"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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आम्बेडकर ने रक्षा सलाहकार समिति<ref name=autogenerated2 /> और वाइसराय की कार्यकारी परिषद के लिए सन 1942–1946 दौरान श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे।<ref name=autogenerated2>{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |page=5 }}</ref>
[[पाकिस्तान]] की मांग कर रहे [[मुस्लिम लीग]] के [[लाहौर रिज़ोल्यूशन]] (1940) के बाद, आम्बेडकर ने "[[थोट्स ऑन पाकिस्तान]] नामक 400 पृष्ठों का एक पुस्तक लिखा, जिसने अपने सभी पहलुओं में "पाकिस्तान" की अवधारणा का विश्लेषण किया। जिसमें उन्होंने [[मुस्लिम लीग]] की मुसलमानों के लिए एक अलग देश [[पाकिस्तान]] की मांग की आलोचना की। साथ ही आम्बेडकर ने तर्क भी दिया कि हिंदुओं को मुसलमानों के पाकिस्तान को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने प्रस्तावित किया कि मुस्लिम और गैर-मुस्लिम बहुमत वाले हिस्सों को अलग करने के लिए [[पंजाब]] और [[बंगाल]] की प्रांतीय सीमाओं को फिर से तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने सोचा कि मुसलमानों को प्रांतीय सीमाओं को फिर से निकालने के लिए कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। अगर उन्होंने किया, तो वे काफी "अपनी मांग की प्रकृति को समझ नहीं पाए"। विद्वान वेंकट ढलीपाल ने कहा कि थॉट्स ऑन पाकिस्तान ने "एक दशक तक भारतीय राजनीति को रोका"। इसने मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच संवाद के पाठ्यक्रम को निर्धारित किया, जो भारत के विभाजन के लिए रास्ता तय कर रहा था।
[[1941]] और [[1945]] के बीच में उन्होंने बड़ी संख्या में अत्यधिक विवादास्पद पुस्तकें और पर्चे प्रकाशित किये जिनमे ''थॉट्स ऑन पाकिस्तान'' भी शामिल है, जिसमें उन्होने [[मुस्लिम लीग]] की मुसलमानों के लिए एक अलग देश [[पाकिस्तान]] की मांग की आलोचना की। ''वॉट काँग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स?'' (काँग्रेस और गान्धी ने अछूतों के लिये क्या किया?) के साथ, आम्बेडकर ने गांधी और कांग्रेस दोनो पर अपने हमलों को तीखा कर दिया, उन्होने उन पर ढोंग करने का आरोप लगाया।<ref name="Columbia6">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1940s.html| title = In the 1940s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> ▼
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उन्होने अपनी पुस्तक ''हू वर द शुद्राज़?'' (शुद्र कौन थे?) के द्वारा हिंदू जाति व्यवस्था के पदानुक्रम में सबसे नीची जाति यानी शुद्रों के अस्तित्व मे आने की व्याख्या की।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india/2015/04/150402_beef_ban_ambedkar_hindu_ate_cow_rd|title='प्राचीन काल में हिन्दू गोमांस खाते थे'}}</ref> उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किस तरह से अछूत, शुद्रों से अलग हैं। आम्बेडकर ने अपनी राजनीतिक पार्टी को अखिल भारतीय अनुसूचित जाति फेडरेशन में बदलते देखा, हालांकि 1946 में आयोजित भारत के संविधान सभा के लिए हुये चुनाव में इसने खराब प्रदर्शन किया। 1948 में हू वेयर द शुद्राज़? की उत्तरकथा ''द अनटचेबलस: ए थीसिस ऑन द ओरिजन ऑफ अनटचेबिलिटी'' (अस्पृश्य: अस्पृश्यता के मूल पर एक शोध) में आम्बेडकर ने हिंदू धर्म को लताड़ा।<span style="color: black"> <blockquote>हिंदू सभ्यता .... जो मानवता को दास बनाने और उसका दमन करने की एक क्रूर युक्ति है और इसका उचित नाम बदनामी होगा। एक सभ्यता के बारे मे और क्या कहा जा सकता है जिसने लोगों के एक बहुत बड़े वर्ग को विकसित किया जिसे... एक मानव से हीन समझा गया और जिसका स्पर्श मात्र प्रदूषण फैलाने का पर्याप्त कारण है?<ref name="Columbia6"/></blockquote></span>
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