"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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===[[मूकनायक]]===
31 जनवरी 1920 को बाबासाहब ने अस्पृश्यों के उपर होने वाले अन्यायओअत्याचारों प्रकट करने के लिए "[[मुकनायक]]" नामक अपना पहला [[पाक्षिक]] शुरू किया.किया। इस अखबार के शीर्ष भागों पर संत [[तुकाराम]] के वचन थे। इसके लिए कोल्हापुर संस्थान के छ.छत्रपति शाहु महाराज द्वारा 25,000₹000 रूपये की आर्थिक मदत भी मिली थी.थी। इसआम्बेडकर अखबारपढाई के शीर्ष भागों पर संत तुकाराम के वचन थे। आम्बेडकरलिए विलायत गये और 1923 में यह अखबार बंद पड गया।
 
३ एप्रिल १९२४ में उन्होंने "बहिष्कृत भारत" अखबार शुरू किया. इस पाक्षिक के कुल ३४ अंक निकाले गये. आर्थिक कठनाईओं से यह अखबार नवम्बर १९२९ को बंद हो गया. इस अखबार के शीर्ष भागों पर संत ज्ञानेश्वर के वचन थे.
 
3 एप्रिलअप्रैल १९२४1924 में उन्होंने "बहिष्कृत भारत" अखबारपाक्षिक शुरू किया.किया। इस पाक्षिक के कुल ३४34 अंक निकाले गये.गये। आर्थिक कठनाईओं सेकारण यह अखबार नवम्बर १९२९1929 को बंद हो गया.गया। इस अखबार के शीर्ष भागों पर संत [[ज्ञानेश्वर]] के वचन थे.थे।
उसके बाद २९ जून १९२८ में उन्होंने "समता" अखबार शुरू किया. यह समाज समता संघ (समता सैनिक दल) का मुखपत्र था.
 
उसके बाद २९29 जून १९२८1928 में उन्होंने "समता" (हिन्दी: समानता) अखबार शुरू किया.किया। यह समाज समता संघ ([[समता सैनिक दल]]) का मुखपत्र था. था।
२४ फरवरी १९३० को उन्होंने "जनता" पाक्षिक शुरू किया. ३१ अक्टुबर को १९३० यह साप्ताहिक बना. १९४४ में, बाबासाहेब ने इसमें "आम्ही शासनकर्ती जमात बनणार" (हम शासनकर्ता समाज बनेंगे) इस शीर्षक के निचे प्रसिद्ध लेख लिखा. १९५६ तक जनता पत्र चलता रहा.
 
२४24 फरवरी १९३०1930 को उन्होंनेआम्बेडकर ने "जनता" पाक्षिक शुरू किया.किया। ३१31 अक्टुबर को १९३०1930 यह [[साप्ताहिक]] बना.बना। १९४४1944 में, बाबासाहेब ने इसमें "आम्ही शासनकर्ती जमात बनणार" (हिंदी: हम शासनकर्ता समाजवर्ग बनेंगे) इस शीर्षक के निचेसे प्रसिद्ध लेख लिखा.लिखा। १९५६1956 तक जनता पत्र चलता रहा.रहा।
उसके बाद ४ फरवरी १९५६ को जनता का नामकरण प्रबुद्ध भारत किया गया। इस पत्र के मुखशीर्ष पर ‘अखिल भारतीय दलित फेडरेशन का मुखपत्र’ छपता था। बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण के बाद यह पाक्षिक बंद हुआ. ११ अप्रैल २०१७ को महात्मा फुले की जयंति के उपलक्ष में बाबासाहेब के पौत्र प्रकाश आंबेडकर ने "प्रबुद्ध भारत" नये सिरे से शुरू करने की घोषणा की और १० मई २०१७ को इसका पहला अंक प्रकाशित हुआ।
 
उसकेआम्बेडकर बादने पाँचवी बार 4 फरवरी १९५६1956 को प्रबुद्ध भारत शुरू किया, जो जनता का नामकरण प्रबुद्ध भारत किया गया।गया था। इस पत्र के मुखशीर्ष पर ‘अखिल भारतीय दलित फेडरेशन का मुखपत्र’ छपता था। बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण के बाद यह पाक्षिक बंद हुआ.हुआ। ११11 अप्रैल २०१७2017 को [[महात्मा फुले]] की जयंति के उपलक्ष में बाबासाहेब के पौत्र [[प्रकाश आंबेडकरआम्बेडकर]] ने "प्रबुद्ध भारत" को नये सिरे से शुरू करने की घोषणा की और १०10 मई २०१७2017 को इसका पहला अंक प्रकाशित हुआ एवं यह पाक्षिक शुरू हुआ।