"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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13 अक्टूबर 1935 को नासिक के निकट येवला में एक सम्मेलन में बोलते हुए आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन करने की अपनी इच्छा प्रकट की। उन्होंने अपने अनुयायियों से भी हिंदू धर्म छोड़ कोई और धर्म अपनाने का आह्वान किया।<ref name="Columbia5"/> उन्होंने अपनी इस बात को भारत भर में कई सार्वजनिक सभाओं में भी दोहराया।
 
[[1936]] में, आम्बेडकर ने [[स्वतंत्र लेबर पार्टी]] की स्थापना की, जो [[1937]] में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 15 सीटें जीती।<ref>{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |pages=76–77 }}</ref>

उन्होंने अपनी पुस्तक ''[[जाति का विनाश]]'' भी इसी वर्ष प्रकाशित की जो उनके [[न्यूयॉर्क]] मे लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी। इस सफल और लोकप्रिय पुस्तक मे आम्बेडकर ने हिंदू धार्मिक नेताओं और जाति व्यवस्था की जोरदार आलोचना की। उन्होंने अस्पृश्य समुदाय के लोगों को गाँधी द्वारा रचित शब्द [[हरिजन]] पुकारने के कांग्रेस के फैसले की कडी़ निंदा की।<ref name="Columbia5"/> आम्बेडकर ने रक्षा सलाहकार समिति और वाइसराय की कार्यकारी परिषद के लिए श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे।
 
[[1941]] और [[1945]] के बीच में उन्होंने बड़ी संख्या में अत्यधिक विवादास्पद पुस्तकें और पर्चे प्रकाशित किये जिनमे ''थॉट्स ऑन पाकिस्तान'' भी शामिल है, जिसमें उन्होने [[मुस्लिम लीग]] की मुसलमानों के लिए एक अलग देश [[पाकिस्तान]] की मांग की आलोचना की। ''वॉट काँग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स?'' (काँग्रेस और गान्धी ने अछूतों के लिये क्या किया?) के साथ, आम्बेडकर ने गांधी और कांग्रेस दोनो पर अपने हमलों को तीखा कर दिया, उन्होने उन पर ढोंग करने का आरोप लगाया।<ref name="Columbia6">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1940s.html| title = In the 1940s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref>