"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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"[[आम्बेडकरवाद]]" आम्बेडकर की विचारधारा तथा दर्शन हैं। स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा, बौद्ध धर्म, विज्ञानवाद, मानवतावाद, सत्य, अहिंसा आदि के विषय आम्बेडकरवाद के सिद्धान्त हैं। अस्पृश्यता को नष्ट करना, दलितों में सामाजिक सुधार, भारत में बौद्ध धर्म का प्रचार एवं प्रचार, भारतीय संविधान में निहीत अधिकारों तथा मौलिक हकों की रक्षा करना, एक नैतिक तथा जातिमुक्त समाज की रचना और भारत देश प्रगती यह प्रमुख उद्देश शामील हैं। आम्बेडकरवाद सामाजिक, राजनितीक तथा धार्मिक विचारधारा हैं।<ref>{{Cite web|url=https://thewire.in/116168/bjp-up-fears-elections/|title=The BJP Has Swept UP But It Does Not Know the Way Ahead From Here|last=Tripathi|first=Arun Kumar|website=thewire.in|language=en-GB|access-date=2017-03-31}}</ref><ref>{{Cite news|url=http://www.thenewsminute.com/article/kcrs-125-feet-ambedkar-statue-mockery-very-spirit-ambedkrism-41663|title=KCR’s 125-feet Ambedkar statue is a mockery of the very spirit of Ambedkarism|date=2016-04-15|work=The News Minute|access-date=2017-03-31}}</ref><ref>{{Cite news|url=http://www.thenewsminute.com/article/kabali-boring-its-socio-political-depths-make-it-blockbuster-wasnt-46965|title=Kabali is boring, but its socio-political depths make it a blockbuster that wasn’t|date=2016-07-23|work=The News Minute|access-date=2017-03-31}}</ref><ref>[http://www.merinews.com/article/the-rise-of-ambedkarism/15895702.shtml The rise of Ambedkarism]</ref>
 
==पत्रकारिता==
[[चित्र:Editor Dr. Babasaheb Ambedkar.jpg|thumb|right|300px|आम्बेडकर द्वारा सम्पादित पत्र-पत्रिकाएँ]]
[[File:Tagline of 'Bahishkrut Bharat' was taken from 'Dnyaneshwari' and tagline of 'Mooknayak' was taken from 'Tukaramgatha'.jpg|thumb|200px|बहिष्कृत भारत व [[मूकनायक]] की टाईमलाइन]]
 
आम्बेडकर एक सफल पत्रकार एवं प्रभावी संपादक थे। अखबारों के माध्यम से समाज में उन्नती होंगी, इसपर उन्हें विश्वास था। वह आन्दोलन में अखबार को बेहद महत्वपूर्ण मानते थे। उन्होंने शोषित एवं दलित समाज में जागृति लाने के लिए कई पत्र एवं पांच पत्रिकाओं का प्रकाशन एवं सम्पादन किया। इनसे उनके दलित आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण मदद मिली। उन्होंने कहां हैं की, "किसी भी आन्दोलन को सफल बनाने के लिए अखबार की आवश्यकता होती हैं, अगर आन्दोलन का कोई अखबार नहीं है तो उस आन्दोलन की हालत पंख तुटे हुए पंछी की तरह होती हैं।" डॉ॰ आम्बेडकर ही दलित पत्रकारिता के आधार स्तम्भ हैं क्योंकी वे दलित पत्रिकारिता के प्रथम संपादक, संस्थापक एवं प्रकाशक हैं। डॉ॰ आम्बेडकर ने सभी पत्र [[मराठी भाषा]] में ही प्रकाशित किये क्योंकि उनका कार्य क्षेत्र महाराष्ट्र था और मराठी वहां की जन भाषा है। और उस समय महाराष्ट्र की शोषित एवं दलित जनता ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी, वह केवल मराठी ही समझ पाती थी। कई दशकों तक उन्होंने पांच मराठी पत्रिकाओं का संपादन किया था, जिसमे ''[[मूकनायक]]'' (1920), ''[[जनता]]'' (1930), ''[[बहिष्कृत भारत]]'' (1927), ''[[समता]]'' (1928) एवं ''[[प्रबुद्ध भारत]]'' (1946) सम्मिलित हैं।<ref>https://www.forwardpress.in/2017/02/a-glance-at-dr-ambedkars-writings/</ref><ref>बाबा साहेब डा. आंबेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय, खण्ड-1, पृ0 35</ref><ref>बाबा साहेब डा. आंबेडकर सम्पूर्ण वाङ्मय, खण्ड-15, पृ0 10</ref><ref>डा. बाबासाहेब आंबेडकर – जीवन चरित, धनंजय कीर, हिन्दी अनुवाद- गजानन सुर्वे, पृ0 387</ref> साहित्यकार व विचारक [[गंगाधर पानतावणे]] ने 1987 में भारत में पहली बार आम्बेडकर की पत्रकारितापर पी.एच.डी. के लिए शोध प्रबंध लिखा। उसमें पानतावने ने आंबेडकर के बारे में लिखा हैं की, "इस मुकनायक ने बहिष्कृत भारत के लोगों को प्रबुद्ध भारत में लाया। बाबासाहब एक महान पत्रकार थे।"
 
===[[मूकनायक]]===
[[File:Cover page of Dr. Babasaheb Ambedkar's 'Mooknayak'.jpg|thumb|200px|मूकनायक का 31 जनवरी 1920 का पहला अंक]]
 
