"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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[[1936]] में, आम्बेडकर ने [[स्वतंत्र लेबर पार्टी]] की स्थापना की, जो [[1937]] में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 15 सीटें जीती।<ref>{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |pages=76–77 }}</ref>
 
इसी वर्ष आम्बेडकर ने 15 मई 1936 को अपनी पुस्तक '[[एनीहिलेशन ऑफ कास्ट]]' (''[[जाति प्रथा का विनाश]]'') प्रकाशित की, जो उनके [[न्यूयॉर्क]] में लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी।<ref>{{cite web|url=http://scroll.in/article/727548/may-15-it-was-79-years-ago-today-that-ambedkars-annihilation-of-caste-was-published|title=May 15: It was 79 years ago today that Ambedkar's 'Annihilation Of Caste' was published|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160529175303/http://scroll.in/article/727548/may-15-it-was-79-years-ago-today-that-ambedkars-annihilation-of-caste-was-published|archivedate=29 May 2016|df=dmy-all}}</ref> इस पुस्तक में आम्बेडकर ने हिंदू धार्मिक नेताओं और जाति व्यवस्था की जोरदार आलोचना की।<ref name=Mungekar>{{cite journal|last=Mungekar|first=Bhalchandra|title=Annihilating caste|journal=Frontline|date=16–29 July 2011|volume=28|issue=11|url=http://www.frontline.in/navigation/?type=static&page=flonnet&rdurl=fl2815/stories/20110729281509500.htm|accessdate=18 July 2013|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131101224527/http://www.frontline.in/navigation/?type=static&page=flonnet&rdurl=fl2815%2Fstories%2F20110729281509500.htm|archivedate=1 November 2013|df=dmy-all}}</ref> उन्होंने अस्पृश्य समुदाय के लोगों को गाँधी द्वारा रचित शब्द ''[[हरिजन]]'' पुकारने के कांग्रेस के फैसले की कडी़ निंदा की।<ref name=NYT01>[[Siddhartha Deb|Deb, Siddhartha]], [https://www.nytimes.com/2014/03/09/magazine/arundhati-roy-the-not-so-reluctant-renegade.html?hp "Arundhati Roy, the Not-So-Reluctant Renegade"] {{webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170706154739/https://www.nytimes.com/2014/03/09/magazine/arundhati-roy-the-not-so-reluctant-renegade.html?hp |date=6 July 2017 }}, New York Times ''Magazine'', 5 March 2014. Retrieved 5 March 2014.</ref><ref name="Columbia5"/> बाद में, 1955 के बीबीसी साक्षात्कार में, उन्होंने गांधी पर उनके [[गुजराती भाषा]] के पत्रों में जाति व्यवस्था समर्थन करना तथा [[अंग्रेजी भाषा]] पत्रों में जाति व्यवस्था का विरोध करने का आरोप लगाया।<ref>{{cite web|url=http://scroll.in/article/813771/a-for-ambedkar-as-gujarats-freedom-march-nears-tryst-an-assertive-dalit-culture-spreads|title=A for Ambedkar: As Gujarat’s freedom march nears tryst, an assertive Dalit culture spreads|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160916194115/http://scroll.in/article/813771/a-for-ambedkar-as-gujarats-freedom-march-nears-tryst-an-assertive-dalit-culture-spreads|archivedate=16 September 2016|df=dmy-all}}</ref>
 
आम्बेडकर ने रक्षा सलाहकार समिति<ref name=autogenerated2 /> और वाइसराय की कार्यकारी परिषद के लिए सन 1942–1946 दौरान श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे।<ref name=autogenerated2>{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |page=5 }}</ref>
 
