यसूची के प्रयोग, समितियाँ और काम करने के लिए प्रस्ताव लाना शामिल है। संघ रीतियाँ स्वयं प्राचीन गणराज्यों जैसे शाक्य और लिच्छवि की शासन प्रणाली के निदर्श (मॉडल) पर आधारित थीं। आम्बेडकर ने हालांकि उनके संविधान को आकार देने के लिए पश्चिमी मॉडल इस्तेमाल किया है पर उसकी भावना भारतीय है।
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=== समान नागरिक संहिता ===
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{{main|समान नागरिक संहिता}}
आम्बेडकर वास्तव में समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे और कश्मीर के मामले में धारा 370 का विरोध करते थे। आम्बेडकर का भारत आधुनिक, वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत विचारों का देश होता, उसमें पर्सनल कानून की जगह नहीं होती।<ref>{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/india/one-nation-one-code-how-ambedkar-and-others-pushed-for-a-uniform-code-before-partition/articleshow/60370522.cms|title=One nation one code: How Ambedkar and others pushed for a uniform code before Partition}}</ref>