31 जनवरी 1920 को बाबासाहब ने अस्पृश्यों के उपर होने वाले अत्याचारों को प्रकट करने के लिए "[[मूकनायक]]" नामक अपना पहला मराठी [[पाक्षिक]] पत्र शुरू किया। इसके संपादक आम्बेडकर व पाण्डुराम नन्दराम भटकर थे। इस अखबार के शीर्ष भागों पर संत [[तुकाराम]] के वचन थे। इसके लिए कोल्हापुर संस्थान के छत्रपति शाहु महाराज द्वारा 25,000 रूपये की आर्थिक मदत भी मिली थी। ‘मूक नायक’ सभी प्रकार से मूक-दलितों की ही आवाज थी, जिसमें उनकी पीड़ाएं बोलती थीं इस पत्र ने दलितों में एक नयी चेतना का संचार किया गया तथा उन्हें अपने अधिकारों के लिए आंदोलित होने को उकसाया। आम्बेडकर पढाई के लिए विलायत गये और यह पत्र आर्थिक अभावों के चलते 1923 में बंद पड गया, लेकिन एक चेतना की लहर दौड़ाने के अपने उद्देश्य में कामयाब रहा।
 
===बहिष्कृत भारत===
[[File:Cover page of Dr. Babasaheb Ambedkar's 'Bahishkrut Bharat' Fortnightly.jpg|thumb|200px|बहिष्कृत भारत का अंक]]
[[File:Inner page of Dr. Babasaheb Ambedkar's 'Bahishkrut Bharat' Fortnightly. Bahishkrut Bharat was first published on Sunday, 3 April 1927 from Mumbai. Its annual subscription fee was Rs. 3 and 1.5 Aana for each copy.jpg|thumb|200px|बहिष्कृत भारत पत्र]]
 
मूकनायक के बंद हो जाने के बाद कम समय में आम्बेडकर ने 3 अप्रैल 1924 को दूसरा मराठी पाक्षिक "बहिष्कृत भारत" निकाला। इसका संपादन डॉ॰ आम्बेडकर खुद करते थे। यह पत्र बाम्बे से प्रकाशित होता था। इसके माध्यम से वे अस्पृश्य समाज की समस्याओं और शिकायतों को सामने लाने का कार्य करते थे तथा साथ ही साथ अपने आलोचकों को जवाब भी देने का कार्य करते थे। इस पत्र के एक सम्पादकीय में उन्होंने लिखा कि यदि [[बाल गंगाधर तिलक]] अछूतों के बीच पैदा होते तो यह नारा नहीं लगाते कि "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है" बल्कि वह यह कहते कि "छुआछूत का उन्मूलन मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है।" इस पत्र ने भी दलित जागृति का महत्वपूर्ण कार्य किया। इस अखबार के शीर्ष भागों पर संत [[ज्ञानेश्वर]] के वचन थे। इस पाक्षिक के कुल 34 अंक निकाले गये। आर्थिक कठनाईओं कारण यह नवम्बर 1929 को बंद हो गया।
 
===समता===
29 जून 1928 में आम्बेडकर ने "समता" (हिन्दी: समानता) पत्र शुरू किया। यह पत्र डॉ॰ आम्बेडकर द्वारा समाज सुधार हेतु स्थापित संस्था समाज समता संघ ([[समता सैनिक दल]]) का मुखपत्र था। इसके संपादक के तौर पर आम्बेडकर ने देवराव विष्णु नाइक को नियुक्त किया था।
 
===जनता===
''समता'' पत्र बंद होने के बाद आम्बेडकर ने इसका पुनःप्रकाशन ‘जनता’ के नाम से किया। 24 फरवरी 1930 को इस पाक्षिक का पहला अंक प्रकाशित हुआ। 31 अक्टुबर को 1930 यह [[साप्ताहिक]] बन गया। 1944 में, बाबासाहेब ने इसमें "आम्ही शासनकर्ती जमात बनणार" (हिंदी: हम शासनकर्ता वर्ग बनेंगे) इस शीर्षक से प्रसिद्ध लेख लिखा। इस पत्र के माध्यम से आम्बेडकर ने दलित समस्याओं को उठाने का बखूबी कार्य किया।फरवरी 1956 तक कुल 26 साल तक यह पत्र चलता रहा।
 
===प्रबुद्ध भारत===
आम्बेडकर ने पाँचवी बार 4 फरवरी 1956 को ''प्रबुद्ध भारत'' शुरू किया। ‘जनता’ पत्र का नाम बदलकर उन्होंने ‘प्रबुद्ध भारत’ कर दिया था। इस पत्र के मुखशीर्ष पर ‘अखिल भारतीय दलित फेडरेशन का मुखपत्र’ छपता था। बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण के बाद यह पाक्षिक बंद हुआ। 11 अप्रैल 2017 को [[महात्मा फुले]] की जयंति के उपलक्ष में बाबासाहेब के पौत्र [[प्रकाश आम्बेडकर]] ने "प्रबुद्ध भारत" को नये सिरे से शुरू करने की घोषणा की और 10 मई 2017 को इसका पहला अंक प्रकाशित हुआ एवं यह पाक्षिक शुरू हुआ।
 
इन अखबारों द्वारे बाबासाहेब ने अपने विचारों से स्पृश्य आणि अस्पृश्य को जागृत किया। जिससे दलितों की सोच व जीवन में परिवर्तन आया।
==विरासत==
[[File:People paying tribute at the central statue of Bodhisattva Babasaheb Ambedkar in Dr. Babasaheb Ambedkar Marathwada University, India.png|thumb|upright|[[औरंगाबाद]] के [[डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय]] में आम्बेडकर की मध्य मूर्ति पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके अनुयायि।]]