"गंगाधर पानतावणे": अवतरणों में अंतर
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==प्रारम्भिक जीवन व शिक्षा==
गंगाधर पानतावणे का जन्म 28 जून, 1937 को नागपुर की पांचपावली बस्ती में हुआ था। उनके पिता विठोवा अधिक पढे लिखे नही थे लेकिन [[बाबासाहब आम्बेडकर]] के समतावादी आन्दोलन से जुड़ गए थे। उनके सरनेम पानतावणे का अर्थ था पानी गर्म करने वाले। उनका जीवन बहुत गरीबी में बीता। डी.सी. मिशन स्कूल में उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अर्जीत कि एवं नवयुग विद्यालय व पटवर्धन हाईस्कूल, नागपूर से माध्यमिक शिक्षा पुरी की। जैसे तैसे कर शिक्षा पूरी की। करीब 9 वर्ष की उम्र में 1946 में बाबासाहब आम्बेडकर जब नागपुर आये थे तो उन्हें देखकर वे अभिभूत हुए बिना न रहे थे, दूसरी बार जब आम्बेडकर नागपुर आये तो उनसे मिलने तथा बात करने का अवसर मिला। 1956 में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण हुए और उसके बाद उन्होंने नागपूर महाविद्यालय में से बी.ए. व एम.ए.ची पदवी प्राप्त की। [[मिलिंद महाविद्यालय]] में मराठी साहित्य के प्राध्यापक के रूप में 19 जून, 1962 से कार्य आरम्भ किया। 1981 में [[डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय|मराठवाडा विश्वविद्यालय]] (अब [[डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय]]) से उन्होंने "डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांची पत्रकारिता" (हिन्दी: डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर की पत्रकारिता) विषय पर [[पीएचडी]] की उपाधि अर्जित की थी। बाग में वह इसी विश्वविद्यालय में [[मराठी]] के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। वे अध्ययन, अध्यापकी और संपादकीय के साथ वे आलेख और नाटक भी लिखते थे। ‘मृत्युशाला’ उनके द्वारा ही लिखा हुआ नाटक है। लेखन के साथ वे हर वर्ष अस्मितदर्श साहित्य सम्मेलन भी कराते थे। वे अक्सर कहा करते थे कि दलित लेखकों को भाषा का ध्यान रखना चाहिए । उन्हें लिखते हुए संयम बरतना चाहिए। दूसरे मरने वाले व्यक्ति को स्वर्गवासी, न कहते हुए स्मृतिशेष कहना या लिखना चाहिए।<ref>[http://www.esakal.com/maharashtra/writer-dr-gangadhar-pantawane-passed-away-aurangabad-105609 ज्येष्ठ विचारवंत, लेखक डॉ. गंगाधर पानतावणे यांचे निधन]</ref>
==कारकीर्द==
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