"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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==राजनीतिक जीवन==
[[File:Rajagriha, Bombay, February 1934. (L to R) Yashwant, BR Ambedkar, Ramabai, Laxmibai, Mukundrao, and Tobby.jpg|thumb|right|300px|Ambedkar with his family members at Rajgraha in February 1934. From left – Yashwant (son), Ambedkar, Ramabai (wife), Laxmibai (wife of his elder brother, Balaram), Mukund (nephew) and Ambedkar’s favourite dog, Tobby]]
[[चित्र:Ambedkar_speech_at_Yeola.png|thumb|13 अक्टूबर 1935, को येओला नासिक मे आम्बेडकर एक रैली को संबोधित करते हुए.]]
[[१३ अक्टूबर|13 अक्टूबर]] [[1935]] को, आम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त किया गया और इस पद पर उन्होने दो वर्ष तक कार्य किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज के संस्थापक श्री राय केदारनाथ की मृत्यु के बाद इस कॉलेज के गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।<ref>http://thecampusconnect.com/7-interesting-historical-facts-about-ramjas-college-university-of-delhi/{{dead link|date=April 2018 |bot=InternetArchiveBot |fix-attempted=yes }}</ref> आम्बेडकर बम्बई (अब मुम्बई) में बस गये, उन्होंने यहाँ एक तीन मंजिला बडे़ घर '[[राजगृह (घर)|राजगृह]]' का निर्माण कराया, जिसमें उनके निजी पुस्तकालय में 50,000 से अधिक पुस्तकें थीं। तब यह दुनिया का सबसे बड़ा निजी पुस्तकालय था।<ref name="Columbia5">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1930s.html| title = In the 1930s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> इसी वर्ष उनकी पत्नी रमाबाई की एक लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई। रमाबाई अपनी मृत्यु से पहले तीर्थयात्रा के लिये [[पंढरपुर]] जाना चाहती थीं पर अंबेडकर ने उन्हे इसकी इजाज़त नहीं दी। आम्बेडकर ने कहा की उस हिन्दू तीर्थ में जहाँ उनको अछूत माना जाता है, जाने का कोई औचित्य नहीं है, इसके बजाय उन्होंने उनके लिये एक नया पंढरपुर बनाने की बात कहीं।
 
13 अक्टूबर को नासिक के निकट येवला में एक सम्मेलन में बोलते हुए आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन करने की अपनी इच्छा प्रकट की। उन्होंने अपने अनुयायियों से भी हिंदू धर्म छोड़ कोई और धर्म अपनाने का आह्वान किया।<ref name="Columbia5"/> उन्होंने अपनी इस बात को भारत भर में कई सार्वजनिक सभाओं में भी दोहराया।
[[चित्र:Ambedkar_speech_at_Yeola.png|thumb|13 अक्टूबर 1935, को येओलायेवला नासिक मेमें आम्बेडकरधर्म एकपरिवर्तन रैली को संबोधितकी करते हुए. घोषणा आम्बेडकर ]]
13 अक्टूबर 1935 को नासिक के निकट येवला में एक सम्मेलन में बोलते हुए आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन करने की अपनी इच्छा प्रकट की। उन्होंने अपने अनुयायियों से भी हिंदू धर्म छोड़ कोई और धर्म अपनाने का आह्वान किया।<ref name="Columbia5"/> उन्होंने अपनी इस बात को भारत भर में कई सार्वजनिक सभाओं में भी दोहराया।
 
[[1936]] में, आम्बेडकर ने [[स्वतंत्र लेबर पार्टी]] की स्थापना की, जो [[1937]] में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 15 सीटें जीती। उन्होंने अपनी पुस्तक ''[[जाति का विनाश]]'' भी इसी वर्ष प्रकाशित की जो उनके [[न्यूयॉर्क]] मे लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी। इस सफल और लोकप्रिय पुस्तक मे आम्बेडकर ने हिंदू धार्मिक नेताओं और जाति व्यवस्था की जोरदार आलोचना की। उन्होंने अस्पृश्य समुदाय के लोगों को गाँधी द्वारा रचित शब्द [[हरिजन]] पुकारने के कांग्रेस के फैसले की कडी़ निंदा की।<ref name="Columbia5"/> आम्बेडकर ने रक्षा सलाहकार समिति और वाइसराय की कार्यकारी परिषद के लिए श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे।