"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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आम्बेडकर मैट्रीक की परीक्षा उत्तिर्ण होने पर केलुसकर गुरुजी ने उन्हे स्वयं की लिखी "भगवान बुद्ध का चरित्र" पुस्तक भेंट दी थी, इसे पढकर वे बचपन में ही [[गौतम बुद्ध]] की शिक्षा से प्रभावित हुए। अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। स्कूली पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को अस्पृश्यता के कारण अनेका प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। रामजी सकपाल ने स्कूल में अपने बेटे भीमराव का मूल उपनाम ‘सकपाल' की बजाय ‘आंबडवेकर' लिखवाया था, जो कि उनके [[आंबडवे]] गांव से संबंधित था। क्योंकी [[कोकण]] प्रांत के लोग अपना उपनाम (सरनेम) गांव के नाम से रखते थे, इसलिए आम्बेडकर के आंबडवे गांव से 'आंबडवेकर' उपनाम स्कूल में दर्ज किया गया। बाद में एक देवरुखे [[ब्राह्मण]] शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से ‘आंबडवेकर’ हटाकर अपना सरल ‘आंबेडकर’ उपनाम जोड़ दिया।<ref>https://m.divyamarathi.bhaskar.com/news/MAH-MUM-ambedkars-teacher-family-saving-memories-of-ambedkar-5489831-NOR.html</ref> आज वे [[आंबेडकर|आम्बेडकर]] नाम से जाने जाते हैं।
 
[[File:Ramabai Ambedkar - wife of Dr. Babasaheb Ambedkar.jpg|thumb|[[रमाबाई आम्बेडकर]], आम्बेडकर की पत्नी]]
 
रामजी आम्बेडकर ने सन 1898 में जिजाबाई से पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ [[मुंबई]] (तब बंबई) चले आये। अप्रैल 1906 में, जब भीमराव लगभग 15 वर्ष आयु के थे, तो नौ साल की लड़की [[रमाबाई आंबेडकर|रमाबाई]] से उनकी शादी कराई गई थी।<ref name="Columbia2">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances|url=http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| title = In the 1900s| format = PHP| accessdate = 5 January 2012| deadurl=no| archiveurl=https://web.archive.org/web/20120106043617/http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1900s.html| archivedate = 6 January 2012| df = dmy-all}}</ref>