[[पाकिस्तान]] की मांग कर रहे [[मुस्लिम लीग]] के [[लाहौर संकल्पना|लाहौर रिज़ोल्यूशन]] (1940) के बाद, आम्बेडकर ने "[[थॉट्स ऑन पाकिस्तान]] नामक 400 पृष्ठों वाला एक पुस्तक लिखा, जिसने अपने सभी पहलुओं में "पाकिस्तान" की अवधारणा का विश्लेषण किया। इसमें उन्होंने [[मुस्लिम लीग]] की मुसलमानों के लिए एक अलग देश [[पाकिस्तान]] की मांग की आलोचना की। साथ ही यह तर्क भी दिया कि हिंदुओं को मुसलमानों के पाकिस्तान का स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने प्रस्तावित किया कि मुस्लिम और गैर-मुस्लिम बहुमत वाले हिस्सों को अलग करने के लिए [[पंजाब]] और [[बंगाल]] की प्रांतीय सीमाओं को फिर से तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने सोचा कि मुसलमानों को प्रांतीय सीमाओं को फिर से निकालने के लिए कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। अगर उन्होंने किया, तो वे काफी "अपनी मांग की प्रकृति को समझ नहीं पाए"। विद्वान वेंकट ढलीपाल ने कहा कि थॉट्स ऑन पाकिस्तान ने "एक दशक तक भारतीय राजनीति को रोका"। इसने मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच संवाद के पाठ्यक्रम को निर्धारित किया, जो [[भारत का विभाजन|भारत के विभाजन]] के लिए रास्ता तय कर रहा था।<ref>{{citation |last=Sialkoti |first=Zulfiqar Ali |title=An Analytical Study of the Punjab Boundary Line Issue during the Last Two Decades of the British Raj until the Declaration of 3 June 1947 |journal=Pakistan Journal of History and Culture |volume=XXXV |number=2 |year=2014 |url=http://www.nihcr.edu.pk/Latest_English_Journal/Pjhc%2035-2,%202014/4%20Punjab%20Boundary%20Line,%20Zulfiqar%20Ali.pdf |p=73–76 |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20180402094202/http://www.nihcr.edu.pk/Latest_English_Journal/Pjhc%2035-2,%202014/4%20Punjab%20Boundary%20Line,%20Zulfiqar%20Ali.pdf |archivedate=2 April 2018 |df=dmy-all }}</ref><ref>{{citation |last=Dhulipala |first=Venkat |title=Creating a New Medina |url=https://books.google.com/books?id=1Z6TBQAAQBAJ&pg=PR2 |date=2015 |publisher=Cambridge University Press |isbn=978-1-107-05212-3 |ref={{sfnref|Dhulipala, Creating a New Medina|2015}} |pp=124,&nbsp;134,&nbsp;142–144,&nbsp;149}}</ref>
 
''वॉट"व्हॉट काँग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स?''" (काँग्रेस और गान्धीगांधी ने अछूतों के लिये क्या किया?) इस किताब के साथ, आम्बेडकर ने गांधी और कांग्रेस दोनो पर अपने हमलों को तीखा कर दिया, उन्होनेउन्होंने उन पर ढोंग करने का आरोप लगाया।<ref name="Columbia6">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1940s.html| title = In the 1940s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref>
 
उन्होने अपनी पुस्तक ''हू वर द शुद्राज़?'' (शुद्र कौन थे?) के द्वारा हिंदू जाति व्यवस्था के पदानुक्रम में सबसे नीची जाति यानी शुद्रों के अस्तित्व मे आने की व्याख्या की।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india/2015/04/150402_beef_ban_ambedkar_hindu_ate_cow_rd|title='प्राचीन काल में हिन्दू गोमांस खाते थे'}}</ref> उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किस तरह से अछूत, शुद्रों से अलग हैं। आम्बेडकर ने अपनी राजनीतिक पार्टी को अखिल भारतीय अनुसूचित जाति फेडरेशन में बदलते देखा, हालांकि 1946 में आयोजित भारत के संविधान सभा के लिए हुये चुनाव में इसने खराब प्रदर्शन किया। 1948 में हू वेयर द शुद्राज़? की उत्तरकथा ''द अनटचेबलस: ए थीसिस ऑन द ओरिजन ऑफ अनटचेबिलिटी'' (अस्पृश्य: अस्पृश्यता के मूल पर एक शोध) में आम्बेडकर ने हिंदू धर्म को लताड़ा।<span style="color: black"> <blockquote>हिंदू सभ्यता .... जो मानवता को दास बनाने और उसका दमन करने की एक क्रूर युक्ति है और इसका उचित नाम बदनामी होगा। एक सभ्यता के बारे मे और क्या कहा जा सकता है जिसने लोगों के एक बहुत बड़े वर्ग को विकसित किया जिसे... एक मानव से हीन समझा गया और जिसका स्पर्श मात्र प्रदूषण फैलाने का पर्याप्त कारण है?<ref name="Columbia6"/></blockquote></span>